11.3 C
Dehradun
Saturday, April 27, 2024
Homeहमारा उत्तराखण्डदेहरादूनएम्स ऋषिकेश: विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत विभागीय सेमीनार

एम्स ऋषिकेश: विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत विभागीय सेमीनार

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत विभागीय सेमीनार का आयोजन किया गया।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में इस वर्ष की थीम ‘स्तनपान- एक साझा जिम्मेदारी’ विषय पर चिकित्सकों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। सेमीनार में सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर, फैकल्टी मेंबर्स, सीनियर, जूनियर रेजिडेंट्स तथा मास्टर्स ऑफ पब्लिक हेल्थ (एम.पी.एच.) स्टूडेंट्स ने प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम के तहत एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने अपने संदेश में बताया कि स्तनपान हर बच्चे को जिंदगी की सबसे अच्छी शुरुआत देता है। यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे का स्वास्थ्य सही रहे और सही पोषण के साथ ही बच्चे व मां दोनों का भावनात्मक विकास ठीक से हो सके। उन्होंने बताया कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया होने के बावजूद स्तनपान कराना हमेशा आसान नहीं होता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को परिवार के सदस्यों के साथ ही हेल्थ सिस्टम के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है।

निदेशक एम्स ने बताया कि प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारियों के माध्यम से हम नई माताओं व उनके पारिवारिक सदस्यों को स्तनपान कराने के फायदे व सही तरीके के बारे में बता सकते हैं। यदि हम स्तनपान के बाबत लोगों को जागरुक करते हैं तो स्तनपान की दर व नवजात को स्तनपान कराने की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। जिससे बच्चे व मां के साथ साथ समाज को भी लाभ होगा।

कार्यक्रम में विभाग के जूनियर रेजिडेंट डॉ. अजुन यू एन ने नवजात शिशुओं को मां के द्वारा स्तनपान कराने के फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अंतराष्ट्रीय स्तनपान सप्ताह संपूर्ण विश्व में 1991 से हर साल नियमिततौर पर मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य समाज को नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने को लेकर जागरुक करना है।

बताया कि स्तनपान मां के स्वास्थ्य और नवजात के संपूर्ण विकास के लिए नितांत जरुरी है और यदि मां और बच्चा स्वस्थ रहेंगे, तो इससे भविष्य में स्वास्थ्य पर होने वाले अनचाहे खर्च से बचा जा सकता है। लिहाजा आर्थिक उन्नति के लिहाज से भी स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए नवजात शिशुओं को जन्म से कम से कम पांच वर्ष की अवस्था तक स्तनपान कराना जरुरी है।

जूनियर रेजिडेंट डॉ. प्रज्ञा ने इस विषय पर प्रकाशित शोध के माध्यम से बताया कि किस तरह से स्तनपान नवजात बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और मां को किसी भी कारण से होने वाले तनाव के स्तर को कम करने में मददगार साबित होता है। उन्होंने बताया कि स्तनपान मां और बच्चे में गहरा भावनात्मक संबंध बनाने में भी मदद करता है।

सेमीनार में विभाग की एमपीएच की छात्रा डॉ. आकृति जसरोटिया ने सामाजिक स्तर पर स्तनपान के बारे में जनजागरुकता लाने में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ किस तरह से अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकते हैं, इस विषय पर प्रकाश डाला। सेमीनार में कार्यक्रम समन्वयक डा. मीनाक्षी खापरे, डा. संतोष कुमार, डा. स्मिता सिन्हा, डा. अजीत सिंह भदौरिया आदि मौजूद थे।

स्तनपान के फायदे व नुकसान-

मां का दूध बच्चों के लिए सबसे पोषक आहार होता है। मां का दूध बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। मां का दूध बच्चों को कान का इन्फेक्शन, सांस की बीमारी, सर्दी जुकाम, एलर्जी, पाचनतंत्र से जुड़ी बीमारियों व बच्चों में होने वाली ल्यूकेमिया( कैंसर) की दर को भी काफी हद तक कम सकता है।

इसके सेवन से बच्चों का वजन सही दर से बढ़े यह सुनिश्चित करता है। मां का दूध बच्चों के दिमागी विकास में भी मददगार साबित होता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ओवेरियन व ब्रेस्ट कैंसर होने का जोखिम भी काफी हद तक कम हो जाता है। ऐसी महिलाओं का अपने बच्चों से भावनात्मक संबंध अधिक गहरा होता है और इससे इन महिलाओं में पोस्ट पाटम डिप्रेशन जैसी बीमारियां होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं।

RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

- Advertisment -

Recent Comments

error: Content is protected !!