उत्तराखंड सरकार आगामी सत्र को शून्य तबादला सत्र नहीं करेगी। सरकारी विभागों और कार्यालयों में लोकसेवकों के तबादले वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम के तहत ही होंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्मिक विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्होंने स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू करने को भी हरी झंडी दिखा दी है।
पिछले दो साल से प्रदेश में वार्षिक स्थानांतरण सत्र को शून्य किया जा रहा है। कोविड-19 महामारी के बाद की परिस्थितियों के बीच यह माना जा रहा था कि सरकार इस साल भी शून्य सत्र घोषित करेगी। इस मामले पर तीन फरवरी को वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम की धारा-27 के तहत गठित समिति की बैठक में चर्चा हुई थी। बैठक में शून्य सत्र को समाप्त करने का निर्णय लिया गया था।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने प्रस्ताव में जानकारी दी थी कि आगामी वर्ष में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। इस कारण चुनाव की आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। आम तौर पर चुनाव कार्य में शामिल सभी विभागों के कार्मिकों के लिए एक स्थान पर तीन साल से अधिक रहने पर रोक है। इसलिए आगामी सत्र को शून्य नहीं किया जा सकता।
इसमें वित्तीय दृष्टिकोण से 10 फीसदी या आदर्श चुनावी आचार संहिता के अनुरूप वांछित स्थानांतरण ही किए जाने की व्यवस्था की गई है। इस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष लाया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ने अनुमोदन दे दिया है। साथ ही आगामी सत्र के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम के प्राविधान ही लागू करने और स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू करने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी है।
प्रदेश में चुनावी साल में लोकसेवकों के तबादले हो सकेंगे। मुख्यमंत्री ने तबादलों की प्रक्रिया शुरू करने को मंजूरी दे दी है। तबादला सत्र शून्य होने की वजह से हजारों लोकसेवकों की दुर्गम से सुगम में जाने की मुराद पूरी नहीं हो पा रही थी। लेकिन मुख्यमंत्री के निर्णय के बाद अब तबादला अधिनियम के तहत 10 फीसदी तबादले हो सकेंगे।