सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन के अनुसार 31 जुलाई को अतिवृष्टि के चलते केदारनाथ तथा केदारनाथ मार्ग में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू अभियान युद्धस्तर पर जारी है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीमें मार्ग में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं। दिनांक 02 अगस्त 2024 तक कुल 7234 यात्रियों का रेस्क्यू किया गया है। वहीं दिनांक 03 अगस्त 2024 को 1865 यात्रियों का रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। दिनांक 03 अगस्त तक कुल 9099 यात्रियों का रेस्क्यू किया जा चुका है। करीब 1000 यात्रियों को रेस्क्यू करने के लिए अभियान जारी है। मा0 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी रेस्क्यू अभियान की स्वयं मॉनीटरिंग कर रहे हैं। यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि दिनांक 02 अगस्त 2024 तक 15 यात्री केदारनाथ से एयरलिफ्ट किए गए। लिंचौली और भीमबली से 1354 यात्रियों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। भीमबलीध्लिंचौली से पैदल 365 यात्री चौमासी-कालीमठ पहुंचे तथा गौरीकुंड से सोनप्रयाग पैदल पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 5500 रही।
दिनांक 03 अगस्त को केदारनाथ से 43 यात्रियों को एयरलिफ्ट किया गया। लिंचौली और भीमबली से कुल 495 यात्री एयरलिफ्ट किए गए। वहीं 90 यात्री भीमबलीध्लिंचौली से पैदल चौमासी-कालीमठ सुरक्षित पहुंचे। गौरीकुंड से सोनप्रयाग आने वाले यात्रियों की संख्या 1162 रही। चीड़बासा ;गौरीकुंडद्ध से 75 तीर्थयात्रियों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। वहीं विभिन्न स्थानों पर फंसे करीब 1000 यात्रियों को सुरक्षित निकालने की कार्रवाई गतिमान है।
वहीं 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि के कारण 15 लोगों की मृत्यु हुई है। वहीं 01 अगस्त को देहरादून के सहसत्रधारा में स्नान करते समय पैर फिसलने से 02 लोगों की मौत हुई, जो मानवीय भूल की श्रेणी में दर्ज है। इस प्रकार कुल 17 यात्रियों की मृत्यु हुई है। वहीं अलग-अलग स्थानों पर हुए हादसों में 10 लोग घायल हुए और 01 व्यक्ति अभी लापता है। जिलावार टिहरी में 03, हरिद्वार में 04, देहरादून में 06, चमोली में 01, रुद्रप्रयाग में 03 लोगों की मृत्यु हुई है।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राहत और बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ ही वायुसेना के चिनूक तथा एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात हैं। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ के 83 जवान, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ तथा पीआरडी के 168 जवान, पुलिस विभाग के 126, अग्निशमन के 35 कार्मिक अलग-अलग स्थानों पर तैनात हैं। 35 आपदा मित्रों के साथ ही लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कार्यरत 150 मजदूर अवरुद्ध मार्गों को खोलने में लगाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के 12 डाक्टरों के नेतृत्व में 32 कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। राजस्व विभाग के 57, जीएमवीएन के 68, खाद्य विभाग के 27 कर्मचारी संबंधित व्यवस्थाओं को दुरुस्त बनाने में जुटे हैं। इस प्रकार कुल कुल 882 जवानध्कार्मिक युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्यों में जुटे हैं।
