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Monday, December 29, 2025
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एम्स ऋषिकेश: चिकित्सकों ने बचायी जान, रिजिड एवं फ्लेक्सिबल ब्रोन्कोस्कोपी कर निकाली श्वास नली से पिन

एम्स ऋषिकेश, 29 दिसम्बर 2025
खेल-खेल में 16 साल का एक बच्चा टाॅफी की जगह एक पिन निगल गया। परेशानी बढ़ी तो सांस अटकने की समस्या के कारण बच्चे की जान सांसत में फंस गयी। बाद में परिजन उसे लेकर एम्स ऋषिकेश पंहुचे। जंहा विशेषज्ञ चिकित्सकों ने रिजिड ब्रोंकोस्काॅपी के माध्यम से श्वास नली में फंसी पिन निकालकर बच्चे की जान बचाने में सफलता हासिल की।

एम्स की पीडियाट्रिक इमरजेंसी में में हाल ही में एक 16 साल का लड़का गले में तेज दर्द होने और सांस लेने में परेशानी की शिकायत को लेकर आया था। बिजनौर के रहने वाले इस बच्चे के परिजनों ने बताया कि बच्चे के एक हाथ में टाॅफी और दूसरे हाथ में एक पिन थी। खेल-खेल में उसने गलती से टाॅफी की जगह पिन निगल ली। इससे उसके गले में तेज दर्द होने के साथ ही खांसी के साथ उसे सांस लेने में भारी दिक्कत होने लगी। बिजनौर के डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए तो परिजन 25 दिसम्बर को उसे लेकर एम्स पंहुचे। जांचोंपरान्त पता चला कि उसके दाहिने ब्रॉन्कस (श्वास नली) में नोटिस बोर्ड में उपयोग की जाने वाली एक पिन फंसी है और इससे उसकी सांस की नली अवरूद्ध हो गयी है।

बच्चे का जीवन खतरे में देखते हुए इमरजेन्सी के डाॅक्टरों द्वारा तत्काल ब्रोंकोस्काॅपी की आवश्यकता जतायी गयी। इसके लिए पीडियाट्रिक पल्मोनोरी विभाग की हेड और संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह के मार्गदर्शन में विभिन्न विभागों के चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम गठित की गयी।

टीम वर्क के तहत इस प्रक्रिया का नेतृत्व संस्थान के एडल्ट इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. मयंक मिश्रा कर रहे थे। आवश्यकता को देखते हुए इसके लिए पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की हेड डॉ बी सत्या श्री, पीडियाट्रिक पल्मोनरी विभाग के डॉ लोकेश अरोड़ा और एनेस्थीसिया विभाग के डॉ अजय कुमार के साथ मिलकर मल्टी डिसिप्लिनरी प्लानिंग तैयार की गयी। डॉक्टर मयंक ने बताया कि बेहद जटिल कंडीशन के इस मामले में पहले रिजिड ब्रोंकोस्कोपी के माध्यम से पिन को रिजिड स्कोप के अंदर तक लाया गया । इसके पश्चात रिजिड स्कोप के अंदर से फ्लेक्सिबल ब्रोंकोस्कोप और फोरसेप्स का इस्तेमाल करके पिन को बड़ी सावधानी पूर्वक निकाल लिया गया।

चिकित्सा अधीक्षक प्रो बी सत्या श्री ने बताया कि बेहद जोखिम भरे इस प्रोसीजर के माध्यम से हमारे चिकित्सक बच्चे का जीवन बचाने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि बच्चे को 2 दिन तक ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने प्रोसीजर करने वाली चिकित्सकों की टीम के कार्यों की प्रशंसा की है।

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