हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी को 4 अप्रैल (मंगलवार) की सुबह दस बजे प्रमुख वन संरक्षक का पदभार सौंपने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के पूर्व के आदेश के बावजूद प्रमुख वन संरक्षक का चार्ज नहीं देने पर राजीव भरतरी ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
कॉर्बेट नेशनल पार्क में पेड़ों के कटान की जांच कर रहे राजीव भरतरी का तबादला प्रमुख वन संरक्षक के पद से जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद पर कर दिया गया था। इसे भरतरी ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी थी। कैट ने उनके पक्ष में निर्णय देते हुए उन्हें तत्काल बहाल करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए थे लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी भरतरी को बहाल नहीं किया गया।
याचिका में कहा गया कि विनोद सिंघल अब भी प्रमुख वन संरक्षक के पद पर बने हुए हैं। आईएफएस राजीव भरतरी ने याचिका में मांग की कि विनोद सिंघल को हटाया जाए और उन्हें इस पद पर नियुक्त किया जाए। याचिका में कहा गया कि कैट के आदेश के बाद भी विनोद सिंघल किस अधिकार से इस पद पर बने हैं।
याचिका में भरतरी ने कहा कि वह राज्य के सबसे वरिष्ठ भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं लेकिन सरकार ने 25 नवंबर 2021 को उनका स्थानांतरण प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के पद पर कर दिया था जो गलत है। इस संबंध में उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन भी दिए लेकिन सरकार ने इन प्रत्यावेदनों पर कोई सुनवाई नहीं की।
याचिका में आरोप लगाया गया कि उनका स्थानांतरण राजनीतिक कारणों से किया गया जो उनके सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। बता दें कि कोर्ट के पूर्व के आदेश के खिलाफ विनोद सिंघल ने भी कैट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी जिसे कैट ने 22 मार्च को खारिज कर दिया था।