मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सदन के पटल पर वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 57 हजार 400 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है। जिसके संबोधन में उन्होंने कहा कि हमने उत्तराखंड स्थापना के बीस साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर मैं सभी सेना के जवानों, पुलिस के जवानों, कोरोना योद्धाओं और जनता को शुभकामना देता हूं। इसके बाद उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया। वहीं कोरोना काल में कोरोना योद्धाओं द्वारा किए गए कार्यों की भी सराहना की। कहा कि इस बजट में रोजगार सृजन पर जोर दिया गया है।
सीएम ने की गैरसैंण को नई कमिश्नरी बनाने की घोषणा
बजट के बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को नई कमिश्नरी (मंडल) बनाने की घोषणा की। अब प्रदेश में तीन मंडल गढ़वाल, कुमाऊं और गैरसैंण होंगे। गैरसैंण मंडल में बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग और अल्मोड़ा शामिल होंगे।
सीएम ने कहा कि कमिश्नर गैरसैंण में ही बैठेंगे। साथ ही डीआईजी रैंक के एक अफसर भी बैठेंगे। गैरसैंण का मास्टर प्लान एक महीने में तैयार हो जाएगा। साथ ही नई नगर पंचायतों के लिए एक-एक करोड़ रुपये की व्यवस्था होगी। भराड़ीसैण में 20 हजार फलदार वृक्ष लगेंगे।
बीते एक वर्ष में गैरसैंण के विकास के लिए कई कार्य तथा घोषणाएं की गई हैं, जिनमें आगामी दस वर्षों में 25 हजार करोड़ रुपए की लागत से समूचे राजधानी क्षेत्र का विकास सुनिश्चित करने हेतु एक बड़ी योजना बनाने पर कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में पहली बार किसी सरकार ने रिवर्स पलायन पर सुनियोजित तरीके से कार्य किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य के विकास के लिए परिसंपत्तियों पर निवेश को हमारी सरकार ने जरूरी समझा। कहा कि कृषि के जुड़ी समस्याओं और सभी प्रश्नों को समझने का प्रयास किया गया।
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उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण-गैरसैंण में आज गुरुवार को प्रदेश सरकार की ओर से करीब 59 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किए जाने का अनुमान है। सरकार पर्यटन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सेवा क्षेत्र पर फोकस कर सकती है। चुनावी वर्ष होने के कारण बजट के इस बार लोक लुभावन होने के भी आसार हैं। सरकार रोजगार के मोर्चे पर मनरेगा जैसी योजनाओं का सहारा भी ले सकती है।
प्रदेश सरकार की ओर से इस बार करीब 13 हजार करोड़ रुपये का योजना बजट लाने की उम्मीद है। सूत्रों की मानें तो कोरोना के कारण उपजी स्थितियों को देखते हुए सरकार की ओर से इस बार बजट में हर वर्ग को किसी न किसी रूप में राहत देने की कोशिश की जा सकती है। योजना आकार बढ़ाकर सरकार ने इसका संकेत भी दिया है। इसी के साथ सरकार पर रोजगार के अवसर बढ़ाने का भी दबाव है। इसके लिए सरकार मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना सहित अन्य रोजगारपरक योजनाओं का दायरा बढ़ा सकती है।
प्रदेश सरकार अभी तक राजस्व सरप्लस और कर रहित बजट लाती रही है। इस बार सरकार के सामने इस तरह का परंपरागत बजट लाना खासी चुनौती भरा होगा। प्रदेश की विकास दर शून्य से नीचे रहने का ही अनुमान है। ऐसे में राजस्व घाटे के बजट की अधिक संभावना है। इतना जरूर है कि सरकार चुनावी वर्ष होने के कारण अतिरिक्त कर से भी बचने की कोशिश करेगी।
कोरोना काल से पहले प्रदेश की जीडीपी करीब 2.56 लाख करोड़ रुपये थी। इस समय विकास दर शून्य से नीचे है तो जीडीपी का आकार भी 2.50 लाख करोड़ रुपये के आसपास हो सकता है।
राजकोषीय घाटे का बढ़ना हर हाल में तय है। अभी तक सरकार राजकोषीय घाटे को जीडीपी की तुलना में तीन प्रतिशत तक रखने में सफल रही है। अब केंद्र की ओर से राजकोषीय घाटे को नौ प्रतिशत के अंदर रखने की रियायत दी गई है। इसके बावजूद सरकार को राजकोषीय घाटे को कम से कम रखने के लिए योजना बनानी होगी।
राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान
विनिर्माण-37.52 प्रतिशत
निर्माण-7.95 प्रतिशत
व्यापार होटल एवं जलपान गृह-14.96 प्रतिशत
परिवहन, भंडारण, संचार एवं प्रसारण-6.02 प्रतिशत
कोरोना के कारण प्रभावित अर्थव्यवस्था के कारण प्रति व्यक्ति आय में कमी का भी अनुमान है। पिछले वित्तीय वर्ष में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय करीब 1.82 रुपये थी, अब यह इससे कम हो सकती है।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश का बजट आम आदमी सहित अन्य सभी वर्गों के लिए राहत देने वाला होगा। सरकार की कोशिश है कि प्रदेश का तेजी से विकास हो और हर वर्ग को किसी न किसी रूप में राहत मिले।
संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि आम आदमी की अपेक्षाओं पर यह बजट पूरी तरह से खरा उतरेगा। यह बजट आम आदमी, महिला, किसान, मध्यम वर्ग सहित अन्य सभी वर्गों के लिए है।
अध्यक्ष पंचम वित्त आयोग इंदु कुमार पांडे ने कहा कि प्रदेश को इस समय सबसे ज्यादा जरूरत अपनी शुरू की गई योजनाओं को आगे बढ़ाने की है। जो फैसले कोरोना काल में किए गए हैं, उनको अमली जामा पहनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि प्रदेश का राजकोषीय घाटा कितना है और आगे क्या स्थिति है।