केंद्र सरकार ने आज नए सीडीएस की नियुक्ति कर दी है। सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल (रि) अनिल चौहान को अगले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में नियुक्त किया है। वह भारत सरकार के सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। रक्षा मंत्रालय ने ये जानकारी दी है। ले. जनरल (रि) अनिल चौहान की गोरखा राइफल से सेना में एंट्री हुई थी। वह पीओके में बालाकोट स्ट्राइक की प्लानिंग में भी शामिल थे और पिछले साल ही रिटायर हुए हैं।
लगभग 40 वर्षों से अधिक के अपने करियर में लेफ्टिनेंट जनरल (रि) अनिल चौहान ने कई कमांड, स्टाफ और सहायक नियुक्तियां की हैं। जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में उन्हें व्यापक अनुभव है।
पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हवाई दुर्घटना में निधन के बाद नए सीडीएस की नियुक्ति पर मंथन हो रहा था। आज केंद्र ने इस पर मुहर लगा दी। नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार सेवारत और सेवानिवृत्त, दोनों तरह के सैन्य अधिकारियों के नाम पर विचार कर रही थी। यह पद पिछले साल आठ दिसंबर को देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की एक हवाई हादसे में मौत हो जाने के बाद से खाली था।
साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में भाजपा की फिर से सरकार बनने के छह महीने के अंदर नए सीडीएस की नियुक्ति के फैसले को देश के सर्वोच्च सैन्य ढांचे में सबसे बड़ा सुधार बताया गया था। देश की तीनों सेनाओं में समन्वय के लिए पहले सीडीएस के तौर पर जनरल रावत को नियुक्त किया गया था।
सीडीएस की नियुक्ति सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के तौर पर होती है, जो वर्तमान में अतिरिक्त सचिव रैंक के तहत काम करता है। सीडीएस एकीकृत डिफेंस स्टाफ का अध्यक्ष भी होता है। सरकार ने सीडीएस को रक्षा कार्यक्रमों में मेक इन इंडिया का प्रभारी भी बनाया है।
आठ दिसंबर 2021 को तमिलनाडु में खराब मौसम के चलते वायु सेना का एमआई-17 हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया था। इस हेलिकॉप्टर में सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत कुल 14 लोग सवार थे। नीलगिरि और तमिलनाडु के बीच कुन्नूर के जंगल में हुई इस दुर्घटना में हेलिकॉप्टर में सवार सभी लोगों की जान चली गई थी।
जानें नये सीडीएस के बारे में
देश के नए सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल (रि) अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को उत्तराखंड के पौढ़ी में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम अनुपमा चौहान है। उनकी एक बेटी भी है, जिसका नाम प्रज्ञा चौहान है। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र रहे लेफ्टिनेंट जनरल चौहान को 1981 में 11वीं गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) के रूप में कार्य किया है।
वह पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडर-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) के पद से सेवानिवृत्त हुए। सेना की बात करें तो वह पूर्वी सेना के कमांडर थे। पूर्वी सेना को उत्तरी सेना के साथ सेना की दो सबसे संवेदनशील कमानों में से एक के रूप में स्थान दिया गया है।
उन्होंने ने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम किया था। 31 मई 2021 को भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी वे राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में अपना योगदान दे रहे थे। वे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद कार्यालय में कार्यरत थे। इतना ही नहीं कहा जाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी उनका घनिष्ठ संबंध है। नए सीडीएस चौहान जनरल बिपिन रावत की तरह 11वीं गोरखा राइफल्स से हैं। इसके साथ ही ये भी उत्तराखंड के रहने वाले हैं।
भारत-पाकिस्तान पर सीमा तनाव बढ़ने के बाद बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने में भी वे शामिल थे। लेफ्टिनेंट जनरल (रि) अनिल चौहान पिछले साल 31 मई को 40 साल की सेवा के बाद जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पूर्वी कमान के पद से रिटायर हुए थे। पूर्वी सेना को संभालने से पहले, जनरल ऑफिसर नई दिल्ली में सैन्य अभियान के महानिदेशक थे।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रहने के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद में बड़ी कमी आई थी। बतौर डीजीएमओ वह ऑपरेशन सनराइज के मुख्य शिल्पी थे जिसके तहत भारतीय और म्यांमार सेना ने दोनों देशों की सीमाओं के पास उग्रवादियों के विरूद्ध समन्वित अभियान चलाया था।
सेना में उनकी विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल जैसे अवॉर्ड मिल चुके हैं। वो भारतीय सेना के डीजीएमओ भी रह चुके हैं।