उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी है। आज गुरुवार को इस मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यात्रा पर लगाई रोक के 28 जून के निर्णय को वापस ले लिया है। कोर्ट ने कोविड के नियमों का पालन करते हुए चारधाम यात्रा शुरू करने के आदेश दे दिए हैं। चारधाम यात्रा के लिए राज्य सरकार नई एसओपी जारी करेगी।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष इस प्रकरण पर आज गुरुवार को सुनवाई हुई। विदित हो कि 10 सितंबर को सरकार ने कोर्ट से मामले की जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तिथि नियत की थी।
ज्ञातव्य है कि हाईकोर्ट ने 26 जून को कोविड की वजह से चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की थी, लेकिन पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस ले ली।
सरकार ने 10 सितंबर को हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेने, राज्य में कोविड के कम मामले आने समेत कोविड नियमों के अनुपालन का पक्ष रखते हुए चारधाम यात्रा पर लगी रोक को हटाने की मांग की थी।
इस मामले में कई याचिकाकर्ताओं ने बाहरी राज्यों से आ रहे लोगों की राज्य की सीमा पर ही कोविड जांच के लिए जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इसी जनहित याचिका पर कुंभ मेले और चारधाम यात्रा को संबद्ध किया था।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमण अब नियंत्रण में है। ऐसे में यात्रा से रोक हटाई जाए। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि केदारनाथ धाम में 800 यात्री, बदरीनाथ धाम में 1200 यात्री, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 यात्रियों को प्रतिदिन जाने की अनुमति होगी। यात्री किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।
हर यात्री को कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीन सर्टिफिकेट लाना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवश्यकतानुसार पुलिस फोर्स तैनात करने के निर्देश भी दिए हैं।