उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली-हर्षिल में आई प्राकृतिक आपदा पर कई तरह की खबरें सामने आ चुकी हैं। पहाड़ों और हिमालय क्षेत्र की खास जानकारी रखने वाले वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एमपीएस बिष्ट का कहना है कि धराली में जिस स्थान से मलबा और सैलाब आया है। अभी तक उस स्थान की पूरी तस्वीर और आंकड़े सामने नहीं आए हैं।
ऊपर जिस स्थान पर भारी बारिश या पानी जमा होने की बात की जा रही है। उस स्थान पर सैटेलाइट भी नहीं देख पा रहा है क्योंकि उसके चारों तरफ उस जगह को बादलों ने घेरा है। मानसून की वजह से वहां घना कोहरा छाया हुआ है। इसलिए जब तक अंदर की सभी तस्वीरें और आंकड़े सामने नहीं आएंगे तब तक आपदा के कारणों की कोई भी सटीक जानकारी नहीं दे सकता है।
एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभागाध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट ने कहा कि आपदा के संबंध में वह लगातार नजर बनाए हुए हैं। जापान, फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका आदि देशों से अनुबंध है कि कहीं भी जब प्राकृतिक आपदा आएगी तो वहां के तथ्यों और आंकड़ों को एक दूसरे से साझा किया जाएगा लेकिन अभी तक किसी भी देश ने कोई डाटा शेयर नहीं किया है।
हमारे देश से भी कोई सटीक आंकड़े अभी तक नहीं मिल पाए हैं जिससे स्पष्ट तौर पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है। अभी तक नदी के किनारे के आंकड़े ही मिल पाए हैं। जिनकी तस्वीर भी लोगों ने ली है। वहीं आसपास के लोगों ने उसके बारे में बताया है लेकिन ऊपर पहाड़ों में जहां घटना हुई है। अभी उस स्थान पर कोई नहीं गया है।
प्रो. बिष्ट ने बताया कि 2024 के उपग्रहीय आंकड़ों से कहा जा सकता है कि वहां कोई ग्लेशियर झील नहीं थी। उन्होंने अपने आंकड़ों को भारत मौसम विज्ञान के साथ भी मिलाया है। उन्होंने भी यह कहा है कि उनके रिकॉर्ड में कोई बहुत ज्यादा बारिश वहां नहीं हुई है। जबकि वहां के लोगों ने कहा है कि वहां तीन-चार दिन से लगातार बारिश हो रही थी। आर्मी का ड्रोन भी ऊपर भेजा गया था लेकिन वह भी घटनास्थल तक नहीं पहुंच पाया है। इसलिए जब तक सही तस्वीर व आंकड़े नहीं आते हैं। कोई भी आपदा के संबंध में सही जानकारी नहीं दे सकता है।