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Tuesday, December 17, 2024
Homeहमारा उत्तराखण्डएम्स में हुआ घुटने के ट्यूमर का सफल ऑपरेशन

एम्स में हुआ घुटने के ट्यूमर का सफल ऑपरेशन

  • ऑर्थो विभाग के चिकित्सकों ने निकाला 700 ग्राम का ट्यूमर
  • 18 वर्षीय युवक को पिछले दो साल से थी समस्या

एम्स ऋषिकेश के ऑर्थो विभाग के चिकित्सकों ने 18 वर्षीय युवक के घुटने में उभरे ट्यूमर का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया है। पिछले 2 साल से मरीज इस समस्या से परेशान था और उपचार नहीं होने पर यह समस्या कैंसर में परिवर्तित हो सकती थी। सफल सर्जरी के बाद मरीज को अब आराम है और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

शाहपुर जिला मुरादाबाद (यूपी) निवासी एक 18 वर्षीय युवक पिछले तीन साल से अपने एक घुटने के समीप बनी गांठ से परेशान था और असहनीय दर्द होने के कारण चलने-फिरने में असमर्थ हो गया था। युवक तीन महीने पहले एम्स ऋषिकेश के ऑर्थो विभाग की ओपीडी में पहुंचा, जहां उसने चिकित्सकों को अपनी समस्या से अवगत कराया। ऑर्थो विभाग के चिकित्सकों के अनुसार मरीज की जांच के उपरांत पता चला कि इस मरीज के घुटने और जांघ के मध्य एक बड़ी गांठ उभर आई है जिसने ट्यूमर का रूप ले लिया है। चिकित्सकों ने परीक्षण में पाया कि ट्यूमर का वजन लगभग 700 ग्राम है।

ऑर्थो विभागध्यक्ष प्रोफसर पंकज कण्डवाल के अनुसार इसे ऑस्टियोक्रॉन्डोमा कहते हैं। उन्होंने बताया कि मरीज के पैर में जिस स्थान पर ट्यूमर बन गया था, ठीक उसी स्थान पर पॉपलीटल धमनियां भी थी। ऐसे में सर्जरी करना अत्यंत जोखिमभरा था, लिहाजा यह सर्जरी किसी चुनौती से कम नहीं थी। कारण है कि यदि सर्जरी के दौरान धमनियों को नुकसान पहुंच जाता तो अत्यधिक रक्तस्राव होने के कारण मरीज का जीवन बचना बहुत मुश्किल था।

बावजूद इसके चिकित्सकों ने हाई रिस्क होते हुए भी सर्जरी करने का निर्णय लिया। सर्जरी के बाबत जानकारी देते हुए ऑर्थो विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोहित धींगड़ा ने बताया कि सर्जरी के दौरान यदि पैरों की नसों (पॉपलीटल धमनी) में चीरा लग जाता तो मरीज का जीवन जोखिम में आ सकता था। उन्होंने बताया कि वैसे भी पॉपलीटल धमनी घुटने से सटी होती है।

उन्होंने बताया कि यह एक तरह की जटिल एवं चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी क्योंकि यह ट्यूमर घुटने और उससे सटे पॉपलीटल धमनियों के प्रवाह मार्ग में बन गया था। सफल सर्जरी करने वाली टीम में आर्थो विभाग के डॉ. मोहित धींगरा के अलावा प्लास्टिक सर्जरी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. मधुवरी, एनेस्थेसिया विभागाध्यक्ष डॉ. संजय अग्रवाल सहित ऑर्थो विभाग के डॉ. अर्घव, डॉ. विकास, डॉ. सप्तर्शी आदि शामिल थे।

एम्स के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव मित्तल ने सर्जरी करने वाली चिकित्सकों की टीम को इस सफलता के लिए बधाई दी और बताया कि संस्थान में अस्थि रोगों से संबंधित बीमारियों के उपचार और उनके निदान के लिए उच्च स्तर की सभी आधुनिक मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश मरीजों के बेहतर इलाज के लिए कृतसंकल्पित है और अस्पताल के सभी विभागों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की पर्याप्त टीम उपलब्ध है।

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