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चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश

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ISRO Chandrayaan 3 landing Updates: चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतर गया। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल ने शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग की।

चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। ऐसा होने पर भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। सिर्फ भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक पल का टकटकी लगाए इंतजार कर रही है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है।

जब चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह को छूने के लिए तैयार है, तब कांग्रेस ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा के बारे में बताया है। कांग्रेस ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा 1962 में INCOSPAR के गठन के साथ शुरू हुई। ये होमी भाभा और विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता के साथ-साथ देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के उत्साहपूर्ण समर्थन का परिणाम था।

एक्स (पूर्व में ट्विटर)  पर एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा 23 फरवरी, 1962 को INCOSPAR (अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति) के गठन के साथ शुरू हुई, जिसका श्रेय होमी भाभा और विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता को जाता है।  उन्होंने कहा कि समिति में देश भर के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों के शीर्ष वैज्ञानिक शामिल हैं जो सहयोग और टीम वर्क की भावना से एक साथ आ रहे हैं।

चंद्रयान-3 की आज लैंडिंग पर CSIR के वरिष्ठ वैज्ञानिक सत्यनारायण ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हम चंद्रमा की सतह को छूने वाले चार (देशों) के विशिष्ट समूह में शामिल होने जा रहे हैं। असफलताएं सबक देती हैं। हमने इनसे बहुत कुछ सीखा है। इसरो ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती है।

इसरो के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि रोवर को लैंडर के चारों ओर 500 मीटर इलाके में घूमता है। इसमें दो पहिये हैं, एक पर हमने इसरो का लोगो उभारा है और दूसरे पहिये पर हमने अशोक स्तम्भ उकेरा है, ताकि जब रोवर चांद की सतह पर चलेगा, तो वो अपनी छाप या पदचिह्न छोड़ेगा। इसरो का लोगो और साथ ही चंद्रमा की सतह पर अशोक स्तंभ। रोवर इमेजर या कैमरा सिस्टम, जिसे हमने रोवर के पीछे लगाया है, जब भी रोवर आगे या पीछे जाएगा, हमेशा इलाके की तस्वीरें लेगा। तो इस तरह हमारा लोगो और अशोक स्तंभ चंद्रमा की सतह पर अंकित हो जाएगा। पिछली बार हमने चंद्रमा की सतह पर भारत का झंडा फहराया था। इस बार हमारे पास चंद्रमा की सतह पर इसरो का विशेष लोगो और अशोक स्तंभ उभरा हुआ होगा।

विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक डॉ. टी. वी. वेंकटेश्वरन ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के उतरने की प्रक्रिया को समझाया है। उन्होंने कहा, “वास्तव में चंद्रयान-थ्री का लैंडर (विक्रम), चंद्रमा के दरवाजे पर है। कुछ घंटों के बाद ये सुरक्षित लैंडिंग करेगा। लैंडर पर दो महत्वपूर्ण कैमरे मौजूद हैं, पहला लैंडर पोजीशन डिटेक्शन कैमरा और दूसरा खतरे का पता लगाने और बचाव करने वाला कैमरा, इनका परीक्षण किया जा चुका है। लैंडर पर लगा कैमरा वास्तव में नीचे चंद्रमा की सतह का एक स्नैपशॉट लेगा। ये इसे एक तरफ रखेगा और उसकी तुलना चंद्रयान-टू की तस्वीरों से करेगा, जो पहले से ही उसकी मेमोरी में फीड है। इसके बाद ये बताएगा कि यान की वर्तमान स्थिति क्या है? खतरा टालने वाला कैमरा वास्तव में लैंडर के ठीक नीचे चंद्रमा की सतह पर खतरों का पता लगाएगा। ये एक ऐसे स्थान की तलाश करेगा, जो काफी हद तक समतल हो और यान को उस स्थान पर उतरने के लिए मार्गदर्शन करेगा।”

चंद्रयान-3 मिशन को लेकर इसरो ने अपने कमांड सेंटर की दो तस्वीरें जारी की हैं। एक्स पर किए गए पोस्ट में इसरो ने बताया कि लैंडर मॉड्यूल की लैंडिंग की प्रक्रिया 17.44 पर शुरू हो जाएगी। सेंटर से कमांड मिलने के बाद लैंडर मॉड्यूल अपने इंजनों को शुरू करेगा और मिशन ऑपरेशन टीम लगातार इसे कमांड भेजेगा। इस पूरी प्रक्रिया का लाइव टेलीकास्ट शाम 5 बजकर 20 मिनट से शुरू हो जाएगा।

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