देहरादून। राज्य में संस्कृत शिक्षा की नियमावली तैयार कर विभाग की गतिविधियों को बढ़ाया जायेगा। राज्य में स्थापित संस्कृत परिषद, संस्कृत आकदमी व संस्कृत निदेशालय की जिम्मेदारियां नियत की जायेगी। इसके साथ ही संस्कृत विश्वविद्यालय के माध्यम से प्रदेश में संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में शोध कार्यों को बढ़ावा दिया जायेगा।
कैबिनेट मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने आज विधानसभा स्थित अपने कार्यालय में संस्कृत शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि देश के अन्य राज्यों में संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में किये गये अभिनव कार्यों का अध्ययन कर नई नियमावली तैयार करें। इसके लिए उन्होंने विभाग के उच्च अधिकारियों को तीन सदस्यीय समिति का गठन करने के निर्देश विभागीय सचिव को दिये।
उन्होंने कहा कि समिति एक माह के भीतर नई नियमावली का ड्राफ्ट तैयार करेगी, जिसका अध्ययन करने के पश्चात नियमावली को अंतिम रूप दिया जायेगा। विभागीय मंत्री ने कहा कि संस्कृत के क्षेत्र में शोध कार्यों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिसकी जिम्मेदारी उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय को सौंपी जायेगी।
विभागीय मंत्री द्वारा अधिकारियों को संस्कृत शिक्षा के अंतर्गत सौ दिनों का टारगेट तय करने के निर्देश दिये गये। जिसके अंतर्गत संस्कृत विद्यालयों में शिक्षण एवं शिक्षणेत्तर गतिविधियों की एकरूपता लाने के लिए शैक्षिक पंचांग लागू करने, राज्य के 13 आदर्श संस्कृत ग्रामों का निर्माण एवं विस्तार करने, ज्योतिष वास्तु, पुरोहित्य प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन करने, अखिल भारतीय संस्कृत शोध सम्मेलन आयोजित करने, संस्कृत छात्र प्रतियोगिता सहित गीता मास महोत्सव, कालिदास सम्पात महोत्सव, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आदि कार्यक्रम शामिल करने को कहा गया। डॉ0 रावत ने अधिकारियों को राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा संस्थान भारत सरकार द्वारा राज्यों को दी जाने वाली विभिन्न परियोजनाओं एवं वित्तीय सहायता के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने को कहा।
बैठक में सचिव संस्कृत शिक्षा चन्द्रेश कुमार, संयुक्त सचिव बी.पी. सिंह, निदेशक संस्कृत शिक्षा एस.पी. खाली, सचिव संस्कृत शिक्षा परिषद भूपेन्द्र सिंह नेगी, उप सचिव प्रदीप नौटियाल, अनुसचिव अरूण कुमार, वित्त अधिकारी संस्कृत अकादमी कन्हैया राम कार्की, अनुभाग अधिकारी संजय कुमार सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।