तकनीक के इस दौर में जो कोडिंग का किंग बना, वो दुनिया पर राज करेगा। कोडिंग की इसी अहमियत को समझते हुए देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में लाक्षागृह हैकथन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विजेता टीम को 50 हज़ार रुपये प्रदान किये गए।
देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में आयोजित दो दिवसीय लाक्षागृह हैकथन को आयोजित करने का उद्देश्य छात्रों को चुनौतीपूर्ण माहौल देना था, जिसके बीच वो अपनी तकनीकी सोच को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकें और साथ ही टीम भावना के साथ समस्याओं से निपटने का समाधान ढूंढ सकें।
प्रतियोगिता के उदघाटन अवसर पर कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की डीन डॉ. रितिका मेहरा ने कहा कि कुछ समय पहले तक कोडिंग के बारे में कोई जानता नहीं था, लेकिन आज नयी पीढ़ी कोडिंग के बारे में अच्छे से जानती और समझती है, और साथ ही इस क्षेत्र में अपने भविष्य कि संभावनाओं को तलाश भी रही है। इसलिए इस क्षेत्र में प्रतियोगिता काफी बढ़ चुकी है।
लाक्षागृह हैकथन का उद्देश्य भी यही है कि छात्रों को चुनौतीपूर्ण वातावरण में टीम भावना के साथ लक्ष्य को भेदते हुए आगे बढना सिखाया जा सके। इस दौरान हैकथन में छात्रों ने बढचढकर हिस्सा लिया और टीम भावना का परिचय देते हुए अपने दिमाग के घोड़े दौडाए| फाइनल में पहुंची टीमों को कोड क्रैक करने के लिए तीन घंटे का समय दिया गया था, जिसमें प्रथम स्थान हासिल करने वाली टीम को 50 हज़ार रुपये प्रदान किये गए।
प्रतियोगिता का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संजय बंसल और उपकुलाधिपति अमन बंसल की देखरेख में संपन्न हुआ। इस दौरान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर (डॉ.) प्रीति कोठियाल,उपकुलपति प्रोफ़ेसर (डॉ.) आरके त्रिपाठी, कार्यक्रम संयोजक अंकित मैथानी सहित कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के शिक्षक समन्वयक आदि उपस्थित थे।