उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर की जीर्ण-शीर्ण छतरी का पूजा-अर्चना और विधि-विधान के साथ जीर्णोद्धार शुरू कर दिया गया है। श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी), दानीदाता के सहयोग से देवदार की लकड़ी ने नई छतरी तैयार करवा रहा है। इसके साथ ही मंदिर के कलश का भी संरक्षण किया जाएगा, जिसके लिए उसे उतारा गया है।
पंचकेदार में तृतीय तुंगनाथ मंदिर को विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित शिवालय माना जाता है। यहां भगवान आशुतोष के बाहु भाग की पूजा होती है। इस वर्ष 26 अप्रैल से शुरू हुई तृतीय केदार की यात्रा में अभी तक 66 हजार से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंच चुके हैं।
बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखा गया है। विशेषज्ञों की राय से मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
रविवार सुबह पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार के बाद तुंगनाथ मंदिर के कलश को उतारने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान बाबा तुंगनाथ और भूतनाथ (भैरवनाथ) की पूजा की गई। भूतनाथ और मां भगवती कालिंका के पश्वा से कलश उतारने की आज्ञा ली गई। इसके बाद दस्तूरधारी मंदिर के शिखर पर पहुंचे तथा कलश को उतारकर मंदिर परिसर में लाए। कलश को गर्भगृह में रखा गया।
यहां प्रतिदिन कलश की पूजा की जाएगी। इस मौके पर दानीदाता संजीव सिंघल के प्रतिनिधि सहित मंदिर समिति के सहायक अभियंता विपिन तिवारी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवाण आदि मौजूद थे।