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Monday, December 16, 2024
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UKSSSC Exam : हाईकोर्ट ने दायर याचिका पर की सुनवाई, सरकार एवं आयोग को जवाब दाखिल करने के निर्देश

हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यूकेएसएसएससी के 900 सौ से अधिक पदों पर हुए चयन को निरस्त करने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की। न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने राज्य सरकार और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख तय की है।

जगपाल सिंह और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि आयोग ने स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए समूह ग समेत अन्य पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। चार-पांच दिसंबर 2021 को परीक्षा हुई और सात अप्रैल को परिणाम घोषित किया गया।

परीक्षा में करीब डेढ़ लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी, जिसमें से 916 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन हुआ। अभ्यर्थियों के चयन के बाद उनके सर्टिफिकेट का सत्यापन हुआ, लेकिन पेपर लीक होेने के बाद मुकदमा दर्ज करते हुए सभी नियुक्तियां निरस्त कर दी गईं। अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने मेहनत करके यह परीक्षा पास की है। सरकार ने बिना किसी कारण के उन्हें नियुक्ति नहीं दी।

याची दीपक ने बताया कि हमने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में अपना पक्ष रखा है कि स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में मेहनत से चयनित युवाओं को नियुक्ति दी जाए। सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह फैसले पर पुनर्विचार करते हुए मेहनती युवाओं को नियुक्ति और दोषियों को कठोर सजा दे, ताकि उत्तराखंड के मेहनती युवा खुद को ठगा महसूस ना करें। 

याची मनोज ने बताया कि प्रदेश सरकार युवाओं को रोजगार देने में विफल हो चुकी है। एक भर्ती की तैयारी में एक युवा को तीन वर्ष लगते हैं। अगर उस भर्ती का पेपर लीक होता है तो इसमें बेरोजगार युवा की क्या गलती है ? मुख्यमंत्री आश्वासन देते रहे कि मेहनती चयनित युवाओं के साथ अन्याय नहीं होगा और भर्ती रद्द करने की घोषणा कर दी गई।  

चयनित अभ्यर्थी अजय शाह रॉय ने बताया कि हमारे कठिन प्रयास के बावजूद नियुक्ति के रूप में प्रतिफल नहीं मिल पा रहा है। मैं इस परीक्षा के लिए पांच वर्ष से मेहनत कर रहा था। चंद लोगों की गलती की सजा एक बड़ा चयनित वर्ग भुगत रहा है।
आंतरिक जांच में जहां आठ भर्तियों को क्लीन चिट मिल जाती है, वहीं एसटीएफ की ओर से की गई जांच के बाद तीन भर्तियों को रद्द कर दिया गया, जबकि सरकार मेहनत से चयनित युवाओं को नियुक्ति देकर एवं बेईमान युवाओं को कठोर सजा देकर नजीर पेश कर सकती थी।  
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