अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के अंतर्गत राज्य सरकार के अस्पतालों में कार्यरत लैब टेक्निशियनों की पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हो गई। जिसमें प्रशिक्षकों द्वारा प्रतिभागियों को वायरल हेपेटाइटिस से संबंधित जांचों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई एवं उन्हें लैब्रोटरी में जांच के तौर तरीके, इनमें ध्यान रखी जाने वाले सभी बिंदुओं के साथ ही गुणवत्ता का प्रशिक्षण दिया गया।
गौरतलब है कि विश्व स्तर पर वायरल हेपेटाइटिस को कम करने की मुहिम में भाग लेते हुए भारत सरकार ने जुलाई- 2018 में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल कार्यक्रम शुरू किया था। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रशिक्षित होना काफी महत्वपूर्ण है। इसी क्रम में अगस्त-2021 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,ऋषिकेश में राज्यभर के सरकारी अस्पतालों में तैनात फिजिशियनों के लिए वायरल हेपेटाइटिस कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया था।
डॉक्टर्स के प्रशिक्षण के बाद अब नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के अंतर्गत, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लैब टेक्निशियंस को प्रशिक्षित किया गया। वायरल हेपेटाइटिस के इलाज के लिए खून की सही जांच बहुत जरूरी है, किसी भी मरीज में वायरल हेपेटाइटिस के लक्षण देखे जाने के बाद मरीज के खून में हेपेटाइटिस वायरस की जांच की जाती है और इसके बाद ही यह तय किया जाता है कि बीमारी का उपचार किन दवाइयों से किया जाए।
लिहाजा वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार जिलास्तर पर वायरल हेपेटाइटिस जांच की सुविधा उपलब्ध कराना चाहती है, जिससे कि वायरल हेपेटाइटिस के मरीजों को इलाज पाने में परेशानी नहीं हो।
कार्यशाला के अंतिम दिन आयोजित कार्यक्रम का एम्स निदेशक प्रो. अरविंद राजवंशी ने वर्चुअल उद्घाटन किया। निदेशक एम्स ने कार्यशाला की सराहना करते हुए इसे संस्थान का प्रशिक्षण के क्षेत्र में अहम योगदान बताया। डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने राज्यभर से कार्यशाला में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लैब टेक्निशियन से एम्स में प्रशिक्षण के पश्चात अपने क्षेत्रों में वायरल हेपेटाइटिस की जांच का कार्य विधिवत शुरू करने की अपील की।
इस अवसर पर सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रिवेंटिव हिपेटोलॉजी क्लिनिक के इंचार्ज डॉ. अजीत सिंह भदौरिया ने विश्वभर, देश और राज्य में वायरल हेपेटाइटिस के स्तर, वायरल हेपेटाइटिस की रोकथाम के तौरतरीकों और हेपेटाइटिस- बी की वैक्सीन के बाबत प्रतिभागियों को जानकारी दी।
इस दौरान उन्होंने प्रशिक्षुओं को नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम संबंधित सभी तरह के तथ्यों से अवगत कराया। डा. अजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि एम्स संस्थान में एनएचएम के सहयोग से यह वायरल हेपेटाइटिस पर सातवीं प्रशिक्षण कार्यशाला है। नोडल ऑफिसर, नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम, डॉ. मयंक बडोला ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद लैब कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
संस्थान की माइक्रो बायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर प्रतिमा गुप्ता ने कार्यशाला की रूपरेखा पर चर्चा करते हुए हेपेटाइटिस वायरस की संरचना और इसकी जांच से जुड़े बुनियादी तथ्यों से भी प्रतिभागियों को अवगत कराया। गेस्ट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डा. रोहित गुप्ता ने पांचों वायरल हेपिटाइटिस( ए से ई तक) के निदान के लिए कराई जाने वाली जरुरी जांचों से संबंधित प्रशिक्षण दिया और बताया कि सही जांच के बाद ही वायरल हेपेटाइटिस के मरीज का सही इलाज शुरू किया जा सकता है।
माइक्रो बायोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. योगेंद्र प्रताप मथूरिया, डा. दीप ज्योति कलीता ने प्रतिभागियों को जांच से जुड़ी तकनीकि जानकारियां दी, माइक्रो बायोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. योगेंद्र प्रताप मथूरिया ने बताया कि हेपेटाइटिस वायरस का संक्रमण खून के संपर्क में आने से हो सकता है, इसलिए यह जरूरी है कि जांच करते वक्त सभी जरुरी सावधानियां बरती जाएं और संक्रमण से बचने के लिए बनाए गए सभी नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए।
ट्रेनिंग प्रोग्राम में उत्तराखंड के सभी 13 जिलों से लैब तकनीशियन ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर चमोली से पंकज पंवार, चंपावत से उम्मेद सिंह बसेरा, बागेश्वर से देवेंद्र प्रसाद गौर, टिहरी से संजय सिंह, पौड़ी से अमित मनवाल, रूद्रप्रयाग से मोहित राणा, देहरादून से विजयदीप सिंह, अल्मोड़ा से मनोज कुमार, नैनीताल से मनोज पाल, हरिद्वार से श्रीमती अनु पाल, उधमसिंहनगर से पुनीत माथुर आदि शामिल रहे।