उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आज सोमवार को मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का शुभारंभ करने के साथ ही प्रदेश में कोविड में अनाथ हुए 640 बच्चों को आज से वात्सल्य योजना का लाभ प्रदान किया गया। डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से सीधे खातों में सरकारी आर्थिक सहायता मिलेगी।
सोमवार को आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वात्सल्य योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रदेश में 2347 बच्चों को योजना का लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इन बच्चों के मामा की भूमिका में काम करेंगे। जबकि विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि वह बच्चों की बुआ के रूप में काम करेंगी।
विदित हो कि प्रदेश में कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर ने काफी कहर बरपाया। कई बच्चे अनाथ हो गए जो अपने माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खो चुके हैं। विभाग की ओर से इस तरह के अब तक 2311 बच्चे चिन्हित कर लिए गए हैं, लेकिन फिलहाल 27 फीसदी बच्चों को ही वात्सल्य मिलेगा। जिलाधिकारियों की ओर से इन बच्चों के सत्यापन का काम पूरा कर लिया गया है। जबकि चिन्हित किए गए अन्य बच्चों के सत्यापन की प्रक्रिया अभी चल रही है।
कार्यक्रम में बताया गया कि इसके अलावा पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत भी कोरोना महामारी के कारण अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों को सहायता दी जा रही है। इन बच्चों को 18 साल की उम्र तक आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस दिया जा रहा है। इसके अलावा 18 साल की उम्र में मासिक छात्रवृत्ति एवं 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख का फंड दिया जाएगा।
दून में चिन्हित सबसे अधिक 561 बच्चे
कोविड में अनाथ हुए बच्चों में देहरादून में सबसे अधिक 561 बच्चे चिन्हित किए गए हैं। जबकि टिहरी गढ़वाल में दूसरे नंबर पर 249, ऊधमसिंह नगर में 242, हरिद्वार में 230, पौड़ी गढ़वाल में 213, नैनीताल में 185, उत्तरकाशी में 120 बच्चे चिन्हित किए गए हैं। प्रदेश के दूसरे जिलों में भी इसकी प्रक्रिया जारी है।