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Saturday, November 9, 2024
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आफत की बारिश : उत्तराखंड में बादल फटने से भारी तबाही, 4 लोगों की मौत, 13 लापता, 12 घायल

उत्तराखंड में आज तड़के हुई बारिश कई जिलों में भारी तबाही लेकर आई। भारी बारिश और भूस्खलन ने उत्तराखंड में कहर बरपाया है। प्रदेश में अभी तक चार मौत हो चुकी है। 13 लापता और 12 घायल है। टिहरी जिले के धनौल्टी क्षेत्र में पलक झपकते ही एक घर मलबे में तब्दील हो गया। इस हादसे में एक ही परिवार के सात लोग दबे। जबिक दो शव निकाल लिए गए हैं।

धनोल्टी एसडीएम लक्ष्मी राज चौहान ने बताया कि मामले में पूरी नजर बनाई हुई है। वहीं राज्य में जगह-जगह से सामने आ रही आपदा की तस्वीरों के बाद सेनानायक एसडीआरएफ मणिकांत मिश्रा ने मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाला है।  उत्तराखण्ड राज्य में कल से हो रही मूसलाधार बारिश के बाद राज्य के विभिन्न जिलों में तबाही का मंजर है। कहीं मलबा आने से मकान क्षतिग्रस्त हो गए है तो कहीं उफनती नदी नालों में लोग फंस गए है। रातभर से SDRF टीम यद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य मे पूर्ण ततपरता से कार्य कर रही है।

सेनानायक एसडीआरएफ मणिकांत मिश्रा ने भी मोर्चा संभाला हुआ है। वह स्वयं,आपदा से सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र में मालदेवता में रेस्क्यू आपरेशन की कमान संभाले हुए है। वहीं दूसरी और उन्होंने वाहिनी मुख्यालय के सभी अधिकारी/कर्मचारियों व एसडीआएफ कंट्रोल रूम को भी हाई अलर्ट पर रखा है और राज्य भर में गतिमान सभी रेस्क्यू आपरेशन की पल-पल की जानकारी लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए जा रहे है।
 
धनौल्टी में हुई दो मौत

 राजेन्द्र सिंह उम्र 35 वर्ष, पुत्र स्व0 गुलाब सिंह। शव बरामद।
– सुनीता देवी पत्नी राजेन्द्र सिंह। शव बरामद।
 
धनौल्टी में घायलों का रेस्क्यू जारी
  • कमांद सिंह उम्र 40 वर्ष पुत्र स्व0 प्रेम सिंह।
  • मगन देवी उम्र 60 वर्ष पत्नी स्व0 प्रेम सिंह।
  • रुकमणी देवी उम्र 35 वर्ष पत्नी कमांद सिंह।
  • सचिन उम्र 15 वर्ष पुत्र कमांद सिंह।
  • बीना उम्र 17 वर्ष पुत्री कमांद सिंह।

देखें वीडियो

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देहरादून के पास मालदेवता सरखेत, टिहरी और यमकेश्वर इलाके में  बादल फटने से भारी तबाही मची है। जिलाधिकारी सोनिका के मुताबिक आपदा में पांच लोग लापता बताए जा रहे हैं। जबकि तीन ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं कीर्तिनगर क्षेत्र में सुबह 7 बजे ग्राम कोठार में 14-15 कमरों का आवासीय भवन भूस्खलन होने से मलबे में दब गया है। जिससे  80 वर्षीय बचनी देवी दब गई है। 

आपदा में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ,  एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन की टीम मौके पर पहुंच गई है । कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने भी घटनास्थल का दौरा किया है। फिलहाल घटनास्थल पर आपदा बचाव का कार्य जोर-शोर से जारी है। आपदा में लापता लोगों की खोजबीन को लेकर एनडीआरएफ और एसटीएफ के लगातार अभियान चला रहे हैं। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी आपदा प्रबंधन टीम, एसडीआरएफ की टीमें और प्रशासन के अन्य अधिकारी उन इलाकों में पहुंच गए हैं जहां रात भर भारी बारिश ने कहर बरपाया है। मैं भी मौके पर पहुंचकर बचाव अभियान का निरीक्षण करने की कोशिश कर रहा हूं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मालदेवता प्रभावित इलाके में पहुंचे हैं।

बादल फटने के कारण नदी एवं कुवा खाला में अत्यधिक पानी आने से ग्राम सरखेत में कुछ मकानों में पानी घुस आया। वहीं शहर में टपकेश्वर महादेव मंदिर के पास क्षेत्र में लगातार बारिश के बाद तमसा नदी उफान पर है। मंदिर के भीतर पानी घुस गया है। टपकेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी दिगंबर भरत गिरि ने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि कोई जान-माल का नुकसान न हो। नदी पर एक पुल था जो पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है।

