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Wednesday, March 12, 2025
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एसटीएफ द्वारा डिजिटल अरेस्ट स्कैम का भण्डाफोड़, मास्टर माइण्ड अभियुक्त को झारखण्ड से किया गिरफ्तार

जी0एम0एस0 रोड, देहरादून निवासी एक पीडित को साइबर ठगों द्वारा डिजिटल अरेस्ट कर 32 लाख 31 हजार 798 रुपये की धनराशि ठगे जाने के मामले में हुआ इस गिरोह का पर्दा फाश

गिरोह द्वारा मुम्बई क्राइम ब्रांच एवं सी0बी0आई0 अधिकारी बन वीडियो कॉल/वॉइस कॉल के माध्यम से पीडित को 24 घण्टे से अधिक समय तक रखा गया था डिजिटल अरेस्ट

 *अब तक की विवेचना से गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा धोखाधडी में प्रयुक्त किये जा रहे बैंक खाते के विरुद्ध तेलंगाना व कर्नाटक राज्य में भी शिकायतें दर्ज होना पायी गयी

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि जी0एम0एस0 रोड देहरादून निवासी एक पीडित द्वारा साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन देहरादून पर आकर सूचना अंकित कराई गई थी कि दिनांक 30.10.2024 को उसके मोबाइल नं0 पर अनजान नम्बर से एक कॉल आयी जिसने स्वयं को DHL कूरियर कंपनी से बताकर कहा कि शिकायतकर्ता के नाम के पार्सल को मुंबई सीमा शुल्क ने पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और MDMA जैसी अवैध वस्तुओं के कारण जब्त कर लिया है तथा उक्त कॉल को कथित मुंबई क्राइम ब्रांच-अंधेरी से बात करने के लिये कर दिया गया फिर उसे किसी तथाकथित पुलिस वाले से जोड़ा गया, जिसने व्हाट्सएप कॉल कर पार्सल के बारे में पूछताछ की और वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी बनकर 24 घंटे के अन्दर गिरफ्तारी का डर दिखाकर वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी वारंट एवं भारत के सर्वोच्च न्यायालय का एक नोटिस दिखाया व उसे पूछताछ के लिये मुंबई पुलिस स्टेशन आने अथवा वीडियो कॉल पर ही अपना पक्ष रखने का विकल्प दिया गया।

इन लोगों के द्वारा शिकायतकर्ता से उसके दिन भर की गतिविधियों की जानकारी ली और उसे कहीं भी यात्रा न करने के लिए भी कहा गया। शिकायतकर्ता द्वारा इनके षडयंत्र में फंसकर जेल जाने के डर से यह बात किसी से साझा नहीं की व दिनांक 30 अक्टूबर, 2024 को दोपहर 02.00 बजे से 24 घंटे वीडियो/ऑडियो कॉल की निगरानी में डिजिटल रुप से निगरानी में अवरुद्ध रहा। जब तक शिकायतकर्ता को इस घोटाले की जानकारी हुई तब तक इन लोगों के द्वारा शिकायतकर्ता को विभिन्न तरीकों से अपने जाल में फंसाकर व बताये गये बैंक खातों में पैसा जमा कराने हेतु डरा धमकाकर मजबूर कर यह बताते हुये कि किसी भी अवैध लेनदेन को ट्रैक करने के लिए निगरानी खाते हैं और ये 24-48 घंटों में मेरे खाते में वापस कर दिए जाएंगे।

शिकायत कर्ता से 32,317,98 लाख रुपये ट्रांसफर कराकर धोखाधडी को अंजाम दे दिया गया। शिकायतकर्ता से एक ट्रांजैक्शन कराने के बाद इन लोगों ने शिकायतकर्ता को यह भी धमकी दी कि उच्च अधिकारी और अधिक जांच करना चाहते हैं और शिकायतकर्ता की सभी संपत्तियों को फ्रीज करा देंगे और सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली के नाम पर 2 दिनों के भीतर 10,50,000/- रुपये और मांगे। तब शिकायतकर्ता को एहसास हुआ कि वह इस घोटाले का शिकार हो गया है तथा यह पैसा इस तरह से वापस नहीं आने वाला है। तब शिकायतकर्ता द्वारा पुलिस में घटना की सूचना दी गयी।

