हरिद्वार बहादराबाद थाना परिसर में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का धरना जारी है। आज सुबह उठकर उन्होंने थाने के सामने ही योग शुरू कर दिया। हरीश रावत ने भजनों के साथ योग शुरू किया तो हर किसी का ध्यान उनकी ओर चला गया। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।
पंचायत चुनाव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे निरस्त करने की मांग को लेकर बहादराबाद थाने में कांग्रेसियों का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा। हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत के नेतृत्व में आयोजित धरने में शुक्रवार को कांग्रेसियों ने थाने के बाहर पशुओं को बांध दिया। पूर्व सीएम हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी धरना स्थल पहुंचे।
बृहस्पतिवार को हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत, ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर और भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बहादराबाद थाने के बाहर धरना शुरू कर दिया था।
विधायकों का आरोप है कि पंचायत की मतगणना के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। उन पर दर्ज मुकदमे निरस्त करने की मांग की है। मांग को लेकर हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत रात भर थाने में ही धरने पर कार्यकर्ताओं के साथ डटी रहीं।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि अब या तो हरिद्वार से उनका शव जाएगा या फिर कार्यकर्ताओं के ऊपर दर्ज मुकदमे निरस्त होंगे। अगर जरूरत पड़ी तो कार्यकर्ताओं के सम्मान के लिए हरकी पैड़ी के सामने लेटकर अपने प्राण भी दे दूंगा।
सोशल मीडिया पर पूर्व सीएम की प्रतिक्रिया
हां मैं भी हरिद्वार के कांग्रेसजनों के साथ विशेष तौर पर हरिद्वार ग्रामीण के कांग्रेसजनों के साथ बहादराबाद थाने के सामने धरने पर बैठा हूं। पुलिस के कनिष्ठ अधिकारी तो स्थिति को समझकर समाधान के लिए प्रयत्नशील हैं, मगर वरिष्ठ अधिकारी एक ऐसे छोटे प्रसंग को और उस प्रसंग में दर्ज मुकदमे को और कुछ छोटी-छोटी बातों को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर बाध्य कर रहे हैं कि धरने को दीपावली में भी जारी रखे और मैं सोचता हूं जिस तरीके से उत्तराखंड के पुलिस तंत्र की खिल्ली उड़ी है, कुंडा थाना प्रकरण जहां उत्तर प्रदेश पुलिस ने न केवल बिना सूचना के दबिश दी बल्कि एक महिला की हत्या भी हो गई! जनता ने जिन मुजरिमों को उत्तराखंड पुलिस को सौंपा वो पुलिसकर्मी, पुलिस को धक्का देकर भाग कर चले गए और न उन पर केस दर्ज हो रहा है, और मैं समझता हूं एक राज्य के अपमान की इससे बड़ी और कोई घटना नहीं हो सकती है! पुलिस बड़ी हास्यास्पद स्थिति में दिखाई दे रही है। मुझे बहुत दुःख हुआ था कि आखिर ये हमारी रक्षक/सम्मान के प्रतीक पुलिस हैं। लेकिन जब मैं कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के रवैये को देख रहा हूं तो मुझे लग रहा है, ये ही रवैया है कि आज पुलिस उस स्तिथि में पहुंची है कि उत्तराखंड के अंदर इंटरस्टेट गैंग इनको मिनी माफियाज कहा जाए, वो ऑपरेटिव हो गए हैं। यहां के नागरिक असुरक्षित हैं। ये केवल खनन की उगाई करने वाली पुलिस में बदल करके रह गई है। सोचता हूं कि लड़ाई का स्थान शिफ्ट करूं और तरीका भी शिफ्ट करूं, कभी-कभी समय आता है जिन्होंने जीवन दिया है, उनके लिए जीवन भी अर्पित करना पड़ता है। हरिद्वार ने मुझे नया जीवन दिया तो मैं सोचता हूं कि समय आ गया है बजाय कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को तकलीफ देने के, मैं ही अपने जीवन को अर्पित करूं।
देखता हूं एक बार मुख्यमंत्री की भी परीक्षा कर लेते है कि वो मानवीय दृष्टि से सोचते हैं या विशुद्ध तौर से राजनीतिक दृष्टि से सोचते हैं!!