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Friday, December 13, 2024
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Diwali : आतिशबाजी ने दून में वायु प्रदूषण का स्तर पांच गुना तक बढ़ाया

दिवाली की रात जमकर हुई आतिशबाजी ने दून में वायु प्रदूषण का स्तर पांच गुना तक बढ़ा दिया है। पटाखों से निकले धुएं से राजधानी का एक्यूआई 288 तक पहुंच गया। दीपावली के दिन 24 घंंटे में बढ़े प्रदूषण के कारण शहर की हवा को खराब श्रेणी में रखा गया है। हालांकि आमजन में जागरूकता के कारण पिछले साल की अपेक्षा दिवाली पर इस बार कम वायु प्रदूषण हुआ। इसे लेकर प्रदूषण नियंत्रण विभाग समेत आम लोगों ने राहत की सांस ली है।

गौैरतलब है कि देहरादून में पिछले एक सप्ताह में न्यूनतम एक्यूआई 56 दर्ज किया गया था, जो 31 अक्तूबर को 288 तक पहुंच गया। इससे दून की आबोहवा बिगड़ गई। एक सप्ताह में ही एक्यूआई अच्छे व संतोषजनक स्थिति से खराब श्रेणी में पहुंच गए। दून विश्वविद्यालय क्षेत्र में भी वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा हुआ। यहां का एक्यूआई 276 दर्ज किया गया। क्षेत्रीय अधिकारी अमित पोखरियाल ने बताया कि पिछले साल दीपावली पर 24 घंटे में एक्यूआई क्लाक टावर में 333 व व नेहरू कालोनी में 349 दर्ज किया गया था, जो कि इस साल 300 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया।

शून्य से लेकर 50 एक्यूआई स्तर को सेहत के लिए ठीक माना जाता है। जबकि 51 से 100 तक संतोषजनक, 101 से 200 तक का एक्यूआई स्तर मध्यम, 201 से 300 को खराब, 301 से 400 तक को बेहद खराब और 401 से लेकर 500 तक एक्यूआई स्तर को सेहत के लिहाज से बेहद गंभीर माना जाता है।

दून के प्रदूषण में पार्टिकुलेट मैटर खराब श्रेणी में दर्ज
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार अगर एक्यूआई 50 तक है, तो खुली हवा में सांस लेना सुरक्षित है। इससे ज्यादा का मतलब हवा में प्रदूषण है। दून में पटाखों से हुए वायु प्रदूषण में पीएम 10 व पीएम 2.5 के आंकड़े भी खराब श्रेणी में दर्ज किए गए। दरअसल पीएम 2.5 और पीएम 10 वायु गुणवत्ता को मापने का पैमाना है, पीएम का मतलब है पार्टिकुलेट मैटर जो कि हवा के अंदर सूक्ष्म कणों को मापते हैं। पीएम 2.5 और 10 हवा में मौजूद कणों के आकार को मापते हैं। हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 और पीएम 10 की मात्रा 100 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है। गैसोलीन, तेल, डीजल ईंधन या लकड़ी के दहन से पीएम 2.5 का अधिक उत्पादन होता है। अपने छोटे आकार के कारण, पार्टिकुलेट मैटर फेफड़ों में गहराई से खींचा जा सकता है और पीएम 10 की तुलना में अधिक हानिकारक हो सकता है। इस बार दून के प्रदूषण में पार्टिकुलेट मैटर खराब श्रेणी में दर्ज किए गए।

सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर
वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है। प्रदूषण से शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। वायु प्रदूषण से कई बार शरीर में चकत्ते, स्किन में झुर्रियां, एलर्जी जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। प्रदूषित हवा से आंखों में जलन, खुजली, पानी आना जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों को आती है जो सांस के मरीज और अस्थमा के मरीज है।

दीपावली पर पिछले साल से एक्यूआई की तुलना

स्थान 2024 2023
घंटाघर 288 333
नेहरू कालोनी 243 349
ऋषिकेश 173 63
टिहरी 93 000

पिछले साल की तुलना में पीएम 10 भी सुधरा

स्थान 2024 2023
घंटाघर 254.39 307.15
नेहरू कालोनी 179.99 340.59
ऋषिकेश 187 198.57
टिहरी 88 128.12

पीएम 2.5 के आंकड़ों से भी राहत
स्थान                2024           2023
घंटाघर             116.50          63
नेहरू कालोनी   103            183

दिवाली पर जब देहरादून में अधिकतम वायु प्रदूषण दर्ज (31 अक्तूबर)
रात 10 बजे-  182      316     151
रात 11 बजे- 190        375     202
रात 12 बजे-  190        375    02

एक नवंबर —
समय               एक्यूआई     पीएम 2.5      पीएम 10
रात्रि एक बजे      209            428             295
रात 2 बजे          209            428              295
तड़के 3 बजे       236            500              411
तड़के 4 बजे        245           500              411
तड़के 5 बजे       252            500              411
सुबह 6 बजे         262           500               411
सुबह 7 बजे         272           500               411
सुबह 8 बजे         276            500              411
सुबह 9 बजे          272           500              411
सुबह 10 बजे        269           500              411
सुबह 11 बजे        276            500              411

नोट – आंकड़े प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार

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