भारी बारिश से  सोंग, जाखन और सुसवा नदी पूरे उफान पर आ गई हैं। नदी किनारे रहने वालों को दूसरे स्थान पर भेजने के लिए प्रशासन प्रयास कर रहा है। राजीव नगर केशव पुरी सॉन्ग नदी से नदी का पानी आबादी तक पहुंच रहा है। हालांकि अभी कोई नुकसान की सूचना नहीं मिली है। सुसवा नदी के तेज बहाव से भूमि का कटाव भी हो रहा है। 

यमुनोत्री धाम सहित यमुना घाटी में रातभर बारिश के चलते यमुनोत्री हाईवे धरासू बैंड सहित जगह-जगह मलबा बोल्डर आने से बंद हो गया है। लगातार बारिश के कारण हाईवे खोलने में दिक्कत हो रही है रातभर बारिश के कारण यमुना नदी के साथ ही सहायक नदी नाले उफान पर  आ गए हैं। बड़कोट, बनाल, ठकराल पट्टी के करीब 45 गांवों की लाइफ लाइन बड़कोट तिलाडी सड़क धंसने से आवाजाही बाधित हो गई है।

ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे तीन धारा के पास भी बड़ा पत्थर आने से बंद हो गया है। इसके अतिरिक्त बचेली खाल रोली धार और दो जगह तोता घाटी पर मार्ग बंद है। नरेंद्रनगर के समीप भी ऋषिकेश गंगोत्री हाईवे यातायात के लिए बाधित हो गया है। चट्टान से हुए भूस्खलन से हाईवे पर भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर गिर रहे हैं।

हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान के पास बह रही है। वहीं मसूरी शहर में भारी बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। मसूरी-देहरादून मार्ग में बारिश के चलते जगह-जगह मलबा आ गया है। मसूरी कैम्पटी में भारी बारिश के बाद कैम्पटी फॉल उफान पर आ गया। पुलिस ने भारी बारिश के बाद पर्यटकों को सुरक्षित स्थान पर भेजा।

यमकेश्वर महादेव मंदिर में भारी बारिश से तबाही मची है। कल से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण टपकेश्वर महादेव मंदिर के पास बहने वाली तमसा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर टपकेश्वर महादेव का संपर्क टूट गया है।

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देहरादून जिले में बीती रात बादल फटने की खबर है। रायपुर ब्लॉक के सरखेत गांव में लोगों ने यह जानकारी दी। एसडीआरएफ की टीम सूचना पाते ही मौके पर पहुंच गई। घटना के बाद गांव में फंसे सभी लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया। इस बीच मौसम विभाग ने कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी है।  

बारिश से सौंग, सुसवा, चंद्रभागा नदियां उफान पर आ गई हैं। वहीं बंगाला नाला और अन्य छोटे नालों का जलस्तर भी बढ़ गया। लगातार हो रही बारिश के बाद प्रशासन ने बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। वहीं किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए एसडीआरएफ को भी तैयार रहने के लिए कहा गया है। वहीं देहरादून में भी प्रेमनगर के पास टोंस नदी उफान पर आ गई।

झमाझम बारिश होने के शहर के आसपास नदी नाले उफान पर आ गए हैं। बारिश के कारण चंद्रभागा, सौंग, सुसवा नदी और बंगाला नाला उफान पर हैं। जिन क्षेत्रों में बरसाती पानी की निकासी के इंतजाम नहीं हैं वहां सड़कें तालाब सी बन गई हैं। वहीं सौंग नदी का जलस्तर बढ़ने से खदरी और गौहरी माफी में भूमि कटाव शुरू हो गया है। 

खदरी निवासी विनोद जुगलान ने बताया कि नदियों का जलस्तर बढ़ने से भूमि कटाव शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि सिंचाई विभाग की ओर से क्षेत्र में सुअररोधी दीवार के साथ सौर ऊर्जा तार बाड़ भी लगाई गई थी वह भी कटाव की भेंट चढ़ गई। 

वहीं चंद्रभागा नदी के उफान पर आने और गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने मायाकुंड, चंद्रेश्वर नगर, चंद्रभागा नदी किनारे रहने वाले लोगों, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा। प्रशासन की टीम ने मायाकुुंड, चंद्रेश्वर नगर और चंद्रभागा नदी के किनारे रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कह रही थी।

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