12.2 C
Dehradun
Sunday, December 22, 2024
Homeदेशसुप्रीम कोर्ट में दो नए जजों की नियुक्ति, एक उत्तराखंड से, जानें...

सुप्रीम कोर्ट में दो नए जजों की नियुक्ति, एक उत्तराखंड से, जानें कॉलेजियम सिस्टम क्या है?

सुप्रीम कोर्ट में अधिकतम जजों की क्षमता 34 होती है। सोमवार को दो नए जजों की नियुक्ति के साथ ही ये संख्या पूरी हो गई थी, लेकिन आज फिर से घटकर 33 हो गई।

दरअसल पांच मई को चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली कोलेजियम ने केंद्र को इन जजों के नाम की सिफारिश की थी। सात मई को सरकार ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जमशेद बी पारदीवाला के नाम पर मोहर लगा दी। सोमवार को चीफ जस्टिस एन वी रमण ने जस्टिस धूलिया और जस्टिस परदीवाला को शपथ दिलाई। लेकिन, मंगलवार को जस्टिस विनीत सरन की सेवानिवृत्ति के साथ ये संख्या घटकर 33 हो गई।

सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति कैसे होती है? 
संविधान के अनुच्छेद 124 में जजों की नियुक्ति के बारे में और अनुच्छेद 217 में हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के बारे में संवैधानिक व्यवस्था की गई है। संविधान लागू होने के बाद राष्ट्रपति जजों की नियुक्ति करते थे। जजों की नियुक्ति को लेकर पहली बार विवाद आपातकाल के पहले आया, इंदिरा गांधी सरकार ने वरिष्ठता क्रम को नजरअंदाज करके एएन राय को चीफ जस्टिस बनाया।

उसके बाद से जजों की नियुक्ति और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर कई विवाद हुए हैं। जजों की नियुक्ति को लेकर तीन अहम फैसले हैं। पहला 1981 में, दूसरा 1993 और तीसरा 1998 में आया था। पहले की व्यवस्था में राष्ट्रपति नियुक्ति करते थे। उसमें सुप्रीम कोर्ट के जजों से विचार विमर्श किया जाता था। 1981 में जजों की सहमति को जरूरी नहीं माना गया। 1993 और 1998 में जो फैसले आए उसमें कहा गया कि जजों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश बाध्यकारी होगी। इसके बाद सी मौजूदा कॉलेजियम व्यवस्था की शुरुआत हुई।

कॉलेजियम सिस्टम क्या होता है?
28 अक्टूबर 1998 को प्रभाव में आए कॉलेजियम सिस्टम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों की कमेटी (कॉलेजियम) नए जजों की नियुक्ति और तबादले की सिफारिश करती है। इसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट में नई नियुक्तियां होती हैं। नियुक्ति की इसी प्रक्रिया को  “कॉलेजियम सिस्टम” कहा जाता है।

जजों की नियुक्ति की पूरी प्रकिया कैसे होती है?
कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट के नए जज की नियुक्ति के लिए वकीलों या जजों के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजती है। इसी तरह केंद्र भी अपने कुछ प्रस्तावित नाम कॉलेजियम को भेजती है। केंद्र के पास कॉलेजियम से आने वाले नामों की जांच/आपत्तियों की छानबीन की जाती है और रिपोर्ट वापस कॉलेजियम को भेजी जाती है। सरकार इसमें कुछ नामों की अपनी तरफ से सिफारिश करती हैं। कॉलेजियम, केंद्र द्वारा सिफारिश किए गए नए नामों और कॉलेजियम के नामों पर केंद्र की आपत्तियों पर विचार करके फाइल दोबारा केंद्र के पास भेजती है। यहां पर यह बताना जरूरी है कि जब कॉलेजियम किसी वकील या जज का नाम केंद्र सरकार के पास “दोबारा” भेजती है। तो केंद्र को उस नाम को स्वीकार करना ही पड़ता है। राष्ट्रपति के मुहर लगने के बाद लिस्ट नाम फाइनल होता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस नए जजों को शपथ दिलाते हैं।

कॉलेजियम की व्यवस्था में बदलाव की बात भी तो हुई थी, उसका क्या?
2014 में केंद्र सरकार ने कॉलेजियम व्यवस्था को खत्म करने के लिए एनजेएसी कानून पास किया। जिसे एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता सर्वोच्च मानते हुए निरस्त कर दिया। कोर्ट ने माना कि नए कानून में केंद्रीय कानून मंत्री के रोल से न्यायपालिका की स्वतंत्रता बाधित होगी। एनजेएसी कानून निरस्त होने के बाद पूरानी व्यवस्था को जारी रखा गया। हालांकि, इस फैसले के दौरान कोर्ट ने माना कि मौजूदा व्यवस्था को भी ठीक करने और उसे पारदर्शी बनाने की जरूरत है। इसके लिए एक मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) बनना था, जिसे सरकार और सुप्रीम कोर्टको मिलकर बनाना था, लेकिन अभी तक ये नोटिफाई नहीं हो पाया है।

सुप्रीम कोर्ट में क्या अधिकतम 34 जज ही हो सकते हैं?
मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट में अधिकतम 34 जज हो सकते हैं। सोमवार को ये संख्या पूरी हो गई। लेकिन, मंगलवार को ही जस्टिस विनीत सरन की सेवानिवृत्ति के साथ ही ये संख्या घटकर 33 हो गई। हालांकि, आजादी के बाद से ही ऐसा नहीं रहा है। जब संविधान बना उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 8 थी। जो 1956 में बढ़कर 11, 1960 में 14, 1978 में 18, 1986 में 26, 2009 में 31 और 2019 में कुल जजों की संख्या बढ़कर 34 हो गई।

अब तक सुप्रीम कोर्ट में कितनी महिलाएं जज बन चुकी हैं?
भारत का संविधान लागू होने के बाद 26 जनवरी 1950 को जस्टिस हरिलाल कानिया देश के पहले चीफ जस्टिस बने। उनके साथ कुल पांच जजों की नियुक्ति हुई। तब से अब तक सुप्रीम कोर्ट में 258 जज नियुक्त हो चुके हैं, इनमें सिर्फ 11 जज महिला हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 34 है, जिनमें केवल 4 महिलाएं हैं। जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस हिमा कोहली फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जज हैं।

अगले कुछ महीनों में कई जजों का रिटायरमेंट
मंगलवार को जस्टिस विनीत शरण रिटायर होने वाले हैं। इसके बाद जून में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जुलाई में जस्टिस खानविलकर, अगस्त में चीफ जस्टिस रमण, सितंबर में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, अक्टूबर में जस्टिस हेमंत गुप्ता और नवम्बर में जस्टिस यूयू ललित चीफ जस्टिस के रूप में रिटायर होने वाले हैं।

देश के अगले चीफ जस्टिस कौन होंगे? 
अगस्त में चीफ जस्टिस रमण रिटायर होंगे। जस्टिस रमण के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस उदय उमेश ललित देश के नए चीफ जस्टिस होंगे। जस्टिस ललित करीब ढाई महीन तक इस पद पर रहेंगे। इसी साल नवंबर में उनका रिटायरमेंट है। जस्टिस ललित के सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस डीवाई चन्द्रचूर्ण देश के अगले चीफ जस्टिस होंगे। जस्टिस चंद्रचूर्ण नवंबर 2024 तक इस पद पर रहेंगे।

RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

- Advertisment -

Recent Comments

error: Content is protected !!