साइबर अपराधियों द्वारा पीडित को डिजिटल अरेस्ट कर पीडित की जिन्दगी भर की कमाई धोखाधडी से हड़प ली गयी थी । प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ द्वारा घटना के शीघ्र अनावरण हेतु पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा के कुशल पर्यवेक्षण एवं प्रभारी निरीक्षक त्रिभुवन सिंह रौतेला के नेतृत्व में पुलिस टीम गठित कर अभियोग के सफल एवं शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये । साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी, तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया और प्राप्त डेटा का गहनता से विश्लेषण करते हुये तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर इस घटना में शामिल मुख्य अभियुक्त को चिन्ह्ति किया गया एवं तलाश जारी करते हुये कई स्थानों पर दबिश दी गयी, अभियुक्त अत्यंत शातिर था और लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था।

किन्तु आखिरकार साईबर पुलिस टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये अभियोग में संलिप्त मुख्य अभियुक्त दीपक कुमार वर्मा उम्र 39 वर्ष को आजादनगर सूदना, डाल्टगंज शहर, जिला पलामू, झारखण्ड से गिरफ्तार किया गया जिसके कब्जे से वादी के साथ धोखाधडी में प्रयुक्त बैंक खाते के एसएमएस अलर्ट नं0 सहित 02 मोबाईल फोन, सम्बन्धित चैक बुक, आधार कार्ड आदि बरामद हुआ। अब तक की विवेचना से गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा धोखाधडी में प्रयुक्त किये जा रहे उक्त बैंक खाते के विरुद्ध तेलंगाना व कर्नाटक राज्य में भी शिकायतें दर्ज होना पायी गयी हैं।

अपराध का तरीका:-

डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं। साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सी0बी0आई0 ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, IT या ED ऑफिसर के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम/ आधार कार्ड आदि आई0डी0 पर खोले गये बैंक खातों में हवाला आदि का पैसा जमा होने अथवा आपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आरबीआई से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है।

कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए। इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं।

गिरफ्तार अभियुक्त का नाम पता-
1- दीपक कुमार वर्मा पुत्र नरेश प्रसाद निवासी आजाद नगर सूदना, शहर थाना डाल्टनगंज मेदिनीनगर, पलामू झारखण्ड उम्र 39 वर्ष।

गिरफ्तारी का स्थान- आजादनगर सूदना, डाल्टगंज शहर, जिला- पलामू, झारखण्ड।

बरामदगी- वादी के साथ धोखाधडी में प्रयुक्त बैंक खाते के *एस0एम0एस0 अलर्ट नं0 सहित 02 मोबाईल फोन, सम्बन्धित चैक बुक, आधार कार्ड आदि।

गिरफ्तारी पुलिस टीम-

1-निरी0 त्रिभुवन रौतेला
2-उ0नि0 कुलदीप टम्टा
3-कॉन्स0 पवन पुण्डीर
4-कॉन्स0 केतन बिष्ट

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखण्ड नवनीत सिंह द्वारा जनता से अपील की है कि डिजिटल अरेस्ट एक स्कैम है जो वर्तमान में पूरे भारत वर्ष में चल रहा है, कोई भी सी0बी0आई0 अफसर, मुम्बई क्राईम ब्रान्च, साइबर क्राइम, IT या ED अफसर या कोई भी एजेंसी आपको व्हाट्सएप के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट करने हेतु नोटिस प्रेषित नहीं करती है। साथ ही कोई व्यक्ति आपको फर्जी दस्तावेज, अवैध सामग्री आदि के नाम पर डरा धमका रहा है या पैसों की मांग कर रहा है तो इस सम्बन्ध में STF/साइबर थाने में अतिशीघ्र अपनी शिकायत दर्ज करायें। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साइट/धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अंनजान अवसरो के प्रलोभन में न आयें । किसी भी प्रकार के ऑनलाईन कम्पनी की फ्रैन्चाईजी लेने, यात्रा टिकट आदि को बुक कराने से पूर्व उक्त साईट का स्थानीय बैंक, सम्बन्धित कम्पनी आदि से पूर्ण वैरीफिकेशन व भली-भाँति जांच पड़ताल अवश्य करा लें तथा गूगल से किसी भी कस्टमर केयर का नम्बर सर्च न करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन से सम्पर्क करें । अगर आपको ऐसी ही कोई कॉल या मैसेज आए तो इसकी शिकायत जरूर करें। सरकार ने साइबर और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट पर चक्षू पोर्टल भी लॉन्च किया हुआ है। आप इस तरह की घटना की शिकायत 1930 साइबरक्राइम हेल्पलाइन पर या http://www.cybercrime.gov.in पर भी दर्ज करा सकते हैं।

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