उरेडा ने बाद में इनके निर्माण की अवधि 31 मार्च 2024 तक और फिर 31 दिसंबर 2024 तक भी बढ़ाई, जिस पर नियामक आयोग को बढ़ाने का आधार स्पष्ट नहीं बता पाए। फर्मों ने निर्माण की अवधि फिर बढ़ाने की मांग की तो उरेडा इस मामले में नियामक आयोग पहुंचा था। आयोग ने सभी पहलुओं को परखा। सभी परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट ली।
नियामक आयोग में की थी पुनर्विचार याचिका दायर
प्रगति रिपोर्ट हैरान करने वाली थी। दो फर्मों ने लीज के दस्तावेज में एक ही खाता दे दिया। दो फर्मों ने एक ही जमीन के अलग-अलग सिरे से गूगल मैपिंग करके लोकेशन दे दी। लिहाजा, इस साल 27 मार्च को नियामक आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इन सभी फर्मों की परियोजनाओं के आवंटन को रद्द कर दिया था। इसके बाद सभी ने मिलकर नियामक आयोग में पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद, सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने माना कि पुनर्विचार में कोई भी फर्म नया तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाई। उरेडा और यूपीसीएल के जवाब भी निराशाजनक पाए गए। लिहाजा, पीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। चौंकाने वाली बात ये भी है कि अब तक इन परियोजनाओं के लिए न तो पूरी जमीन है और न ही ऋण की प्रक्रिया अमल में लाई गई है।