नाग पंचमी के दिन स्त्रियां नाग देवता की पूजा करती हैं और सांपों को दूध पिलाया जाता है. इस साल नाग पंचमी का त्योहार 2 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. नाग देवताओं की पूजा के लिए श्रावण मास की पंचमी तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. सनातन धर्म में सर्प को पूजनीय माना गया है. भगवान श्री हरि विष्णु भी शेषनाग पर ही विराजमान हैं।
उत्तराखंड ज्योतिष रत्न एवं वर्तमान में संस्कृत शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि नाग पचंमी का त्योहार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल यह त्योहार मंगलवार के दिन आ रहा है जिससे अति विशिष्ट संयोग बन गया है क्योंकि मंगल ग्रह जब राहु के साथ मिलता है तो अंगारक योग बना देता है नाग पंचमी के दिन महिलाएं नाग देवता की पूजा करती हैं।
इस दिन सांपों को दुध अर्पित किया जाता हैं। महिलाएं इस दिन अपने परिवारजनों के लिए पूजा करती हैं. सनातन धर्म में सर्पों को एक विशेष स्थान प्राप्त है. नाग देवताओं की पूजा के लिए कुछ दिनों को काफी शुभ माना जाता है जिसमें से एक श्रावण मास की पंचमी तिथि है. इस दिन नाग देवताओं की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त
नाग पञ्चमी मंगलवार, अगस्त 2, 2022 को
नाग पञ्चमी पूजा मूहूर्त -सुबह 06 बजकर 05 से 08 बजकर 41 मिनट तक
अवधि – 02 घण्टे 36 मिनट्स
नाग पञ्चमी पूजा मन्त्र
ज्योतिष शास्त्र में बड़े हस्ताक्षर एवं श्रीमद्भागवत की व्यास गद्दी पर आसीन होने वाले आचार्य चंडी प्रसाद घिल्डियाल तिथि का शास्त्रीय विधान बताते हुए कहते हैं कि जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प योग है और उसकी वजह से विवाह नहीं हो रहा है अथवा कोई भी कार्य सही ढंग से संपन्न नहीं हो पाता है उन लोगों के लिए यह दिन वरदान के समान है वह स्वयं अथवा अपने आचार्य के द्वारा निम्नलिखित मंत्रों से सर्पों का आवाहन और पूजन करें।
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले.
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः.
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
अर्थ- इस संसार में, आकाश, स्वर्ग, झीलें, कुएं, तालाब तथा सूर्य-किरणों में निवास करने वाले सर्प, हमें आशीर्वाद दें और हम सभी आपको बार-बार नमन करते हैं।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्.
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्.
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः.
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
अर्थ- नौ नाग देवताओं के नाम अनन्त, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कम्बल, शङ्खपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक तथा कालिया हैं. अगर रोजाना सुबह नियमित रूप से इनका जप किया जाए, तो नाग देवता आपको सभी पापों से सुरक्षित रखेंगे और आपको जीवन में विजयी बनायेंगे.
नाग पंचमी के दिन इन बातों का रखें खास ख्याल
माना जाता है कि नाग पचंमी के दिन व्रत रखना चाहिए. इस दिन नाग देवताओं की पूजा करनी चाहिए, उन्हें जल चढ़ाना चाहिए और मंत्रों का जाप करना चाहिए.
नाग पंचमी के दिन सुई धागे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और ना ही इस दिन लोहे के बर्तन में खाना बनाना चाहिए.
अगर कुंडली में राहु और केतु भारी हैं तो इस दिन सांपों की पूजा जरूर करें. ध्यान रहें कि इस दिन नाग देवता को दूध चढ़ाते समय पीतल के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए।
नाग पंचमी के दिन उस जमीन को बिल्कुल भी नहीं खोदना चाहिए जहां सांपों का बिल हो. ना ही इस दिन सांप को मारना चाहिए. अगर आपको कहीं सांप दिख जाता है तो उसे जाने दें।
आचार्य का परिचय
नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल
सहायक निदेशक शिक्षा विभाग।
निवास स्थान- 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड। कैंप कार्यालय मकान नंबर सी 800 आईडीपीएल कॉलोनी वीरभद्र ऋषिकेश
मोबाइल नंबर-9411153845
उपलब्धियां
वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड से सम्मानित, वर्ष 2016 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान से सम्मानित, वर्ष 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड, 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड, अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान।