राज्य सरकार के अधीन सेवारत विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए एम्स ऋषिकेश ने कोविड 19 रोगियों की गंभीर देखभाल पर एक उन्नत प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें हरियाणा सरकार के मेडिकल संस्थानों व जिला स्तरीय अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया गया। जल्द ही एम्स द्वारा उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के चिकित्सकों के लिए भी प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में कोविड-19 रोगियों की गंभीर देखभाल और वेंटिलेटर प्रबंधन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जेएचपीआईजीओ, यूएसएआइडी, आरआइएसइ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय व हरियाणा सरकार के सहयोग से आयोजित कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न राज्य सरकारों के विशेषज्ञ चिकित्सकों को प्रशिक्षित करना और जिला स्तर के अस्पतालों में उन्नत गंभीर देखभाल प्रदान करना है।
कार्यशाला में शामिल होने वाले प्रतिभागियों के पहले बैच में हरियाणा सरकार के विभिन्न जिला और सिविल अस्पतालों के फ्रंटलाइन विशेषज्ञ शामिल हुए। कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि एम्स ऋषिकेश के निदेशक और सीईओ पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को बहुलाभकारी बताया। उन्होंने जिला स्तर के अस्पतालों में सेवारत प्रतिभागी चिकित्सकों को मरीजों की महत्वपूर्ण देखभाल और अन्य उन्नत उपचार के तौर-तरीकों का गहन प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने कहा कि शैक्षणिक वृद्धि और नई-नई जानकारियां लेने व सीखने के लिए प्रत्येक चिकित्सक को नैदानिक और प्रशासनिक कर्तव्यों के प्रति सप्ताह में कम से कम 2 से 3 घंटे का समय निकालना चाहिए। डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता जी ने उदाहरण प्रस्तुत करते हुए गैर-शैक्षणिक संस्थानों से अनुसंधान के महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला के समन्वयक प्रो. देवेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि उत्तराखंड और अन्य राज्यों के विशेषज्ञों के लिए भी इसी तरह के कार्यक्रमों की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत शीघ्र ही इस प्रकार की कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने अत्याधुनिक सिमुलेटर का उपयोग करके महत्वपूर्ण देखभाल सिद्धांतों और यांत्रिक वेंटिलेशन पर प्रशिक्षण प्राप्त किया।
कार्यशाला में कोविड19 की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर कोविड-19 ग्रसित रोगियों के उपचार के लिए जरुरी सावधानियां बरतने को कहा गया। साथ ही प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार के वेंटिलेटरों की कार्यप्रणाली के तौर-तरीकों और विभिन्न बीमारियों के लिए विशिष्ट रणनीतियों के बारे में भी विस्तार से समझाया गया।
कार्यशाला में एनेस्थिसियोलॉजी विभाग से डॉ. डीके त्रिपाठी, डॉ. अंकित अग्रवाल, डॉ. गौरव जैन, डॉ. प्रवीण तलवार, डॉ. भावना गुप्ता, डॉ. मृदुल धर, डॉ. समीर शर्मा, डॉ. उदय चंद्रन, डॉ. सौरव चंद्राकर, जनरल मेडिसिन विभाग से डॉ प्रसन्न कुमार पांडा, पल्मोनरी मेडिसिन से डॉ. प्रखर शर्मा, इमरजेंसी मेडिसिन से डॉ. भारत भूषण भारद्वाज, डॉ. अंकिता काबी, बाल रोग विभाग से डॉ. नीलाद्री भुनिया आदि मौजूद थे।