27.2 C
Dehradun
Wednesday, July 16, 2025
Homeहमारा उत्तराखण्डकर्नल कोठियाल सरकार से नहीं लेंगे 24 लाख की सुविधाएं, सैनिक सलाहकार...

कर्नल कोठियाल सरकार से नहीं लेंगे 24 लाख की सुविधाएं, सैनिक सलाहकार परिषद का निशुल्क निभाएंगे दायित्व

उत्तराखंड राज्य पूर्व सैनिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बनाए गए कर्नल अजय कोठियाल (रिटा.) ने भेजा सैनिक कल्याण निदेशक को पत्र, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा पत्र

एक सैनिक के लिए खुद और खुद के परिवार से पहले देश होता है। कर्मठता और कर्त्तव्यपरायणता की मिसाल बन चुके कर्नल अजय कोठियाल (रिटा.) इस पैमाने पर पूरी तरह फिट बैठते हैं। 28 वर्ष तक सेना में रहते हुए देश की सेवा करने के बाद जब उन्होंने वर्ष 2018 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली तो उद्देश्य घर पर आराम करना नहीं था। बल्कि, उनके मन में अपने प्रदेश उत्तराखंड और यहां की जनता की सेवा का नया लक्ष्य हिलोरे मार रहा था। अपने इस लक्ष्य के अनुरूप कर्नल कोठियाल प्रदेश के युवाओं को यूथ फाउंडेशन के माध्यम से प्रशिक्षित कर सेना में उनकी भर्ती की राह प्रशस्त करते हैं। कुछ समय पहले जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भजपा के कार्यकर्ताओं को विभिन्न विभागों/संस्थाओं के दायित्व बांटे तो सैनिक बाहुल्य उत्तराखंड की भावना के अनुरूप कर्नल अजय कोठियाल (रिटा.) को उत्तराखंड राज्य पूर्व सैनिक सलाहकार परिषद का अध्यक्ष बना दिया। इस पद को ग्रहण करने के साथ ही कर्नल कोठियाल ने ऐसी मिसाल पेश की, जो करीब 25 वर्ष के उत्तराखंड में किसी भी दायित्वधारी ने नहीं की। उन्होंने इस अध्यक्ष पद के लिए सरकार से मिलने वाली तमाम वित्तीय सुविधाओं का परित्याग कर दिया। यह सुविधाएं फरवरी 2026 तक उनकी तैनाती अवधि के हिसाब से करीब 24 लाख रुपये की हैं।

24 लाख रुपये की सुविधाओं का परित्याग करने के साथ ही कर्नल कोठियाल ने इस संबंध में पत्र भेजकर निदेशक सैनिक कल्याण, निदेशालय को भी अवगत कराया है। हाल में भेजा गया उनका यह पत्र सोशल मीडया पर वायरल हो रहा है। पत्र में कर्नल कोठियाल ने लिखा है कि 28 वर्षों तक सेना में विभिन्न पदों पर तैनात रहने, अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों और विविध जनसमुदायों के साथ काम करते हुए सैनिकों की क्षमता को गहराई से जाना है। जिससे यह अनुभव किया है कि यदि पूर्व सैनिकों की क्षमता का सही ढंग से उपयोग किया जाए तो वह स्वयं उनके और समाज के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है। कुछ इसी उद्देश्य से उत्तराखंड राज्य पूर्व सैनिक कल्याण परिषद की स्थापना भी की गई है। अध्यक्ष के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता परिषद के इन्हीं उद्देश्यों को धरातल पर उतारने की रहेगी।

अच्छी पेंशन है, कीर्ति और शौर्य चक्र की अतिरिक्त राशि है तो सुविधाओं की जरूरत नहीं