बता दें कि जैसे ही मुख्यमंत्री को केदारनाथ यात्रा मार्ग में यात्रियों के रुके होने की सूचना मिली, उन्होंने भारत सरकार से वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मांग की। भारत सरकार ने तुरंत 01 चिनूक तथा 01 एमआई-17 हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराए। मा0 मुख्यमंत्री के निर्देश पर नागरिग उड्डयन विभाग ने भी 05 अन्य हेलीकॉप्टर यात्रियों के रेस्क्यू हेतु उपलब्ध कराए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यात्रियों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जो यात्री अभी भी रुके हैं, जिला प्रशासन की टीमों ने उनके रहने और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था की है। उनकी जरूरतों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से पूरे रेस्क्यू अभियान की सतत मॉनीटरिंग की जा रही है। यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। मौसम की वजह से कुछ दिक्कतें रेस्क्यू अभियान में आ रही हैं, मौसम जैसे-जैसे साफ हो रहा है, वैसे-वैसे यात्रियों का रेस्क्यू किया जा रहा है।
केदारनाथ में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए तीसरे दिन भी रेस्क्यू जारी है। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिनचोली के समीप सुबह थारू कैंप में रेस्क्यू के दौरान एक शव मिला है। अभी दोपहर में एक और शव बरामद हुआ है। वहीं आज तीसरे दिन अभी तक 300 लोगों का पैदल रेस्क्यू किया जा चुका है। एयरलिफ्ट के लिए चार हेलिकॉप्टर लगाए गए हैं। हालांकि मौसम खराब होने के कारण एक ही हेलिकॉप्टर उड़ान भर पर पाया है।
केदारनाथ पैदल मार्ग पर बादल फटने के बाद से रेस्क्यू जारी है। करीब 150 लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। अब तक 6,980 लोगों का रेस्क्यू हो चुका है। शुक्रवार को 2980 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। 599 को हेलिकॉप्टर से लाया गया है। जबकि 1500 से अधिक लोग अभी भी फंसे होने की सूचना है। अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त पैदल मार्ग पर विभिन्न पड़ावों पर फंसे हुए लोगों का रेस्क्यू जारी है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि रेस्क्यू टीम द्वारा थारू कैंप के पास बड़े पत्थरो में दबे शव को निकला गया। जिसके पास से दो मोबाइल व अन्य सामग्री प्राप्त हुई है।
शव की पहचान शुभम कश्यप निवासी सहारनपुर के रूप में हुई है। शव व प्राप्त सामग्री को चौकी लिनचोली के सुपुर्द किया गया। तत्पश्चात टीम द्वारा लापता लोगों की तलाश के लिए थारू कैंप, छोटी लिनचोली में सर्चिंग की गई। सर्चिंग के दौरान थारू कैंप में एक मोबाइल प्राप्त हुआ, जिसे चौकी लिनचोली के सुपुर्द कर दिया गया है।
केदारनाथ रेस्क्यू अपडेट
–त्रिजुगीनारायण से तीन-चार किमी ऊपर की ओर तोसी गांव में 08 से 10 यात्रियों के फंसे होने की सूचना पर एसआई जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में एसडीआरएफ कि एक रेस्क्यू टीम मौके के लिए रवाना हो चुकी है।
-एसडीआरएफ की दूसरी टीम चिड़वासा में निरीक्षक अनिरुद्ध भंडारी के नेतृत्व में रेस्क्यू कार्य कर रही है।
-एसडीआरएफ की एक अन्य टीम निरीक्षक कर्ण सिंह के नेतृत्व में सोनप्रयाग व गौरीकुंड के बीच यात्रियों को निकालने में जूटी हुई है।
-हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू शुरू हो गया है।
