उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) संशोधन विधेयक 2025 को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद कानून बन गया है। राजपत्रित अधिसूचना जारी होने के बाद यह कानून लागू हो जाएगा। कानून लागू होते ही राज्य में हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले को छोड़कर शेष 11 जिलों में कोई भी बाहरी व्यक्ति कृषि-बागवानी के लिए भूमि नहीं खरीद सकेगा।
सशक्त भू कानून बनने से हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में कृषि-औद्यानिकी की जमीन खरीदने के लिए जिलाधिकारी के स्तर से अनुमति नहीं मिलेगी, इसके लिए शासन स्तर से ही अनुमति की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी।
नगर निकाय क्षेत्रों को छोड़कर बाकी जगहों पर बाहरी राज्यों के व्यक्ति जीवन में एक बार आवासीय प्रयोजन के लिए 250 वर्ग मीटर भूमि खरीद सकेंगे। इसके लिए उन्हें अब अनिवार्य शपथपत्र देना होगा। औद्योगिक प्रयोजन के लिए भूमि क्रय के नियम यथावत रहेंगे। भू-कानून का उल्लंघन होने पर भूमि सरकार में निहित होगी।
पोर्टल से खरीद प्रक्रिया की निगरानी होगी
पोर्टल के माध्यम से भूमि खरीद प्रक्रिया की निगरानी होगी। सभी जिलाधिकारी राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट भेजेंगे। ज्ञात हो कि राज्य गठन के दो साल बाद बना भू-कानून 23 साल में कई बदलावों से गुजर चुका है।
तीन साल की कवायद के बाद हुआ बदलाव
सशक्त भू-कानून की मांग को देखते हुए धामी सरकार करीब तीन साल से काम कर रही थी। वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने पांच सितंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
समिति ने सशक्त भू-काननू को लेकर 23 सिफारिशें की थीं। सरकार ने समिति की रिपोर्ट और संस्तुतियों के अध्ययन के लिए उच्च स्तरीय प्रवर समिति का गठन भी किया था। इससे पहले कृषि और उद्यानिकी के लिए भूमि खरीद की अनुमति देने से पहले खरीदार और विक्रेता का सत्यापन करने के निर्देश भी दिए थे।