उत्तराखंड में इन दिनों यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। गिरफ्तारियों का सिलसिला भी जारी है। बुधवार को स्पेशल टास्क फोर्स उत्तराखंड ने एक आरोपी को गोवा से गिरफ्तार किया है। मामले में अब तक 30 गिरफ्तारियां हो चुकी है।
बुधवार को स्पेशल टास्क फोर्स ने उत्तर प्रदेश के नकल माफिया का गुर्गा गोवा से गिरफ्तार किया है। स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने माफिया और सौदागर के बीच की एक और कड़ी को गिरफ्तार किया है।
पूर्व में गिरफ्तार अभियुक्त से पूछताछ और साक्ष्यों पर एसटीएफ की एक टीम को संदिग्ध की जानकारी के लिए गोवा भेजा गया था। जहां पर अभियुक्त फिरोज हैदर को नॉर्थ गोवा में पणजी से गिरफ्तार करने में टीम को सफलता मिली है। फिरोज हैदर निवासी श्याम विहार कॉलोनी सीतापुर रोड लखनऊ के माफिया गिरोह का सदस्य था जो परीक्षा के प्रश्न पत्र लेकर अन्य आरोपियों के साथ हल्द्वानी आया और शशिकांत को उपलब्ध कराया गया था।
गहन पूछताछ और साक्ष्यों से अभियुक्त का धामपुर जाना और वहा के नकल माफिया केंद्रपाल से संपर्क में होने की भी पुष्टि हुई है। वहीं पेपर लीक और नकल माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए राज्य सरकार अब सख्त नकलरोधी कानून बनाने जा रही है। अधीनस्थ सेेवा चयन आयोग की ओर से भेजे गए नकलरोधी कानून के प्रस्ताव का कार्मिक विभाग ने अध्ययन शुरू कर दिया है।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग एक्ट के हिसाब से अभी नकल रोकने का खास प्रावधान नहीं है। आज भी आयोग के एक्ट के तहत पर्ची के साथ नकलची पकड़े जाने पर अनफेयर मीन रूल (यूूएफएम) के प्रावधान हैं। नकलची अब काफी हाईटेक हो चुके हैं। ऑनलाइन परीक्षाओं में कंप्यूटर हैक कर नकल कराने से लेकर ब्लूटूथ डिवाइस से नकल के मामले भी सामने आ चुके हैं।
वहीं, इन दिनों स्नातक स्तरीय पेपर लीक का प्रकरण भी खूब चर्चाओं में है। ऐसे नकलचियों और नकल माफिया पर नकेल कसने के लिए आयोग के पूर्व अध्यक्ष एस राजू और सचिव संतोष बडोनी ने सख्त नकलरोधी कानून बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। इस प्रस्ताव में पेपर लीक करने वालों को दस साल की जेल से लेकर दस करोड़ तक के जुर्माने की सिफारिश की गई है। उनकी संपत्ति को जब्त करने का भी प्रावधान किया गया है। नकल करने वाले उम्मीदवारों पर भी तीन से पांच साल का प्रतिबंध लगाने के साथ ही पांच साल तक सजा की सिफारिश भी की गई है। शासन ने इस प्रस्ताव का अध्ययन शुरू कर दिया है।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के प्रस्ताव पर सरकार चाहेगी तो पूरे प्रदेश की सभी भर्ती संस्थाओं के लिए एक कानून बना सकती है। अगर चाहेगी तो आयोग के लिए अलग-अलग कानून बना सकती है। इस पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद कानूनी रूप देने के लिए विधानसभा में रखा जाएगा।