अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में 10वां विश्वस्तरीय एटीसीएन प्रशिक्षण कार्यक्रम विधिवत शुरू हो गया। जिसमें संस्थान के 16 सीनियर नर्सिंग ऑफिसरों व नर्सिंग ऑफिसरों को टर्सरी केयर सेंटर में भर्ती होने वाले दुर्घटना में घायल ट्राॅमा मरीजों के उपचार संबंधी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
शुक्रवार को मेडिकल एजुकेशन विभाग में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत की देखरेख में तीन दिवसीय एटीसीएन प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया है। इस अवसर पर निदेशक एम्स ने कहा कि दुनिया का कोई भी ट्रॉमा सिस्टम तब तक प्रभावी नहीं है, जब तक उसमें ट्रेंड ट्रॉमा नर्सेस न हों।
निदेशक ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों के लिए इस तरह की विश्वस्तरीय प्रशिक्षण नितांत आवश्यक है, इसकी वजह यह है कि पहाड़ी क्षेत्रों में विभिन्न तरह की दुर्घटनाओं के चलते ट्रॉमा के मामले सर्वाधिक होते हैं, लिहाजा प्रत्येक हैल्थ केयर वर्कर को टर्सरी केयर लेवल पर चिकित्सा कार्य करने के लिए यह प्रशिक्षण लेना जरुरी है, तभी वह दुर्घटना में घायल मरीजों की ठीक प्रकार से देखभाल कर सकते हैं।
निदेशक एम्स ने बताया कि ट्रॉमा मैनेजमेंट एक टीमवर्क है, लिहाजा उसकी ट्रेनिंग भी विश्वस्तरीय मानकों के तहत कराई जानी जरुरी है। ट्रेनिंग प्रोग्राम डा. अजय कुमार व दीपिका कांडपाल के संयोजन में आयोजित किया जा रहा है।
ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम की अगुवाई में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. रजनीश अरोड़ा, डा. मधुर उनियाल, डा.दिवाकर गोयल, डा. शैय्यद इफ्तकार,डा. अजय कुमार, डा. राकेश शर्मा, डा. राजेश कुमार, महेश देवस्थले, चंदू राम ने प्रशिक्षणार्थियों को ट्रॉमा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया।