- चिकित्सा विशेषज्ञों ने राष्ट्र के विकास के लिए नैदानिक शोध को बढ़ावा दिए जाने पर दिया जोर
- एम्स, ऋषिकेश में शोध से राष्ट्र निर्माण विषय पर कार्यशाला का चौथा दिन
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में आई.ए.एम.बी.एस.एस. की 6 दिवसीय कार्यशाला में देशभर से जाने माने मेडिकल संस्थानों के विशेषज्ञ प्रतिभाग कर रहे हैं। इस दौरान विशेषज्ञों ने देश की उन्नति के लिए नैदानिक अनुसंधान के क्षेत्र में विशेषरूप से ध्यान दिए जाने पर जोर दिय। उनका कहना है कि ऐसा करने से ही हमारा देश विकासशील देशों की श्रेणी से विकसित देशों की सूची में आ सकता है। कार्यशाला में देशभर से लगभग 150 वैज्ञानिक, चिकित्सक व शोधार्थी शिरकत कर रहे हैं।
गौरतलब है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश, आई.सी.एम.आर-पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ एवं सरदार भगवान सिंह विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित छह दिवसीय कार्यशाला बुधवार को संपन्न होगी।
शोध से राष्ट्र निर्माण विषयक कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने एसोसिएशन के साथ ही कार्यशाला के उद्देश्य, संकल्पना को लेकर सराहना की। इस अवसर पर निदेशक एम्स ने विज्ञान के तीनों स्तरों (सामाजिक, नैदानिक एवं मूल शोध ) के समावेश की संल्पना के साथ मिलजुलकर कार्य करने और आपसी तालमेल रखकर कार्यों को बढ़ावा देते हुए "बेहतर राष्ट्र निर्माण के लिए विज्ञान में एकीकरण की अवधारणा को मजबूत करना" विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
आईएएमबीएसएस के संस्थापक एवं एम्स ऋषिकेश के सीनियर रेजिडेंट डॉ. जितेन्द्र गैरोला ने बताया कि देश को विकासशील से विकसित एवं आत्मनिर्भर देश बनाने का संकल्प नैदानिक अनुसंधान से ही पूरा हो सकता है,लिहाजा इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि यह सब चिकित्सकों, वैज्ञानिक और नीति निर्माताओं के एकीकृत प्रयासों से ही संभव हो सकता है।
डॉ. जितेंद्र ने अपने वक्तव्य में एक राष्ट्र और एक स्वास्थ्य एवं शोध परिषद के गठन पर बल दिया, जिससे देश में शिक्षा एवं अनुसंधान को बहुआयामी मापदंडों के अनुरूप ढाला जा सके। इस अवसर पर सरदार भवान सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. के. सिंह समेत विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के वैज्ञानिक एवं प्रोफेसर्स ने कार्यशाला को संबोधित किया। कार्यशाला की संयोजक प्रियंका उनियाल ने बताया कि इस कार्यशाला से उत्कृष्ट अनुसंधान लेखन में आधुनिक प्रवृत्तियों का समावेश शोधकर्ताओं और विज्ञान से जुड़े छात्रों को अवश्य लाभ मिलेगा।
कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में बतौर मुख्य वक्ता पीजीआईईएम, चंडीगढ़ की टेलीमेडिसिन संकायाध्यक्ष प्रोफेसर मीनू सिंह ने “व्यवस्थित मेटा एनालिसिस” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया, उन्होंने बेहतर विकल्पों के साथ आधुनिकता के समावेश पर जोर दिया।
इनके अलावा ऋषिकेश एम्स के एसोसिएट प्रोफेसर डा. योगेश बहुरूपी, एम्स, सासनगर मोहाली, पंजाब के एसोसिएट प्रोफेसर प्रो. आशीष गोयल ने व्याख्यानमाला में शिरकत की। बताया गया कि कार्यशाला के तहत आगामी दिवसों में “वेरियस स्टैटिस्टिकल फीचर्स रिलेवेंट टू सिस्टेमेटिक रिव्यु” विषय पर एफआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. राजीव पांडेय व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे, जिसमें नैदानिक और सामाजिक शोध कार्यों के बेहतर प्रस्तुतीकरण पर जोर दिया जाएगा।
कार्यक्रम के सह-संयोजक डा. अक्षत उनियाल ने बताया क़ि कार्यशाला में विभिन्न अनुसंधान क्षेत्रों से जुड़े शोधार्थीं और वैज्ञानिक बढ़ चढ़कर प्रतिभाग कर रहे हैं, जिससे चिकित्सा विज्ञान से जुड़े लोगों को बहुआयामी शोध कौशल विकास की आपसी समझ और एक -दूसरे क्षेत्र से जुड़े शोध और विकास को समझने में मदद मिलेगी।