-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअली जिलाधिकारी (रुद्रप्रयाग) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (रुद्रप्रयाग) से बात कर आपदा संबंधित राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा बैठक ली और आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
-हेली संचालन के लिए मौसम खुलते ही भीमबली से एयर लिफ्ट कर फंसे हुए श्रद्धालुओं को रेस्क्यू करना शुरू कर दिया गया है। वहीं 11 बजे तक सोन प्रयाग से गौरीकुंड के बीच से करीब 250 लोगों को मैनुअल रेस्क्यू किया जा चुका है।
विभिन्न पड़ावों पर फंसे हुए तीर्थ यात्रियों एवं स्थानीय लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन सहित अन्य सुरक्षा बल लगातार कार्य कर रहे हैं। शनिवार को लगातार तीसरे दिन रेस्क्यू एवं राहत कार्यों के तहत भीमबली सहित अन्य स्थानों पर जिला प्रशासन एवं खाद्य विभाग द्वारा फूड पैकेट का वितरण किया जा रहा है। इसके अलावा जीएमवीएन द्वारा केदारनाथ सहित अन्य स्थानों पर फंसे लोगों के लिए भोजन व्यवस्था की गई।
पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग डॉ. विशाखा अशोक भदाणे ने बताया कि पैदल मार्ग काफी स्थानों पर क्षतिग्रस्त हुआ है। लगातार रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। बताया कि नेटवर्क न रहने के कारण काफी लोगों का उनके परिजनों से सम्पर्क नहीं हो पा रहा था, इनमें से रेस्क्यू के उपरान्त लोगों का उनके परिजनो से सम्पर्क हो गया है और अधिकांश लोग अपने घर सकुशल पहुंच भी गए हैं।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि कतिपय माध्यमों से ऐसी भी सूचनाएं चल रही हैं “कि इस पूरे घटनाक्रम में बड़ी संख्या लोग लापता हैं”। उन्होंने कहा कि जितने भी लोगों की सूचना पुलिस के पास है, लगभग सभी अपने घरों को पहुंच गए हैं। किसी भी तरह से अगर कोई भ्रामक सूचनाएं फैलाता है तो उस पर विश्वास न करें।
अगर आपका परिजनों से सम्पर्क नहीं हो रहा है तो पुलिस से जरूर सम्पर्क करें। केदारनाथ में मौसम खराब होने की समस्या भी बनी हुई है। ऐसे में रेस्क्यू करने में एसडीआरएफ और पुलिस प्रशासन को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
अतिवृष्टि से बाधित चल रहा चीरबासा हैलीपैड़ हैली सेवाओं के लिए हुआ तैयार, रेस्क्यू कार्यों को सुगमता से करने में मिलेगी मदद
केदारघाटी में अतिवृष्टि के बाद से कई मार्ग आवाजाही हेतु बंद हो गए थे। जिन्हें खोले जाने के लिए विभिन्न रेस्क्यू टीमें लगातार अभियान चलाए हुए है। शनिवार को जिला प्रशासन को बड़ी कमियाबी तब मिली जब एसडीआरएफ की टीम ने लैंड स्लाइड के चलते बंद पड़े चीरबासा हेलीपैड को दुरुस्त किया। यह हेलीपैड दुरुस्त होने से रेस्क्यू अभियान में बड़ी मदद मिली।
जिला अधिकारी सौरभ गहरवार पहले दिन से ही चीरबसा हेलीपैड संचालित करने को प्रयासरत थे। शनिवार को कमांडेंट एसडीआरएफ मणिकांत मिश्रा अपनी टीम के साथ भीमबली हैलीपैड पर उतरे जहां से पैदल ट्रैक को ठीक करते हुए चीरबासा पहुंचे। उन्होंने बताया कि अतिवृष्टि के कारण केदारनाथ पैदल मार्ग के मुख्य पड़ाव चीरबासा हैलीपैड़ हैली सेवाओं हेतु पूर्णतः बाधित हो गया था। एसडीआरएफ की टीम द्वारा हेलीपैड पड़े बड़े बोल्टर हटा कर चीरबासा को हैली हेतु सुचारू कर दिया गया है जो रेस्क्यू टीमों के लिए बड़ी राहत है। जिलाधिकारी ने प्रशासन की टीम के साथ हैलीपैड पर पहली लैंडिंग कर पूरी टीम की हौसला अफजाई की। शनिवार दोपहर साढ़े तीन बजे तक चीरबासा हैलीपैड़ से करीब 40 लोगों को रेस्क्यू किया गया। बताया कि अब हैली सेवाओं के माध्यम से चीरबासा से रेस्क्यू कार्यों को और भी आसानी व सुगमता से किया जा सकेगा।