यदि आप अस्थमा रोगी हैं तो अलर्ट रहें। ठंड और कोहरे की यह समस्या सबसे अधिक अस्थमा रोगियों के लिए नुकसानदेय है। ऐसे में अस्थमा रोगियों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। एम्स ऋषिकेश ने अस्थमा रोगियों को इस मौसम में विशेष एहतिहात बरतने की सलाह दी है।
मौसम विज्ञानियों के अनुसार अमूनन दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में होने वाली बारिश इस बार नहीं हो पाई। मौसम की इस बेरूखी से इस बार सूखी ठंड ज्यादा पड़ रही है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ठंड और कोहरे का सर्वाधिक दुष्प्रभाव अस्थमा के रोगियों पर पड़ता है। अस्थमा को सामान्य भाषा में दमा रोग भी कहा जाता है। ऐसे मौसम में सर्दी बढ़ने और कोहरा छाने से वायुमण्डल में आद्रता बढ़ जाती है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार यह स्थिति श्वास रोगी और दमा रोगियों के लिए सीधेतौर पर नुकसानदायक है। एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने बताया कि ठंड और कोहरे के कारण वायुमण्डल में जल की बूंदे संघनित होकर हवा के साथ मिल जाती हैं। यह हवा जब सांस के माध्यम से शरीर के भीतर प्रवेश करती है, तो सांस की नलियों में ठंडी हवा जाने से उनमें सूजन आने लगती है। ऐसे में अस्थमा रोगी गंभीर स्थिति में आ सकते हैं। इससे बचने के लिए उन्होंने मास्क का इस्तेमाल करते हुए ठंड से पूरी तरह बचने की सलाह दी है।
प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने बताया कि अस्थमा किसी भी व्यक्ति को और किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन समय पर इसके लक्षणों की पहचान होने से इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।
संस्थान के पल्मोनरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर गिरीश सिंधवानी ने बताया कि यह रोग संक्रमण से नहीं फैलता है, किन्तु यह एलर्जी से होने वाली बीमारी है। जुकाम और बार-बार आने वाली छींकों से उत्पन्न यह एलर्जी जब नाक व गले से होते हुए छाती में फेफड़ों तक पहुंचती है तो अस्थमा का रूप ले लेती है। अस्थमा रोगियों को रात के समय ज्यादा दिक्कत होती है। उन्होंने बताया कि समय पर इलाज नहीं लेने से मरीज की सांस फूलने लगती है और दम घुटने के कारण उसे अस्थमा अटैक पड़ जाता है।
डॉक्टर सिंधवानी ने सलाह दी कि अस्थमा के रोगी नियमिततौर पर दवा का सेवन करना नहीं भूलें। उन्होंने बताया कि बीच-बीच में दवा छोड़ने से यह बीमारी घातक रूप ले लेती है। डॉ. सिंधवानी के अनुसार लोगों में भ्रान्तियां हैं कि इनहेलर का उपयोग केवल संकट के समय ही किया जाता है। जबकि यह पूर्णतौर से गलत है। उन्होंने बताया कि इनहेलर का इस्तेमाल अस्थमा के रोगी को नियमिततौर से करना चाहिए। इस बीमारी में इनहेलर सबसे उत्तम उपाय है। इससे बचना, नुकसानदेह होता है। उन्होंने बताया कि एम्स में इस बीमारी की सभी जांचों और उपचार की बेहतर सुविधा उपलब्ध है।
अस्थमा के प्रमुख लक्षण-
खांसी, जुकाम, छींकें आना, सांस फूलना,
सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना
अस्थमा को बढ़ाने वाले कारक-
ठंड, कोहरा, धुंध, धुंआ, धूल, प्रदूषण, संक्रमण, पेन्ट्स की गन्ध, परागकण। इसके अलावा बन्द घरों के भीतर रहने वाले पालतू कुत्ते और बिल्लियों के बालों से भी अस्थमा मरीजों की परेशानी बढ़ती हैं।
अस्थमा से बचाव-
फ्रिज का पानी, ठंडी और बासी चीजों का सेवन नहीं करें। सर्दी से बचाव करने हेतु सभी उपाय जैसे गर्म कपड़े पहनना, धूप आने से पहले बाहर नहीं निकलना, कमरों के भीतर बैठने की बजाए धूप में बैठने को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। धूप में विटामिन- डी प्रचुर मात्रा में होती है और यह जनरल बूस्टर का कार्य करते हुए शरीर की इम्यूनिटी क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा दवा का सेवन नियमिततौर से करें।