उत्तराखंड के चमोली में तपोवन सुरंग से रविवार को मलबे से छह शव बरामद हुए हैं, जबकि ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना स्थल से सात शव मिले हैं। जिन शवों की शिनाख्त हुई, उनका मौके पर ही पोस्टमार्टम किया गया। मौके पर चार डॉक्टरों का पैनल शवों के पोस्टमार्टम के लिए तैनात है।
चमोली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. जीएस राणा ने बताया कि सुरंग में फंसे लोगों की मौत दम घुटने व ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई है। सुरंग में बहुत ज्यादा मात्रा में मलबा था। सुरंग में मलबा और भारी मात्रा में पानी घुस जाने से ऑक्सीजन न मिलना भी मौत का कारण रहा है।
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जलप्रलय के बाद लापता हुए 206 लोगों में से अब तक 51 शव बरामद हो चुके हैं, जबकि 153 लोग अभी भी लापता हैं। प्रशासन की ओर से रविवार को मिले 13 शवों में से 11 शवों की शिनाख्त कर ली गई है, जबकि देर शाम सुरंग और रैणी गांव से बरामद एक-एक शवों की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है। इन शवों को शवगृह में रखा गया है। शवों का मौके पर ही पोस्टमार्टम किया जा रहा है।
बता दें कि बाढ़ के बाद 35 लोग तपोवन सुरंग में फंस गए थे, जबकि बैराज, ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना स्थल व अन्य नदी किनारे सैकड़ों लोग मलबे में दब गए थे। तब से सुरंग और आसपास लापता लोगों की खोज की जा रही है। सुरंग से डंपर के जरिए मलबा बाहर लाया जा रहा है।
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सुरंग के अंदर ड्रिल के जरिए एसएफटी टनल में फंसे लोगों को खोजने का काम विफल रहा। शनिवार रात करीब एक बजे ड्रिल एसएफटी टनल तक तो पहुंच गई थी, लेकिन यहां मलबा और पानी मिला, जिसके बाद ड्रिल रोककर फिर मलबा हटाने का काम शुरू किया गया। ड्रिल के कारण सुरंग से मलबा हटाने का कार्य भी प्रभावित हुआ।
वहीं, मलारी हाईवे पर रैणी गांव में वैली ब्रिज बनाने में बीआरओ की मशीनरी और मैन पावर जुटी हुई है। बीआरओ की ओर से यहां 10 जेसीबी और लगभग 150 मजदूर लगाए गए हैं। मलारी में सीमा क्षेत्र में सड़क विस्तारीकरण कार्य में जुटे करीब 50 मजदूरों को भी रैणी गांव बुला लिया गया है। बीआरओ के अधिकारियों को उम्मीद है कि बीस फरवरी तक वैली ब्रिज से सेना और स्थानीय लोगों के वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी।