21.2 C
Dehradun
Tuesday, December 3, 2024
Homeहमारा उत्तराखण्डसीएम धामी ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल बैठक में किया प्रतिभाग,...

सीएम धामी ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल बैठक में किया प्रतिभाग, रखी यह मांग

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की 8वीं बैठक में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के विकास में मार्गदर्शन और सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए राज्य से संबधित विभिन्न विषयों को रखा।

ग्रीन बोनस– मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में वनों, बुग्यालों, ग्लेशियरों का संरक्षण करके हम सम्पूर्ण राष्ट्र को महत्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवायें उपलब्ध करा रहे हैं। आईआईएफएम, भोपाल के एक अध्ययन के अनुसार उत्तराखण्ड के वनों से प्राप्त होने वाली इन सेवाओं का न्यूनतम मौद्रिक मूल्य 95,000 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष है। भविष्य में राज्यों के मध्य संसाधनों के आवंटन में इन वन एवं पारिस्थितिकी सेवाओं के मानक को बढ़ाने का उन्होंने अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक यह प्रणाली अस्तित्व में नही आती तब तक उत्तराखण्ड राज्य को ग्रीन बोनस प्रदान किया जाये।

भ्रमणशील जनसंख्या
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्यतः विभिन्न केन्द्र पोषित योजनाओं में स्थिर जनसंख्या के मानक का उपयोग किया जाता है। महत्वपूर्ण तीर्थ स्थानों विशेष तौर पर चार धाम तथा कांवड़ यात्रा मे उत्तराखण्ड में बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों का वर्ष भर आवागमन होता है, जो राज्य की जनसंख्या का पांच से छह गुना है। तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों को समस्त आधारभूत सुविधायें जैसे- पार्किंग, यातायात, पेयजल, स्वच्छता, आवास, परिवहन, जन सुरक्षा इत्यादि राज्य के सीमित संसाधनों से ही करनी होती है। उन्होंने वित्तीय संसाधनों के आवंटन एवं नीति निर्माण में इस महत्वपूर्ण तथ्य को सम्मिलित किये जाने का अनुरोध किया।

बाह्य सहायतित परियोजनायें

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की लगभग 19,000 करोड़ रूपये की 11 वाह्य सहायतित परियोजनायें पाइप लाइन में हैं। इन परियोजना प्रस्तावों पर नीति आयोग,डी.ई.ए, सम्बन्धित केन्द्रीय मंत्रालयों से संस्तुति तथा फण्डिंग ऐजेन्सियों से सैद्धान्तिक सहमति प्राप्त हो चुकी है। राज्य के वित्तीय संसाधन बहुत सीमित हैं जिस कारण ई.ए.पी तथा सी.एस.एस पर ही हमारी निर्भरता है। वित्त मंत्रालय के आदेश के अनुसार उत्तराखण्ड एवं हिमाचल प्रदेश हेतु इसमें ceiling लगायी गयी है। इन परियोजनाओं पर कटौती किये जाने से राज्य में अवस्थापना सुविधाओं के सृजन तथा आजीविका के अवसर बाधित हो जायेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री जी से इसका समुचित समाधान करवाने का अनुरोध किया।

ऊर्जा
मुख्यमंत्री ने राज्य में 25 मेगावाट से कम लघु एवं सूक्ष्म जल विद्युत परियोजनाओं की ही उत्पादन क्षमता लगभग 3500 मेगावाट है। इसमें से मात्र 200 मेगावाट का ही दोहन हो रहा है। उन्होंने अनुरोध किया कि 25 मेगावाट से कम क्षमता की परियोजनाओं के अनुमोदन तथा क्रियान्वयन का अधिकार राज्य सरकार को प्रदान किया जाए। इस निर्णय से लगभग 3000 मेगावाट तक विद्युत क्षमता का उपयोग शीघ्र करके विकसित भारत@2047 के विजन के अन्तर्गत स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन करते हुए नेट जीरो के लक्ष्यों को हासिल करने में भी सहयोग दे पायेंगे।

नदी जोड़ो परियोजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो योजना के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा कुछ हिमनद नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। ऐसी अति महत्वपूर्ण ‘‘नदी-जोड़ो परियोजना’’ के क्रियान्वयन हेतु अत्यधिक धनराशि की आवश्यकता है, इसके लिये मुख्यमंत्री ने भारत सरकार से विशेष वित्तीय सहायता एवं तकनीकी सहयोग का अनुरोध किया।

केन्द्र पोषित योजनाओं में लचीलापन
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र पोषित अधिकांश योजनाएं वन साइज फिट ऑल के अधार पर बनती हैं। जो राज्यों की अपनी विशिष्ट परिस्थितियां एवं आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होती है, परन्तु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी योजनायें भी हैं जिसकी गाइडलाईन में पर्याप्त लचीलापन है। इसके कारण राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार कार्य करने की स्वायत्ता रहती है। स्वायत्ता की यही प्रक्रिया अन्य केन्द्र पोषित योजनाओं के लिये भी अपनायी जानी चाहिये ताकि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य केन्द्र पोषित योजनाओं का अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें।

औद्योगिक प्रोत्साहन नीति
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लागू औद्योगिक प्रोत्साहन नीति वर्ष 2017 के अन्तर्गत प्राप्त प्रोत्साहन वर्ष 2022 में समाप्त हो चुके हैं, जबकि जम्मू कश्मीर तथा पूर्वोत्तर राज्यों हेतु इसी प्रकार की अन्य औद्योगिक नीति वर्तमान में भी चल रही है। पर्वतीय राज्य होने के कारण हमारी समस्यायें भी उन्हीं राज्यों की तरह ही हैं। उन्होंने औद्योगिक प्रोत्साहन नीति को उत्तराखण्ड राज्य में भी आगामी 05 वर्षो के लिये विस्तारित करने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की कड़ी में उत्तराखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाने का लक्ष्य- सशक्त उत्तराखण्ड@25 की अवधारणा के आधार पर तेज गति से कार्य प्रारम्भ कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नीति आयोग, भारत सरकार की तर्ज पर राज्य में स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखण्ड (सेतु) का गठन किया है। गुजरात के जी.आई.डी.बी की तर्ज पर अवस्थापना सुविधाओं के सृजन हेतु उत्तराखण्ड निवेश और अवस्थापना विकास बोर्ड का गठन किया गया है ताकि घरेलू एवं अन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों को राज्य में आकर्षित किया जा सके। जल संरक्षण को बढ़ावा देने, बाढ़ नियन्त्रण में सहायक और सभी विकास कार्यो में इकोनॉमी तथा इकोलॉजी का सन्तुलन सुनिश्चित करने के लिये ‘स्प्रिंग एंड रिवर रिजूवनेशन अथॉरिटी बनायी जा रही है। इससे स्थानीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा जल आधारित रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। नगरीय मल्टी मॉडल परिवहन सुविधा के लिये यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटयन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यू.एम.टी.ए) का गठन किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पी0एम0 गतिशक्ति में गुजरात के बाद उत्तराखण्ड दूसरा राज्य है, जिसके द्वारा अधिकतम कार्य पूर्ण किया गया है। प्रधानमंत्री जी के मार्ग दर्शन में बद्री-केदार धाम के पुननिर्माण का संकल्प शीघ्र साकार होने जा रहा है। इसके लिये राज्य की ओर से मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार भी व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुमांऊ क्षेत्र में स्कन्द पुराण में उल्लिखित प्रमुख पौराणिक मंदिर तथा गुरूद्वारा को एक सर्किट के रूप में जोड़ने के लिये मानसखण्ड मंदिर माला मिशन प्रारम्भ की गयी है। इस परियोजना से स्थानीय स्तर पर लगभग 50,000 परिवारों को प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से रोजगार मिलने का अनुमान है। प्रथम चरण में 16 मंदिरों का अवस्थापना विकास किया जा रहा है। पहली बार जागेश्वर मंदिर पर आधारित गणतंत्र दिवस की झांकी को पहला स्थान मिला।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में ‘‘मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’’ की अवधारणा के अन्तर्गत आई.टी का अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है। अपणि सरकार पोर्टल पर लगभग 70 प्रतिशत सेवायें ऑनलाईन उपलब्ध है। ‘अपणों स्कूल अपणों प्रमाण’ के अन्तर्गत विद्यालय में ही छात्र-छात्राओं को सभी प्रमाण पत्र निर्गत किये जा रहे हैं। रोजगार के सृजन की दृष्टि से 18000 पॉली हाउस एक साथ स्वीकृत किये गये जबकि विगत वर्षों में लगभग 500 पॉली हाउस प्रतिवर्ष स्वीकृत होते थे। आगामी दो वर्षो में प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से लगभग एक लाख से अधिक रोजगार का सृजन होगा। पर्यटन नीति 2023 के अन्तर्गत लगभग 40 हजार करोड़ रूपये का निवेश सम्भावित है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होगा। विदेशों में रोजगार के आकर्षक अवसर उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन एवं वैश्विक रोजगार योजना लायी गयी है। पर्यटक स्थलों पर सुगमतापूर्वक आवागमन के लिये 58 हैलीपोर्ट तथा हैलीपैड निर्मित किये गये हैं एवं 29 हैलीपोर्ट तथा हैलीपैड निर्माणाधीन है। स्थानीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के ड्रोन के निर्माण तथा दूरस्थ क्षेत्रों में आवश्यकीय सेवाओं, विकास कार्यो की निगरानी के लिये ‘ड्रोन यूसेज एंड प्रमोशन पॉलिसी’लायी जा रही है। सात जनपदों के 250 कृषकों को वर्तमान में ड्रोन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राज्य में महिलाओं को अधिक सशक्त बनाने के लिये 2025 तक 1.25 लाख लखपति दीदी का लक्ष्य रखा गया है एवं 33,158 परिवारों को लखपति दीदी के रूप में तैयार किया गया है।

RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

- Advertisment -

Recent Comments

error: Content is protected !!