देहरादून। उत्तराखंड में शिशु मृत्यु दर में चार अंकों का सुधार हुआ है। भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर वर्ष 2019 के लिए कराए गए सर्वे के मुताबिक सूबे में बाल मृत्यु दर अब 27 प्रति हजार जीवित जन्म है।
शिशु मृत्यु दर में इस गिरावट का श्रेय राज्य में कार्यरत आशा कार्यकत्रियों को जाता है। जिन्होंने सुरक्षित प्रसव कराने के लिए गर्भवती महिलाओं को जागरूक किया।
सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य में शिशु मृत्यु दर में चार अंकों की गिरावट आई है जो कि राज्य में बेहतर होते स्वास्थ्य सेवाओं के संकेत हैं। डॉ रावत ने कहा कि भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर वर्ष 2019 के लिए कराए गए सर्वे के मुताबिक सूबे में बाल मृत्यु दर अब 27 प्रति हजार जीवित जन्म स्तर पर पहुंच गया है, जबकि पूर्व में राज्य की शिशु मृत्यु दर 31 प्रति हजार जीवित जन्म स्तर पर थी।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार समय-समय पर एसआरएस बुलेटिन जारी करती है जिसमे सभी राज्यों में शिशु मृत्यु दर के आंकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में शिशु मृत्यु दर में हुए सुधार का श्रेय आशा हेल्थ वर्करों को जाता है। जिन्होंने घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं की अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराने के लिए प्रेरित किया।
इसके अलावा इस उपलब्धि को हासिल करने में चिकित्सकों, एएनएम सहित अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी अहम है। डॉ रावत ने कहा कि अस्पतालों में प्रसव करने के लिए आशाओं एवं एएनएम द्वारा गर्भवती महिलाओं एवं धात्री महिलाओं को जागरूक किया गया।
जिसके परिणाम स्वरूप अधिसंख्य गर्भवती महिलाएं प्रसव करने हेतु अस्पतालों आ रही हैं। विभागीय मंत्री ने कहा कि सूबे में टोल फ्री नंबर 104 गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए संचालित किया जा रहा है। जिसके जरिये गर्भवती महिलाओं से संपर्क स्थापित कर सुरक्षित प्रसव की निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि सूबे में शिशु मृत्यु दर में और अधिक गिरावट लाने के लिए सरकार प्रयासरत है।
मिशन निदेशक एनएचएम सोनिका ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर शिशु मृत्यु दर 30 प्रति हजार जीवित जन्म है, जो उत्तराखंड से तीन अंक अधिक है। उन्होंने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत शिशु स्वास्थ्य की देखभाल हेतु संचालित विभिन्न योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन हो रहा है जिसका नतीजा है कि राज्य में बाल मृत्यु दर में कमी आई है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव के लिए सभी सेवाओं को बेहतर बनाया गया है।