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Tuesday, December 17, 2024
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हल्द्वानी के बनभूलपुरा मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

रेलवे भूमि अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को भी नोटिस जारी किया है। अब सात फरवरी तक अतिक्रमण नहीं हटाया जाएगा। मामले में अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी। अब हल्द्वानी में बुलडोजर नहीं चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक हफ्ते में लोगों को हटाना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लोगों को बड़ी राहत मिली है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम धामी का बयान भी सामने आया है। सीएम धामी ने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि यह रेलवे की जमीन है। इस मामले में हम कोर्ट के आदेश के अनुसार आगे बढ़ेंगे।

बनभूलपुरा में लाइन नंबर 17 में दो जगहों पर दुआएं चल रही है। एक जगह पर महिलाएं तो दूसरी तरफ पुरुष रब से अपने घरों को बचाने के लिए फरियाद कर रहे हैं। साथी लोगों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से उनके हक में फैसला आएगा। दिन चढ़ने के साथ ही यहां भीड़ बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ मामले में सुनवाई शुरू हो गई है।

हल्द्वानी बनभूलपुरा के रेलवे अतिक्रमण मामले में आज बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। ऐसे में जहां प्रभावित क्षेत्र में देर रात तक दुआओं और तिलावत का सिलसिला चलता रहा, वहीं प्रशासन की नजर भी सुनवाई पर टिकी हुई है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही प्रशासन आगे की कार्रवाई करेगा। प्रभावितों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तो प्रशासन शुक्रवार से युद्धस्तर पर तैयारियां शुरू कर देगा।

बीती 20 दिसंबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। इस पर प्रशासन तैयारियों में जुटा है। इस बीच दो जनवरी को प्रभावितों ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की जिस पर पांच जनवरी को सुनवाई होनी है। बुधवार को दिन भर बनभूलपुरा क्षेत्र में जहां दुआओं और नमाज का सिलसिला रहा, वहीं सियासी माहौल भी गर्म रहा।

सपा के प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावितों से वार्ता कर उच्चस्तर पर वार्ता का आश्वासन दिया। इस दौरान विभिन्न संगठनों ने बुद्ध पार्क में धरना दिया तो कई संगठनों ने राज्य सरकार व राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर प्रभावित के हक बेहतर कदम उठाने की मांग की। इधर, जिला प्रशासन और पुलिस ऐसे लोगों को चिह्नित कर रही है जो लोगों को अतिक्रमण हटाने के दौरान भड़का सकते हैं। इसे लेकर पुलिस विशेषाधिकार के तहत ऐसे लोगों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा सकती है। 

डीएम धीराज गर्ब्याल ने लोनिवि के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार को निर्देश दिए गए हैं कि फोर्स के रुकने वाले स्थानों पर लोनिवि जल्द शौचालय और बाथरूम का निर्माण करे। इस पर लोनिवि के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार ने बताया कि सभी जगह प्री-फैब्रिकेट शौचालय, बाथरूम बनाए जाएंगे। इसका सामान हल्द्वानी पहुंच गया है। 

रेलवे अतिक्रमण भूमि की जद में बनभूलपुरा के पांच सरकारी स्कूल आ रहे हैं। इनमें जीजीआईसी, जीआईसी, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालय बनभूलपुरा और प्राथमिक विद्यालय इंदिरानगर शामिल हैं। दो हजार से अधिक विद्यार्थी इनमें अध्ययनरत हैं। बीईओ हरेंद्र मिश्रा की ओर से इसमें एक पत्र जारी किया है। कहा कि इन स्कूलों की वैकल्पिक व्यवस्था नजदीकी स्कूलों में की गई है। जीजीआईसी बनभूलपुरा को जीजीआईसी हल्द्वानी, जीआईसी बनभूलपुरा को महात्मा गांधी इंटर कॉलेज, प्राथमिक विद्यालय इंदिरानगर को गांधीनगर, प्राथमिक विद्यालय बनभूलपुरा को बरेली रोड, उच्च प्राथमिक विद्यालय बनभूलपुरा को गांधी नगर में संचालित किया जाएगा। 

सोशल मीडिया में चर्चित बिहार के पंकज श्रीवास्तव बुधवार को बनभूलपुरा के प्रभावितों से मिलने पहुंचे। उनका कहना है कि बनभूलपुरा की जमीनें यहां रहने वाले लोगों की हैं। रेलवे कभी 29 एकड़ तो कभी 78 एकड़ जमीन पर अपना दावा जता रहा है जबकि लोग आजादी से पहले से यहां बसे हुए हैं। आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर बनभूलपुरा वासियों को नहीं उजाड़े जाने की मांग की है।

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हल्द्वानी के बनभूलपुरा मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इस दौरान उत्तराखंड कांग्रेस के शीर्ष नेता सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहेंगे। कांग्रेस ने इस मुद्दे को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया है। बुधवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, कांग्रेस विधायक दल के उपनेता भुवन कापड़ी, हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश, उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप, विजय सारस्वत दिल्ली पहुंचे। इस दौरान शीर्ष नेताओं ने उत्तराखंड सदन में बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर व्यापक चर्चा की। 

उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद व अन्य वकीलों का दल बनभूलपुरा से बेदखल किए जा रहे लोगों के पक्ष में पैरवी करेगा। अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि कांग्रेस हल्द्वानी के 50 हजार लोगों की छत को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने पक्ष को उच्च न्यायालय में कमजोर तरह से रखा जिस वजह से यह फैसला आया है। कहा कि सरकार को मानवता के नाते एक प्रतिनिधिमंडल बनभूलपुरा भेजना चाहिए था। हल्द्वानी में भाजपा के सांसद, विधायक और मंत्री आते रहते हैं लेकिन कोई भी प्रभावित लोगों से मिलने नहीं गया जबकि यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। कहा कि मेरी मांग है कि अगर सीएम यहां नहीं आ सकते तो कम से कम अपने किसी प्रतिनिधि को भेजकर यहां लोगों को आश्वस्त करना चाहिए था।

बता दें कि हाल ही में हाईकोर्ट ने बनभूलपुरा गफूर बस्ती में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्तीकरण करने के आदेश दिए थे। इस जगह पर करीब 4365 अतिक्रमणकारी हैं। आदेश के बाद से ही लोग आशियाना बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।

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