पुष्कर रावत
हाल ही में अमेजन प्राइम पर ‘संदीप और पिंकी फरार’ नाम की फिल्म रिलीज हुई है। फिल्म पहले तो इसलिए चौंकाती है कि इसमें संदीप नाम की लड़की (परिणिती चोपड़ा) और पिंकी (अर्जुन कपूर) नाम का लड़का है। कहानी के तौर पर फिल्म में कुछ खास नहीं है। लेकिन हमारे लिए फिल्म में खास ये है कि करीब आधी फिल्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की सैर कराती है। स्थानीय संस्कृति और लोक तत्वों को पहली बार किसी कॉमर्शियल फिल्म में सलीके से पेश किया गया है।
कहानी ऐसी है कि किसी बड़े घोटाले में साथ ना देने के कारण बैंक का मालिक संदीप को मरवाना चाहता है। वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करता है, और इस काम में हरियाणा पुलिस के संस्पेंड चल रहे सिपाही पिंकी को लगाया जाता है। किसी तरह पिंकी संदीप को अपने कब्जे में लेता है। लेकिन जल्द ही उसे समझ आ जाता है कि उसकी जान भी खतरे में है। ऐसे में वो लड़की को लेकर पिथौरागढ़ के रास्ते नेपाल भागने का प्लान बनाता है।
पर्दे पर पिथौरागढ़ शहर और आस पास के दृश्य खूबसूरत लगते हैं। फिल्म में उत्तराखंड की संस्कृति का प्रस्तुतिकरण बेहतर ढंग से किया गया हे। क्लाइमेक्स में बैकग्राउंड में मसकबीन की धुन रोमांचित करती है। वहीं ढोल नगाड़ों की गूंज के साथ छोलिया नृत्य शानदार लगता है।
इस नृत्य ने ही फिल्म के क्लाईमेक्स को पूरा करने में मदद की है, जिसके जरिए पिंकी पुलिस के कड़े घेरे के बावजूद बॉर्डर पार कर जाता है। ये दृश्य इतना बेहतर बना है पूरी फिल्म पर भारी पड़ता है। लगता है अगर छोलिया नहीं होता तो निर्देशक पिंकी को बॉर्डर पार भी नहीं करवाता।