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Saturday, December 21, 2024
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ट्रानज़िशनल करिकुलम : आयुर्वेद में संस्कृत भाषा पर दिया गया ज़ोर

  • देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में ट्रानज़िशनल करिकुलम का प्रारंभ
  • आयुष मंत्रालय भारत सरकार के तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन

आयुर्वेद के क्षेत्र में कदम रख रहे छात्रों के लिए इस अद्वितीय वैदिक कालीन चिकित्सा प्रणाली को समझना आसान नहीं होता। इसलिए विभिन्न पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में ट्रानज़िशनल करिकुलम की शुरुआत की गयी।

आयुष मंत्रालय भारत सरकार के तत्वावधान में बीएएमएस प्रथम वर्ष के छात्रों हेतु निर्धारित 15 दिवसीय ट्रानज़िशनल करिकुलम का प्रारंभ देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में किया गया, जिसमें नए छात्रों को आयुर्वेद की आवश्यकता और संस्कृत भाषा की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

आखिर किस प्रकार संस्कृत आयुर्वेद के प्रचार प्रसार को प्रभावित कर सकती है, विषय पर चर्चा की गयी। इस अवसर पर सर्वप्रथम भगवान् धन्वन्तरी का आह्वान किया गया और वैदिक कालीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद को मानव जाति के समक्ष प्रस्तुत करने वाले ऋषि मुनियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की गयी|और साथ ही आयुर्वेद के प्रति छात्रों के दायित्व को समझाया गया।

इस दौरान छात्र कल्याण, लक्ष्य का निर्धारण और बुनियादी जीवन हेतु आवश्यक प्रशिक्षण सहित व्यक्तित्व विकास पर ज़ोर दिया गया|इस दौरान देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति संजय बंसल ने छात्रों का उत्साहवर्धन कर आयुर्वेद की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। वहीं, विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ. प्रीति कोठियाल ने छात्रों का मार्गदर्शन किया। अंत में हवन कर कार्यक्रम की समाप्ति हुयी। कार्यक्रम में डॉ. उमेश वसंत सावंत, डॉ. मेघा बहुगुणा, डॉ. ओपी बहुखंडी, प्रोफ़ेसर डॉ. अमित गुप्ता आदि उपस्थित थे।

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