11.3 C
Dehradun
Friday, April 26, 2024
Homeहमारा उत्तराखण्डउत्तराखंड: सियासी सफलता की गारण्टी हैं 'भगतदा'

उत्तराखंड: सियासी सफलता की गारण्टी हैं ‘भगतदा’

पुष्कर रावत  

उत्‍तराखण्‍ड की राजनीति में भगत सिंह कोश्यारी का किरदार बेहद अहम है। राज्य बनने से लेकर अब तक वे सक्रिय हैं। कहा जा सकता है कि यहां की राजनीति में उनकी प्रासंगिकता बढ़ी ही है। भले ही वे महज छह महीने के लिए मुख्यमंत्री रहे हों, लेकिन भाजपा में उनका जैसा पावर सेंटर दूसरा नहीं दिखता।

आज भी यहां की सियासी बिसात का एक सिरा महाराष्ट्र के गवर्नर हाउस से जुड़ा हुआ है। ध्यान देने वाली बात है कि कोश्यारी की शागिर्दी में जितने भी नेता हुए, सबने राजनीति में सफलता हासिल की है या कर रहे हैं। यानी भगत दा वो बरगद हैं, जिसके नीचे आसानी से अन्य पेड़ भी पनप गए। राज्य में अगली पांत के कई भाजपा नेताओं से लेकर नई पीढ़ी के सफल युवा नेता कोश्यारी कैंप से ही ताल्लुक रखते हैं।

उत्तराखण्ड के अन्य बड़े नेताओं पर नजर डालें तो भाजपा में ही पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी अब हाशिए पर चले गए हैं। उम्र के साथ ही उनका कैंप भी कमजोर होता चला गया। अब केवल उनकी बेटी ऋतु खंडूड़ी को ही उनकी एकमात्र राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है।

कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत भी की स्थिति भी कुछ ऐसी ही हो चली है। हरीश रावत ने भी कांग्रेस के लिए नेताओं की फौज खड़ी की। लेकिन पता नहीं किन वजहों से अधिकांश नेता उनके विरोधी होते चले गए। पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी गाहे बगाहे सूबे की सियासत में हलचल मचा देते हैं।

उनके समर्थकों की कतार भी लंबी है। इन सबसे भगतदा इसी मायने में अलग हैं कि उन्होंने अपने कैंप के नेताओं को जड़ें जमाने का पूरा मौका दिया। निर्विवाद छवि, सादा जीवन और पार्टी के प्रति निष्ठा् उनकी यूएसपी रही है। जिसने उन्हें महाराष्ट्र जैसी काजल की कोठरी में बेदाग रखा हुआ है।

RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

- Advertisment -

Recent Comments

error: Content is protected !!