अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में 13वां विश्वस्तरीय एटीएलएस एवं 11वां एटीसीएन प्रशिक्षण कार्यक्रम विधिवत शुरू हो गया। जिसमें एम्स के साथ ही अन्य मेडिकल संस्थानों के 16 चिकित्सक एवं 16 सीनियर नर्सिंग ऑफिसर व नर्सिंग ऑफिसर टर्सरी केयर सेंटर में भर्ती होने वाले दुर्घटना में घायल ट्राॅमा मरीजों के उपचार संबंधी प्रशिक्षण ले रहे हैं।
बृहस्पतिवार को एडवांस सेंटर फॉर कंटिनिवस प्रोफेशनल डेवलपमेंट (एसीसीपीडी विभाग) में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में तीन दिवसीय एटीएलएस एवं एटीसीएन प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया है।
इस अवसर पर निदेशक एम्स ने कहा कि दुनिया का कोई भी ट्रॉमा सिस्टम ट्रेंड ट्रॉमा चिकित्सकों एवं नर्सिंग ऑफिसर्स के बिना प्रभावी नहीं हो सकता। निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों के लिए इस तरह का विश्वस्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम नितांत आवश्यक है, इसकी सबसे मुख्य वजह यह है कि पहाड़ी क्षेत्रों में विभिन्न तरह की दुर्घटनाओं के कारण ट्रॉमा के मामले सर्वाधिक होते हैं, लिहाजा प्रत्येक हैल्थ केयर वर्कर को टर्सरी केयर लेवल पर चिकित्सा कार्य करने के लिए यह प्रशिक्षण लेना जरुरी है, तभी वह दुर्घटना में घायल मरीजों की ठीक प्रकार से देखभाल कर सकते हैं। उनका कहना है कि ट्रॉमा मैनेजमेंट एक टीमवर्क है, लिहाजा उसकी ट्रेनिंग भी विश्वस्तरीय मानकों के तहत कराई जानी जरुरी है।
ट्रेनिंग प्रोग्राम डा. अजय कुमार व दीपिका कांडपाल के संयोजन में आयोजित किया जा रहा है। ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम की अगुवाई में आयोजित एटीएलएस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर प्रोग्राम डायरेक्टर डा. मधुर उनियाल व ट्रेनिंग फैकल्टी डा. फरहान उल हुदा, डा. अजय कुमार,डा. जितेंद्र चतुर्वेदी, डा. दिवाकर कोयल, डा. अंकिता काबि, दिल्ली एम्स ट्रामा सेंटर से डा. दिनेश बगराई ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया, जबकि एटीसीएन कोर्स में महेश देवस्थले, डा. राजेश कुमार, चंदू राज बी., अरुण वर्गीस, जोमोन चाको ने प्रशिक्षणार्थियों को ट्रॉमा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया।