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Thursday, December 26, 2024
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उत्तराखण्ड के इन दिग्गज नेताओं के एक दूसरे की तारीफ ने सबको किया हैरान

उत्तराखण्ड के दो दिग्गज नेताओं की बीते कुछ दिनों से चली आ रही सोशल मीडिया पर वार पलटवार की जंग अब थमने की ओर है। इन दोनों ही नेताओं ने सोशल मीडिया पर अब एक दूसरे की तारीफ कर सबको चौंका दिया है।

जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एवं भाजपा के नेता राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की। दोनों नेताओं के बीच सोशल मीडिया पर कुछ दिनों से निशाना साधा जा रहा था लेकिन आज दोनों के द्वारा सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट से लगता है कि अब यह विवाद थम गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि पार्लियामेंट में प्रश्न, विकास का एक कारगर हथियार बनाया जा सकता है। मैंने 80 के दशक में अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र के लिये अपने इस अस्त्र के उपयोग से बहुत कुछ हासिल किया। जब हरिद्वार की बारी आई तब तक मैं मंत्री बन गया था, लेकिन मैंने उत्तराखंड के लिये बहुत कुछ हासिल किया जो है संसदीय प्रश्नों आदि के जरिए उत्तराखंड की मौलिक आवश्यकताओं पर सरकार का ध्यान खींचा।

एक संसदीय प्रश्न के उत्तर आदि बनाने में बहुत वक्त/मेहनत लगती है और यदि कभी मंत्री फंस गये तो आप उनसे बहुत कुछ हासिल कर लेते हैं। जैसे मैंने, शीतोष्ण मछली अनुसंधान संस्थान हासिल किया। ओरिजिनली चंपावत के लिए था, लेकिन कालांतर में उसको चंपावत के बजाय भीमताल में सुविधाओं के दृष्टिकोण से किया गया। उसी तरीके से मैंने हॉर्टिकल्चर के अंदर टेंपरेट फ्रूट्स का अनुसंधान केंद्र उत्तराखंड के लिए हासिल किया।

मैं एक उदाहरण वानकी के तौर पर बता रहा हूंँ और आज मुझे बहुत अच्छा लगा जब मैंने अखबारों में पढ़ा कि चाय के विस्तार के लिए क्या कुछ केंद्र की सरकार करेगी और वो बात श्री Anil Baluni जी के प्रश्न से आई। एक नौजवान सांसद, उत्तराखंड के लिये किस तरीके से हम केंद्रीय धनराशि प्राप्त कर सकते हैं, उस दिशा में कार्यरत हैं। सैद्धांतिक गंभीर मतभेदों के बावजूद भी मैं, वो ऐसा करते रहें इसकी कामना करता हूंँ और यह कामना मैंने उनको टेलीफोन करके भी जाहिर की, उन तक पहुंचाई है।

श्री रावत कि इस पोस्ट पर भाजपा के नेता राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने भी कुछ इस प्रकार लिखा कि हर सकारात्मक राजनीतिक संवाद का स्वागत किया जाना चाहिए जो दलीय सीमाओं के बाहर आमजन की पैरवी करता हो। हमारे देश के खूबसूरत लोकतंत्र में ही ऐसे दुर्लभ दृश्य दिख सकते हैं जब तमाम विरोधाभासों और मतभेदों के बाद भी खुले मंच से सकारात्मक विषय पर एक दूसरे की प्रशंसा, प्रोत्साहन और मनोबल वृद्धि की जाती है, की जानी चाहिये।
साधुवाद आदरणीय रावत जी।

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