24.3 C
Dehradun
Wednesday, May 31, 2023
HomeUncategorizedएम्स में अब ’स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक’ की सुविधा भी उपलब्ध

एम्स में अब ’स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक’ की सुविधा भी उपलब्ध

घुटने, कंधे और कूल्हे के लीगामेंट्स, साकेट की चोटों का होगा इलाज
प्रेस विज्ञप्ति
उत्तराखंड के युवाओं और खेल प्रतिभाओं के लिए अच्छी खबर है। स्पोर्टस इंजरी के दौरान चोटिल होने वाले खिलाड़ियों व युवाओं के उपचार की सुविधा के लिए अब एम्स ऋषिकेश में स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक की सुविधा शुरू कर दी गई है। संस्थान में उपलब्ध इस सुविधा का खासतौर से उन खिलाड़ियों को मिल सकेगा जो खेल के दौरान चोटिल अथवा गंभीर घायल हो जाते हैं।

राज्य में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, मगर अभी तक खेल आयोजनों में खिलाड़ियों द्वारा अपने प्रदर्शन के दौरान कईमर्तबा उनके घुटने, कंधे और कूल्हे के लीगामेंट्स, साकेट से संबंधित चोट लगने पर उन्हें उत्तराखंड में बेहतर इलाज नहीं मिल पाता था। वजह उत्तराखंड में अभी तक स्पोर्ट्स इंजरी के समुचित उपचार के लिए कोई विशेष अस्पताल अथवा क्लीनिक नहीं था और न ही अभी तक यहां स्पोर्ट्स इंजरी के समुचित इलाज की ही सुविधा थी। मगर अब एम्स ऋषिकेश में यह सुविधा शुरू हो गई है। जिसके तहत प्रथम चरण में संस्थान में ’विशेष स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक’ का संचालन शुरू किया गया है। यहां स्पष्ट कर दें कि विभिन्न खेलों में प्रदर्शन के दौरान या किसी वाहन दुर्घटना में घायल लोगों के घुटने, कंधे और कूल्हे के लीगामेंट्स अथवा साकेट का इलाज एम्स ऋषिकेश में पहले से उपलब्ध है। जबकि इसी कड़ी में अब संस्थान द्वारा खिलाड़ियों से जुड़े ऐसे मामलों के मद्देनजर एक स्पेशल ’स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक’ की शुरुआत की गई है।

निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने इस बाबत बताया कि खिलाड़ियों और युवाओं में इस तरह की समस्याएं आम होती जा रही हैं। लिहाजा इस दिक्कतों को देखते हुए एम्स में शीघ्र ही ’स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर’ खोला जाना प्रस्तावित है। जिसके अंतर्गत पहले चरण में स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक की सुविधा शुरू की गई है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक में मरीजों के उपचार के लिए ट्रामा सर्जरी विभाग, ऑर्थोपेडिक्स विभाग और फिजिकल मेडिकल विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों की संयुक्त टीम उपलब्ध कराई गई है। जिससे स्पोर्ट्स इंजरी से ग्रसित राज्य के खिलाड़ियों और युवाओं का एम्स ऋषिकेश में ही समुचित इलाज किया जा सके। निदेशक प्रो. रवि कांत जी के अनुसार उत्तराखंड एवं अन्य राज्यों के आर्मी ट्रेनिंग सेंटर और स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर के सहयोग से सेना के जवानों, खिलाड़ियों तथा अन्य लोगों को इस केंद्र में विशेष प्राथमिकता दी जाएगी।

इस बाबत विस्तृत जानकारी देते हुए ट्रामा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद कमर आजम जी ने बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी को लिगामेन्ट्स इंजरी भी कहा जाता है। लिगामेन्ट्स इंजरी के दौरान व्यक्ति का घुटना टूट जाना अथवा उसके घुटनों के जोड़ों का संतुलन बिगड़ जाने की समस्या प्रमुख है। इसके अलावा कई बार घुटनों के ज्वाइन्ट्स भी अपनी जगह से खिसक जाते हैं। यह जोड़ एक हड्डी को दूसरी हड्डी से आपस में जोड़ने का काम करते हैं। मगर एक्सरे या सीटी स्कैन में इसका पता नहीं चल पाता है। प्रो. आजम ने बताया कि जब मरीज की हड्डी घिस जाती है तो बाद में उसे उस जगह दर्द होने लगता है। स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक में ऐसे ही लोगों का इलाज किया जाएगा। संबंधित रोगी स्पोर्ट्स इंजरी की ओपीडी में अपनी जांच करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस स्पेशल क्लिनिक में पंजीकरण की सुविधा के लिए शीघ्र ही एक व्हाट्सएप नंबर जारी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी के मरीजों का इलाज संस्थान में पूर्व से ही किया जा रहा है। लेकिन सेवाओं के विस्तारीकरण के तहत अब विभाग द्वारा विशेष स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक शुरू किया गया है। यह क्लीनिक दैनिकतौर पर ओपीडी के समय संचालित होगा। उन्होंने बताया कि साईकिलिंग, स्केटिंग, क्रिकेट, फुटबॉल, वाॅलीबॉल, बास्केटबॉल आदि खेलों में जिन खिलाड़ियों का घुटना अथवा कोहनी टूट जाती है, उन्हें इस सुविधा से विशेष लाभ होगा। खिलाड़ियों के लिए गेट ट्रेनिंग लैब अथवा रोबोटिक रिहैब मशीन भी एम्स में उपलब्ध है। प्रो. आजम ने बताया कि बीते वर्ष 2020 में एम्स के ट्रामा विभाग में 438 लोगों की लिगामेन्ट्स सर्जरी की जा चुकी है। जबकि पिछले ढाई साल के दौरान लिगामेन्ट्स इंजरी वाले लगभग 2000 लोगों का उपचार किया गया है। जिनमें ज्यादातर मामले बाइक से गिरकर अथवा फिसलकर घुटना टूट जाने की शिकायत वाले लोगों के रहे हैं। उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के लिए यह उपचार योजना के तहत निःशुल्क उपलब्ध है।

इंसेट
स्पोर्ट्स लिगामेन्ट्स इंजरी के लक्षण-
लिगामेन्ट्स इंजरी होने पर एक हड्डी को दूसरी हड्डी से जोड़ने वाले घुटने का जोड़ टूट जाता है। जिससे चलते समय पैरों का बेलेंस बिगड़ना, व्यक्ति का संतुलित होकर न चल पाना, कंधा दर्द करना, सीढ़ी चढ़ने-उतरने में दिक्कत होना, पैरों से लचक कर चलना, हाथ का ठीक तरह से ऊपर न उठना और काम करते हुए हड्डी में दर्द रहना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

RELATED ARTICLES

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
- Advertisment -
- Advertisment -
- Advertisment -
- Advertisment -
- Advertisment -

Most Popular

- Advertisment -

Recent Comments

error: Content is protected !!