Home हमारा उत्तराखण्ड सोशल मीडिया पर किसने जताई गांव में नमक और तेल लगे काफल...

सोशल मीडिया पर किसने जताई गांव में नमक और तेल लगे काफल खाने की इच्छा, पढ़े

0
772
सोशल मीडिया पर किसने जताई गांव में नमक और तेल लगे काफल खाने की इच्छा, पढ़े
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय रहते हैं। आज उन्होंने अपने पोस्ट के जरिये जहां गांव में नमक और तेल लगे काफल खाने की इच्छा जताई है, वही हनुमान चालीसा का पाठ करने की बात कही है।  अपनी पोस्ट में श्री रावत ने लिखा है कि कुछ दिनों से मेरा मन अपने गांव में नमक और तेल लगे काफल खाने को कह रहा है।
मन के एक हिस्से में यह भी भाव है कि रोटी के साथ प्याज का थेचुआ और चुआरू की चटनी का स्वाद लिया जाय, मगर इसके लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा। मैं इस बार गांव में काफल को ड्राई करके भी स्वादिष्ट बनाए रखा जा सकता है या नहीं, या प्रिजर्वेटिव डालकर कितने दिनों तक उसके स्वाद व गुणों को बरकरार रखा जा सकता है, उस पर भी काम करना चाहता हूं। यही काम में हिंसालू और किल्मोड़ा पर भी करना चाहता हूं।
पहले जब मैं गांव जाता था तो मार्च-अप्रैल में मुझे कैरूवे की सब्जी बहुत खाने को मिलती थी, ऐसा लग रहा है कि कैरूवा धीरे-धीरे प्रचलन से बाहर हो रहा है। जबकि एक बहुत ही जुटिटियस सब्जी है। खैर इस समय मन में यह है कि मोहनरी पहले जाऊं या माँ गंगा के किनारे एक कहीं पर हरिद्वार में एक कुटिया में 10 दिन पर प्रवास कर मां गंगा से और मां गंगा के जल से भगवान दक्षेश्वर को जलाभिषेसित कर अपनी उन गलतियों के लिए क्षमा मांगू, जिनके कारण हर चुनाव में सर्वाधिक दंड मुझ ही को भुगतना पड़ता है!
कितना अजीब है मैंने पूरी पार्टी के लिए उत्तराखंडियत का एक कवच तैयार किया, जिस कवच का भेदन भाजपा नहीं कर पाई और प्रधानमंत्री जी को खुद टोपी पहनकर उत्तराखंडियत के महत्व को स्वीकारना पड़ा, मगर मैं उत्तराखंडियत के मायके लालकुआं में बुरी तरीके से पराजित हो गया, ऐसा लग रहा है जैसे चुनकर के मुझे बूथ दर बूथ दंडित करने का वो इंतजार कर रही थे, जीत-हार होती हैं। मगर विचार की हार नहीं होनी चाहिए।
लेकिन मेरा मानना है जो विचार 2014 में मैंने इनसेट किया/आगे बढ़ाया, वहीं विचार उत्तराखंड में पलायन, बेरोजगारी, गरीबी, खाली होते गांवों की जिंदगी आदि का समाधान है। मैं किसी को न हरिद्वार व उधमसिंहनगर के और न कहीं सीमांत जनपदों के लिये कोई नया ऐसा विचार लेकर के आगे बढ़ता हुआ नहीं देख रहा हूं, जिसके आधार पर कहा जाए कि उत्तराखंड इस पर बढ़ते हुए अपनी चुनौतियों का समाधान निकालेगा, तो मैं माँ गंगा, भगवान शिव से यह जरूर प्रार्थना करूंगा, भगवन आप गंगा के जल से जलाभिषेसित होकर जरा मार्गदर्शन करिए, कहीं जिन बातों को मैं कह रहा हूं, उनसे इतर तो कुछ समाधान उत्तराखंड की समस्याओं का नहीं है!
शरीर भी कमजोर हो रहा है। चाहता हूं 8-10 दिन हनुमान जी की मूर्ति के सामने मैं, हनुमान चालीसा का पाठ भी पढ़ूं। मगर काफल इस बार मैं किसी भी रूप में मिस नहीं करना चाहूंगा और वह भी अपने गांव में नमक व तेल के साथ सने हुए काफल।

No comments

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!