हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य ग्राम पंचायत के निवर्तमान ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत प्रमुखों को ही प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। इसके अध्ययन के लिए बनी समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद शासन ने इसका आदेश जारी कर दिया।
शासनादेश के मुताबिक हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य की समस्त गठित ग्राम पंचायत के कार्यकाल की समाप्ति के छह माह के भीतर या नई ग्राम पंचायत का गठन किए जाने तक जो भी पहले हो प्रशासक के रूप में संबंधित जिले की ग्राम पंचायत के निवर्तमान ग्राम प्रधान को प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। जबकि क्षेत्र पंचायतों में निवर्तमान क्षेत्र पंचायत प्रमुख प्रशासक बनाए जाएंगे। जिलाधिकारी को इसके लिए अधिकार दिया गया है।
प्रदेश के हरिद्वार जिले के 318 ग्राम प्रधानों को छोड़कर राज्य के 7478 निवर्तमान ग्राम प्रधानों को प्रशासक बनाया जाएगा। इसमें अल्मोड़ा जिले में 1160, नैनीताल में 479, बागेश्वर में 402, पिथौरागढ़ में 686, चंपावत में 313, ऊधमसिंह नगर में 375, पौड़ी में 1173, टिहरी में 1035, चमोली में 610, रुद्रप्रयाग में 336, उत्तरकाशी में 506 और देहरादून जिले में 401 निवर्तमान ग्राम प्रधान प्रशासक बनेंगे। इसी तरह राज्य के 95 ब्लॉकों में से हरिद्वार को छोड़कर अन्य में क्षेत्र पंचायत प्रमुख प्रशासक बनेंगे।
प्रधान संगठन ने बताया ऐतिहासिक फैसला
निवर्तमान ग्राम प्रधानों को ही प्रशासक के रूप में नियुक्त किए जाने को प्रधान संगठन ने सरकार का ऐतिहासिक फैसला बताया है। ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष भास्कर सम्मल ने प्रधानों की ओर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विभागीय मंत्री सतपाल महाराज का आभार जताया। कहा, निवर्तमान ग्राम प्रधान प्रशासक के रूप में अपनी जिम्मेदारी पर खरा उतरेंगे। सरकार ने यह फैसला पंचायत राज एक्ट के तहत लिया है। इससे लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई ग्रामपंचायत को मजबूती मिलेगी।