मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को राजभवन लखनऊ में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल से शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल को स्मृति चिन्ह के रूप में भगवान केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति तथा रुद्राक्ष का पौधा उपहार स्वरूप भेंट किया।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को शॉल और दो पुस्तकें ‘लोकहित के मुखर स्वर’ तथा ‘वो मुझे हमेशा याद रहेंगे’ देकर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री धामी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से उनके लखनऊ स्थित आवास पर शिष्टाचार भेंट की। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया। इसके साथ ही उन्होंने शाल एवं विधान सभा का मोमेंटो भी मुख्यमंत्री को भेंट किया।
मुख्यमंत्री श्री धामी ने भी शाल एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित का स्वागत किया। विधानसभा अध्यक्ष श्री दीक्षित ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री को स्वरचित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय द्रष्टा, दृष्टि और दर्शन, अथर्ववेद का मधु, ज्ञान का ज्ञान, मधु अभिलाषा हिन्द स्वराज्य का पुनर्पाठ, राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ अर्न्तसंवाद एवं संसदीय दीपिका की मासिक पत्रिका भी भेंट की।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पण्डित दीनदयाल उपाध्याय पर लिखी पुस्तक के लेखन शैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं एवं भारतीय सांस्कृतिक एवं आर्थिक दर्शन का जिस तरह विश्लेषण किया गया है, वह जन-जन के लिए उपयोगी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे लखनऊ विश्वविद्यालय से पढ़े हैं।
यहां के विद्यार्थी जीवन से लेकर राजनीति के क्षेत्र में आने तक उनका लखनऊ से जुड़ाव रहा है। लखनऊ प्रवास के बीच उनकी विश्व संवाद केन्द्र में विधानसभा अध्यक्ष श्री दीक्षित जी से भेंट होती रहती थी। उन्हें राजनैतिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मामलों में श्री दीक्षित का सदैव मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा है।
इन सब स्मृतियों का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें प्रथम बार लखनऊ आने का अवसर प्राप्त हुआ है। लखनऊ आने पर सर्वप्रथम उन्होंने अपने अग्रजों और मार्गदर्शकों से भेंट करने का कार्यक्रम बनाया है। अध्यक्ष जी से भेंट कर उन्हें काफी प्रसन्नता हुई है। उनकी पुस्तकें और उनके सम्पादकीय लेख उन्हें सदैव प्रेरणा देते रहे हैं और भविष्य में भी प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगे।