राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नई टिहरी में “जलीय जैवविविधता और भारत में गंगा नदी तंत्र की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ” विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।
महाविद्यालय के जंतुविज्ञान विभाग और भारतीय प्राणी विज्ञान मंडल एवं भारतीय पर्यावरण विज्ञान अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन टिहरी के विधायक श्री किशोर उपाध्याय, महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर पुष्पा नेगी, जलीय कृषि एवं प्रबंधन केन्द्र बांग्लादेश के निदेशक डॉ विनय कुमार चक्रवर्ती, भारतीय प्राणी विज्ञान मंडल के अध्यक्ष प्रोफेसर बीएन पाण्डेय एवं भारतीय पर्यावरण विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष प्रोफेसर डीडी जोशी ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने स्वागत गान कर सम्मेलन में आए हुए सम्मानित अतिथियों, प्रोफेसर्स, शोधकर्ताओं एवं सभी प्रतिभागियों का स्वागत सत्कार किया। सम्मेलन को आगे बढ़ाते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, देश-विदेश से जुड़े प्रोफेसर्स, शोधकर्ताओं का स्वागत किया और जलीय तंत्र के संरक्षण के लिए डॉ वीपी सेमवाल के प्रयासों की सराहना की।
सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रसिद्ध पर्यावरणविद प्रोफेसर बीडी जोशी ने जलीय तंत्र के महत्त्व को बताया और कहा कि मत्स्य पालन की परम्परा भारत में पौराणिक काल से चली आ रही है और प्राचीन गणतंत्रों में मछली को समृद्धि के शुभंकर के रूप में शासकों ने राज्यचिह्न के रूप में अंगीकृत किया। उन्होंने कहा कि गंगा नदी तंत्र हिमालय की जैवविविधता की पोषक है और हमें इसके संरक्षण की दिशा में कार्य करना होगा।
विचार विमर्श को आगे बढाते हुए ZSI के सचिव डॉ कमल जायसवाल ने कहा कि जलीय तंत्र को समृद्ध बनाने की दिशा में हमें परम्परागत ज्ञान और तकनीकी ज्ञान के साथ सामंजस्य स्थापित करना होगा और युवाओं को मत्स्य पालन में रोजगार सृजन की दिशा में काम करना चाहिए। बांग्लादेश से आए डॉ बीके चक्रवर्ती ने भारत-बांग्लादेश के संयुक्त नदी तंत्र की महत्ता पर अपने विचार व्यक्त किए और भारत सरकार के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए शोधकर्ताओं से आह्वान किया।
इस अवसर पर भारत के महाशीर मैन के नाम से चर्चित प्रोफेसर प्रकाश नौटियाल ने मत्स्य पालन में शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से थीम बेस्ड संगोष्ठी, कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने पर जोर दिया। इस अवसर पर IAES द्वारा डॉ नौटियाल को लाइफटाइम अवार्ड से सम्मानित किया गया।
अकादमी द्वारा महाविद्यालय के जंतुविज्ञान विभागाध्यक्ष एवं सम्मेलन के संयोजक डॉ वीपी सेमवाल को अकादमी अवार्ड और गोल्डमेडल से सम्मानित किया गया। कीनोट स्पीकर के रूप में ICAR-CIFE के पूर्व कुलपति प्रो डब्ल्यु एस लकड़ा ने सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ऐसे सम्मेलनों को आवश्यक बताया और मत्स्य पालन के विविध लाभों पर विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने गंगा के संरक्षण एवं संवर्धन को भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के पर्यावरणीय संदर्भ में संरक्षित करने की बात कही साथी उन्होंने गंगा को रोजगार से जोड़ने पर भी विशेष बल दिया और इस तीन दिवसीय सम्मेलन मैं होने वाले विचार विमर्श के पश्चात जो परिणाम निकलेंगे उन्हें सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने और उनका क्रियान्वयन करने हेतु अपना हर संभव प्रयास करने के लिए आश्वस्त किया ।
सम्मेलन का संचालन डॉ हेमलता बिष्ट ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ पीसी पैन्युली, डॉ वंदना चौहान, डॉ रजनी गुसांई, डॉ जीएस गुसांई, डॉ आशा डोभाल, डॉ शुभम उनियाल, डॉ निशांत भट्ट, डॉ ऋचा पंत, डॉ तोपवाल, डॉ भण्डारी, समस्त छात्र-छात्राएं, गढ़वाल विश्वविद्यालय के शोधछात्र एवं प्रोफेसर्स, देश-विदेश से जुड़े प्रतिभागी एवं महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे।