आज दीपोत्सव का महापर्व दिवाली का त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। 5 दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और पांचवें दिन भाईदूज पर इसका समापन होता है। दिवाली पर कार्तिक अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन का विधान होता है। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ विघ्नहर्ता श्रीगणेश और कुबेर देवता की पूजा होती है। पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या की रात को मां लक्ष्मी वैकुंठ धाम से पृथ्वीलोक भ्रमण पर आती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि किसका घर साफ और सुंदर है।
हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली का त्योहार और मां लक्ष्मी की पूजा कार्तिक माह के अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल और स्थिर लग्न किया जाता है।
प्रदोष काल का मुहूर्त
प्रदोष काल 12 नवंबर 2023- सायंकाल 05:11 से 07:39 बजे तक
वृषभ काल (स्थिर लग्न) -05:22 बजे से 07:19 बजे तक
दिवाली का पर्व किसी भी नए कार्य के शुभारंभ और नई चीज की खरीदारी के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। दिवाली के त्योहार का ज्योतिषीय महत्व भी काफी होता है। दरअसल दिवाली के आसपास सूर्य और चंद्रमा दोनों ही तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में मौजूद होते हैं।
दीपावली पर आज किस शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करना सर्वश्रेष्ठ
आज पूरे देशभर में दीपोत्सव का महापर्व दीपावली मनाई जा रही है। सुबह से इसके लिए तैयारियां जारी हैं। दिवाली की शाम लक्ष्मी-गणेश पूजन करने का विधान होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के लिए कार्तिक अमावस्या की तिथि पर प्रदोषकाल, स्थिर लग्न और स्थिर नवांश में करना सबसे उपयुक्त माना जाता है। प्रदोकाल के अलावा रात के प्रहर में निशित काल भी लक्ष्मी पूजा करना अच्छा माना जाता है।
- अन्न दान
- वस्त्र दान
- फलों का दान
- पानी का दान
- झाड़ू का दान
मां लक्ष्मी की पूजा के साथ करें इन देवताओं की भी पूजा
1-भगवान गणेश 2- कुबेर देव 3- विष्णु भगवान 4- सरस्वती मां 5-भगवान कृष्ण 6- शिव-पार्वती 7- कुलदेवता 8- कुलदेवी 9- कलश 10- नवग्रह 11- वास्तु देवता 12- तुलसी और पीपल
1- घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ 2- घर के पास स्थित चौराहे पर 3- तुलसी के पौधे के पास 4- घर के आंगन में 5- घर के छत पर 6- घर के मंदिर में दीपक 7- घर की रसोई में 8- पीपल के पेड़ के नीचे 9- तिजोरी में 10- नदी या तालाब के किनारे 11- कूएं या नलकूप के पास 12- घर के चारों कोनों में चारमुख वाले दीपकल 13- स्टोर रूम और बाथरूम।
देहरादून | 05 बजकर 34 मिनट – 07 बजकर 29 मिनट तक |
नैनीताल | 05 बजकर 30 मिनट – 07 बजकर 26 मिनट तक |
अल्मोड़ा | 05 बजकर 29 मिनट – 07 बजकर 24 मिनट तक |
ऋषिकेश | 05 बजकर 33 मिनट – 07 बजकर 29 मिनट तक |
हरिद्वार | 05 बजकर 34 मिनट – 07 बजकर 29 मिनट तक |
- दिवाली पर मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसे में पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थान को साफ करें और एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
- फिर इस चौकी पर बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें।
- कलश को अनाज के बीच में रखें।
- कलश में पानी भरकर एक सुपारी, गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डालें।
- कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें।
- बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर भगवान गणेश की मूर्ति रखें।
- एक छोटी-सी थाली में चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें दें।
- इसके बाद अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें।
- अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं। इसके साथ ही कलश पर भी तिलक लगाएं।
- अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं। इसके बाद पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें।
- अपनी आंखें बंद करें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें।
- हथेली में रखे फूल को भगवान गणेश और लक्ष्मी जी को चढ़ाएं।
- लक्ष्मी जी की मूर्ति लें और उसे पानी से स्नान कराएं और उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं।
- मूर्ति को फिर से पानी से स्नान कराकर, एक साफ कपड़े से पोछें और वापस रख दें।
- मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और चावल डालें। माला को देवी के गले में डालकर अगरबत्ती जलाएं।
- नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें।
- देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल और सिक्के रखें।
- थाली में दीया लें, पूजा की घंटी बजाएं और लक्ष्मी जी की आरती करें।