कर्नल कोठियाल अपने पत्र में जिक्र करते हैं कि उन्हें सेना में दी गई सेवाओं के एवज में अच्छी खासी पेंशन मिलती है। साथ ही वीरता पदक के रूप में कीर्ति और शौर्य चक्र के लिए भी अतिरिक्त धनराशि प्राप्त होती है। चूंकि उन्होंने विवाह नहीं किया तो पारिवारिक जिम्मेदारी के अभाव में अधिक खर्चे भी नहीं हैं। ऐसे में कर्नल कोठियाल ने तय किया कि वह शासन की ओर से अध्यक्ष पद के लिए दी जाने वाली वित्तीय सुविधाओं का प्रयोग नहीं करेंगे। वह कार्यालय से लेकर स्टाफ और अन्य खर्चे स्वयं वहन करेंगे। साथ ही वह आगे कहते हैं कि इस राशि का प्रयोग पूर्व सैनिकों के कल्याण में किया जाना चाहिए।

इन सुविधाओं का कर्नल कोठियाल ने किया परित्याग
सुविधाओं का विवरण अनुमानित धनराशि (प्रतिमाह)

वाहन भत्ता 80 हजार रुपये
आवास/कार्यालय 25 हजार रुपये
टेलीफोन/मोबाइल 02 हजार रुपये
स्टाफ भत्ता 27 हजार रुपये
महानुभाव का मानदेय 45 हजार रुपये
महानुभाव का यात्रा भत्ता 40 हजार रुपये
कुल योग (प्रतिमाह) 2.19 लाख रुपये
फरवरी 2026 तक 24.09 लाख रुपये

परिषद की कार्यक्षमता में सुधार को निदेशालय में कार्यालय की आवश्यकता
सैनिक कल्याण निदेशक को भेजे गए पत्र में कर्नल अजय कोठियाल (रिटा.) ने कहा है कि परिषद के कार्यों को गति देने के लिए निदेशालय से बेहतर समन्वय आवश्यक है। क्योंकि, सरकार ने भी पूर्व सैनिकों को विषयों को बेहद अहम माना है। ऐसे में यदि परिषद के अस्थाई कार्यालय के लिए सैनिक कल्याण निदेशालय में स्थान मिलता है तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। दूसरी बात यह कि परिषद के विभिन्न कार्य निदेशालय के माध्यम से ही संपादित होने हैं। ऐसे में यदि कार्यालय एक ही परिसर में होगा तो इससे पूर्व सैनिकों के साथ ही परिषद के लिए भी सुगमता होगी।

कर्नल कोठियाल ने याद दिलाया है कि परिषद के कार्यालय की स्थापना सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास निदेशालय में करवाने के लिए वह पूर्व में भी पत्र भेज चुके हैं। जिसके क्रम में सैनिक कल्याण निदेशालय ने 26 अप्रैल को प्रत्युत्तर में भेजे पत्र में कार्यालय की स्थापना को 2.45 लाख रुपये की आवश्यकता बताई है। यह भी कहा गया है कि इस राशि की मांग शासन से की गई है। हालांकि, कर्नल कोठियाल ने कहा है कि बजट स्वीकृति में तमाम औपचारिकताओं के चलते विलंब हो सकता है।

अस्थाई कार्यालय का खर्च भी स्वयं वहन करने को तैयार
सैनिक कल्याण निदेशालय में परिषद के अस्थाई कार्यालय को खोलने के लिए 2.45 लाख रुपये का जो बजट शासन से मांगा गया है, उसे भी कर्नल कोठियाल स्वयं वहन करने को तैयार हैं। कर्नल कोठियाल ने अपने पत्र में इस बात का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि स्वयं बजट वहन किए जाने से कार्यालय की स्थापना और परिषद के कामकाज को गति देने के लिए अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। निदेशालय बजट की स्वीकृति मिलने पर उन्हें उनकी राशि लौटाई जा सकती है। यदि बजट स्वीकृत नहीं भी किया जाता है, तब भी वह धनराशि वापसी की मांग नहीं करेंगे। कर्नल कोठियाल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड को पांचवां धाम सैन्य धाम का नाम भी दिया है। इस नाम को चरितार्थ करने को कर्नल कोठियाल ने निदेशालय से बिना वित्तीय भार वाले सहयोग की मांग की है।

RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

- Advertisment -

Recent Comments

error: Content is protected !!