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Wednesday, April 16, 2025
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दीपम सेठ बने उत्तराखंड के 13वें डीजीपी, गिनाई प्राथमिकताएं

पदभार संभालने के बाद नवनियुक्त डीजीपी दीपम सेठ ने प्राथमिकताएं भी गिनाते हुए कहा, वर्तमान में प्रदेश में साइबर सुरक्षा और यातायात प्रबंधन बड़ी चुनौतियां हैं। ऐसे में इन्हें मजबूत करना उनकी प्राथमिकताओं में रहेंगी। सड़क दुर्घटनाओं पर किस तरह अंकुश लगाया जाए, इसके लिए नए सिरे से सुदृढ़ कार्ययोजना बनाई जाएगी।

कहा, अपराधियों की जगह जेल में है। प्रदेश की कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी सूरत में माफ नहीं किया जाएगा। कहा, कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए मजबूती से काम किया जाएगा। इसके अलावा यहां पर आपदा प्रबंधन में किन किन चीजों और रणनीतियों की जरूरत है, इस पर भी विस्तार से विमर्श कर तकनीकों को उन्नत किया जाएगा।
कहा, राज्य की पुलिसिंग पीड़ित केंद्रित होगी। इसके लिए इसे और अधिक पारदर्शी और जनहितैषी बनाने की जरूरत है। राज्य में यातायात प्रबंधन के लिए भी बड़ी योजनाओं की आवश्यकता है। ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर इस दिशा में एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
ताकि, शहरों और राजमार्गों पर बढ़ते हादसों पर अंकुश लगाया जा सके। कहा, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष पहल की जाएगी। वर्तमान में जो पुलिस इस दिशा में काम कर रही है, उनकी समीक्षा करते हुए इन्हें और सुदृढ़ किया जाएगा।
दीपम सेठ का जन्म यूपी के शाहजहांपुर में हुआ। उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा शेरवुड कॉलेज नैनीताल से हासिल की। इसके बाद बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। सेठ वर्ष 1995 में भारतीय पुलिस सेवा के लिए चयनित हुए। वर्ष 1997 में ओस्मानिया विवि से पुलिस प्रबंधन में मास्टर्स की डिग्री और 2022 में आईआईटी रुड़की से पीएचडी की।

प्रमुख नियुक्तियां
एसपी टिहरी, कमांडेंट पीएसी (मेरठ), संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन कोसोवो में उन्हें प्रोजेक्ट मैनेजर बनाया गया। इसके बाद एसएसपी नैनीताल और डीआईजी गढ़वाल रेंज रहे। मुख्यालय में आईजी कानून व्यवस्था और पुलिस आधुनिकीकरण की जिम्मेदारियां संभाली। वर्ष 2019 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए। वहां उन्हें आईटीबीपी में नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर का आईजी बनाया गया। यहां आने से पहले वह एडीजी एसएसबी की जिम्मेदारियां संभाल रहे थे।

ये मिला सम्मान

– 1996-भूमानंद मिश्रा मेमोरियल ट्रॉफी और एस्पीरेट डी कॉप्स मेडल।
– 2004-कोसोवो में सेवा के लिए संयुक्त राष्ट्र पदक।
– 2011-सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक और 2021 में विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक।
– 2020 व 2021-डीजी इंसिग्निया एंड कमेंडेशन रोल में सिल्वर और गोल्ड मेडल।
– 2021-लद्दाख में सेवा के दौरान हाई एल्टीट्यूड मेडल, पुलिस स्पेशल ड्यूटी मेडल और ऑपरेशन स्नो लियोपर्ड के लिए गृह मंत्री का स्पेशल ऑपरेशन मेडल।

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दीपम सेठ उत्तराखंड के 13वें डीजीपी बन गए हैं। गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। एडीजी दीपम सेठ ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटकर सोमवार को मूल कैडर ज्वाइन किया। ज्वाइन करते ही उन्हें पुलिस के 13वें मुखिया की जिम्मेदारी भी दी गई।

दीपम सेठ 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। और वर्ष 2019 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। अभी उनकी प्रतिनियुक्ति अवधि पूरी नहीं हुई थी कि शासन ने उन्हें वापस बुलाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। पत्र के एक दिन बाद ही केंद्र ने उन्हें रिलीव भी कर दिया। बता दें कि एडीजी दीपम सेठ उत्तराखंड कैडर के वर्तमान में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। पिछले साल पूर्व डीजीपी अशोक कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद सेठ के वापस आने की चर्चाएं हुई थीं।
सरकार ने उनका नाम भी डीजीपी के पैनल में शामिल करते हुए यूपीएससी को भेजा था। लेकिन, वह प्रतिनियुक्ति से वापस नहीं आए थे। ऐसे में सभी जरूरी अर्हताएं पूरी करने वाले अधिकारियों में एडीजी अभिनव कुमार का नंबर आ गया था। उन्होंने पिछले साल 30 नवंबर की शाम को प्रदेश के 12वें डीजीपी (कार्यवाहक) के रूप में पुलिस की कमान संभाली थी। लेकिन, पिछले दिनों फिर से डीजीपी के चयन के लिए एक पैनल यूपीएससी भेजा गया। मगर, इस पैनल में अभिनव कुमार का नाम शामिल नहीं था।

 

यूपी की तर्ज पर डीजीपी का करने की सिफारिश पिछले दिनों कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार ने गृह सचिव को पत्र लिखकर यहां डीजीपी का चयन यूपी की तर्ज पर करने की सिफारिश की थी। उन्होंने मौजूदा उत्तराखंड पुलिस एक्ट के नियमों का हवाला भी दिया था। इसमें दो साल के लिए शासन की समिति ही डीजीपी का चयन कर सकती है। लेकिन, अब एकाएक गृह विभाग की ओर से केंद्र सरकार को शुक्रवार को पत्र लिखकर आईपीएस दीपम सेठ को वापस भेजने की मांग की थी।

इस मांग को केंद्र सरकार ने भी अगले ही दिन स्वीकृत कर लिया और सेठ को शनिवार को रिलीव कर दिया गया। अब एडीजी दीपम सेठ सोमवार को दून आकर अपना मूल कैडर ज्वाइन करेंगे। सूत्रों के अनुसार ज्वाइन करने के बाद उन्हें पुलिस की कमान सौंपने की तैयारियां भी की जा रही हैं। इस संबंध में शासन स्तर पर सारी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली हैं।

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