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Monday, December 16, 2024
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सरकार ने किया सदन में 11321 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश

उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार से शुरू हुआ। पहले दिन सीएम धामी समेत सदन में मौजूद सभी सदस्यों ने पूर्व कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन पर शोक व्यक्त कर श्रद्धांजलि दी। आज सत्र के दूसरे अनुपूरक बजट पेश किया गया।

सरकार ने सदन में 11321 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया। सीएम धामी की मौजूदगी में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने शाम चार बजे बजट सदन पटल पर रखा।

नियम 58 के तहत मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विपक्ष को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि  इस बार बारिश बहुत ज्यादा हुई है। 2023-24 में वर्तमान तक 45650 प्रभावित परिवार को 30.40 करोड़ की धनराशि दी गई है।  हरिद्वार का सर्वे जारी। राज्य आपदा मोचन निधि से 301 करोड़ अग्रिम रूप से आवंटित किए।

प्रदेश में बारिश के कारण 111 जनहानि हुई, 172 लोग घायल हुए। प्रदेश में बारिश से 1344 करोड़ का नुकसान हुआ है। आपदा के लिए दो हेलीकॉप्टर लगाए गए थे। जोशीमठ में 150 परिवार को 33.50 करोड़ की सहायता राशि दी गई। 296 प्रभावित परिवार को राहत कैंप में रखा गया। 324 परिवार को 1 लाख प्रति परिवार की दर से अतिरिक्त राहत। सामान स्थानांतरित करने को 50 हजार प्रति परिवार दिया गया है।

ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर ने कहा कि आपदा ने सरकार की कलई खोल दी है। 20 दिन तक ट्रांसफार्मर नहीं रखे गए। आपदा में किसी प्रकार की मदद नहीं मिली।  खेत बह गए। किसानों की मदद को कोई तैयार नहीं। आपदा में मुआवजे की राशि बढ़ाई जाए। यूपी की तर्ज पर किसानों की एक साल की बिजली माफ हो और उनका ऋण भी माफ हो। पूरे हरिद्वार जिले के साथ ही प्रदेश को आपदा क्षेत्र घोषित किया जाए।

विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि हर जिले में प्रभारी मंत्री बनाये गए हैं, लेकिन कोई भी बैठक आपदा से पूर्व नहीं ली जाती है। इस बार बरसात में 60 फीसदी लोगों के घरों में पानी भरा।  पूरे तराई क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है। रजिस्ट्री की जमीन के बह जाने के बाद महज 1.25 लाख मुआवजा दिया जाता है। वहीं, विधायक अनुपमा रावत ने कहा कि तटबंधों के लिए आपदा का इंतजार किया जाता है। हरिद्वार के कांगड़ी गांव बहने की कगार पर है। तटबंध बनाने के लिए कट्टे मिट्टी से भरकर रखते हैं। किसानों को मात्र 1175 प्रति बीघा मुआवजा दिया जा रहा है। जबकि कम से कम 15 हजार का खर्च आता है।

भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने कहा कि जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी/डीएम बरसात से पहले जिले के विधायकों के साथ बैठक करें। साथ ही उनसे प्रस्ताव लें, जिससे कि आपदा में बचाव हो सके, लेकिन अधिकारी सुनते नहीं हैं।  आपदा में खंबे टूटे, लेकिन आज तक ठीक नहीं हुए। 12 विद्यालय ऐसे हैं, जहां बारिश में छुट्टी करनी पड़ती है। उन्होंने  मानकों में परिवर्तन की मांग की।

प्रतापनगर विधायक विक्रम नेगी ने कहा कि उत्तराखंड जंगल, चट्टानों, घाटी-चोटी, ग्लेशियर का प्रदेश है। यहां हर साल बारिश की वजह से बड़े स्तर पर भूमि का कटाव होता है। इसलिए दैवीय आपदा के नियमों में बदलाव की जरूरत है।

सदन में विधायक तिलक राज बेहड़ ने विशेषाधिकार हनन का प्रश्न उठाया। वहीं पीठ ने हर हाल में विधायकों के प्रोटोकाल का ध्यान रखने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव को सभी जिलाधिकारियों और प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश जारी करने के लिए कहा गया। कहा विधायकों का फोन उठाने पर अधिकारियों को माननीय शब्द का उद्बोधन करना होगा।

टिहरी में सिंगटाली पुल निर्माण की मांग को लेकर यहां के लगभग 200 लोग भी विधानसभा कूच के लिए पहुंचे। इन लोगों को पुलिस ने शास्त्री नगर बैरियर पर रोका।

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