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Friday, December 13, 2024
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एम्स में राज्यभर के फिजिशियनों की वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के अंतर्गत तीन दिवसीय फिजिशियन (डॉक्टर्स) प्रशिक्षण कार्यशाला विधिवत शुरू हो गई। जिसमें ट्रेनर्स द्वारा उत्तराखंड के लगभग सभी जनपदों से आए प्रतिभागी चिकित्सकों को नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। 

इस मौके पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर डॉ. रवि कांत ने अपने सन्देश में कहा कि नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के अंतर्गत मिल रही सुविधाओं का अधिकतम लाभ उठाने के लिए यह जरूरी है कि हर स्तर पर स्वास्थ्य कर्मचारी सरकार द्वारा जारी इस कार्यक्रम का प्रशिक्षण प्राप्त करें और इससे जुड़ी अहम जानकारियां लें।

उन्होंने बताया कि वायरल हेपेटाइटिस को राज्य में एक सामाजिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में खत्म करने के लिए फिजिशियंस का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। लिहाजा हमें उम्मीद है कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के बाद राज्य के अलग- अलग जिलों से आए डॉक्टर्स वायरल हेपेटाइटिस के मरीजों को सही व सुगम उपचार उपलब्ध करने में अधिक सक्षम हो सकेंगे।

निदेशक एम्स ने बताया कि भविष्य में भी इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम सततरूप से जारी रखे जाएंगे और किसी भी तरह की सहायता के लिए एम्स ऋषिकेश और नेशनल वायरल हेपेटाइटिस मैनेजमेंट यूनिट, उत्तराखंड हमेशा चिकित्सकों के सहयोग के लिए उपलब्ध रहेंगे।

इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में नोडल अफसर नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम, उत्तराखंड के नोडल ऑफिसर डॉ मयंक बडोला, संस्थान के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ रोहित गुप्ता, कम्युनिटी एंड फेमिली मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजीत सिंह भदौरिया, कोरोनेशन हॉस्पिटल देहरादून केफिजिशियन डॉ. एन. एस. बिष्ट, एम्स के एनाटोमी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ पूजा भदोरिया व गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आनंद बतौर मास्टर ट्रेनर शामिल रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए नोडल ऑफिसर डॉ. मयंक बडोला ने राज्य में उपरोक्त प्रोग्राम के अंतर्गत चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने हेपेटाइटिस ए और इ की रोकथाम में स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया, खासकर साफ पानी की उपलब्धता व स्वच्छ पानी ही इस्तेमाल करने पर जोर दिया।

डॉ. अजीत सिंह भदौरिया ने विश्वभर, देश और राज्य में वायरल हेपेटाइटिस के स्तर, वायरल हेपेटाइटिस की रोकथाम के तौरतरीकों और हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन के बाबत बताया। डॉ. पूजा भदौरिया ने बताया कि हेपेटाइटिस वायरस लिवर की संरचना को किस तरह प्रभावित करता है। फिजिशियन डॉ. एन. एस. बिष्ट ने वायरल हेपेटाइटिस के कारण और लक्षणों पर प्रकाश डाला।

डॉ. आनंद ने वायरल हेपेटाइटिस के संक्रमण का पता लगाने के लिए की जानी वाली जरुरी जांचों की जानकारी दी। कार्यशाला के पहले दिन के ट्रेनिंग प्रोग्राम के बाद प्रशिक्षण लेने आए चिकित्सकों ने बताया कि वह अपने जनपदों में अब तक वायरल हेपेटाइटिस के मरीजों का उपचार किस तरह से करते रहे हैं और इसमें उन्हें क्या समस्याएं आती हैं।

इस दौरान डॉ. रोहित गुप्ता, डॉ. मयंक बडोला और डॉ. अजीत सिंह भदौरिया ने आने वाले समय में इन सभी समस्याओं का यथासंभव समाधान करने का भरोसा दिलाया और चिकित्सकों से इस कार्यक्रम के ठीक प्रकार से संचालन के लिए सहयोग का अनुरोध किया।

ट्रेनिंग प्रोग्राम में उत्तराखंड के सभी १३ जिलों से फिजिशियन वायरल हेपेटाइटिस प्रशिक्षण के लिए शामिल हुए। जिनमें अल्मोड़ा से डॉ. हरीश चंद्र, बागेश्वर से डॉ. चंद्रमोहन सिंह, चमोली से डॉ. अमित जैन, चम्पावत से डॉ. अमित गुप्ता, पौड़ी गढ़वाल से डॉ. महेश पाल, हरिद्वार से डॉ. संदीप टंडन, रुद्रप्रयाग से डॉ. संजय तिवारी, टिहरी गढ़वाल से डॉ. सुनीता कुमारी, उत्तरकाशी से डॉ. सुबेग सिंह, देहरादून से डॉ. एन. एस. बिष्ट, एम्स ऋषिकेश के कम्युनिटी और फेमिली मेडिसिन विभाग से जूनियर रेसिडेंट्स डॉ. प्रकाश कुमार और डॉ. प्रज्ञा आदि शामिल थे।

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