पितृपक्ष आगामी एक सितंबर से शुरू हो रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि पितृ खुश हैं तो पितृदेवता के साथ-साथ भगवान की भी कृपा दृष्टि बनी रहती है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए सभी लोगों को श्रद्धाभाव के साथ उनका तर्पण, पूजा, ब्रह्मभोज एवं दान करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध श्रद्धा का प्रतीक होते हैं।
बता दें कि इस साल पितृपक्ष आगामी एक सितंबर से शुरू हो रहे हैं। श्राद्ध के समय लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध तर्पण करते हैं। इस समयावधि में अपने पूर्वजों का सच्चे मन से स्मरण करते हुए उनका आभार जताते हैं। आभार इसलिए कि उनकी बदौलत ही आज हम इस संसार में हैं। श्राद्ध भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से अश्विन मास की अमावस्या तक होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस समयावधि के दौरान पितृ स्वर्गलोक, यमलोक, पितृलोक, देवलोक, चंद्रलोक व अन्य लोकों से सूक्ष्म वायु शरीर धारण कर इस धरा पर आते हैं।
श्राद्ध पक्ष के दौरान पितर यह भी देखते हैं कि उनका श्राद्ध श्रद्धाभाव से किया जा रहा है या नहीं। अच्छे कर्म दिखने पर पितृ अपने वंशजों पर कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। श्राद्ध में पितरों के नाम से तर्पण, पूजा, ब्रह्मभोज व दान करना पुण्यकारी होता है। कहा जाता है अगर कोई अपने पितरों का श्राद्ध नहीं करता या श्रद्धापूर्वक नहीं करता तो इससे पितृ नाराज हो जाते हैं। इससे पितृ दोष भी लगता है।
इस साल पितृपक्ष अवधि
1 सितंबर – पूर्णिमा, 9.45 के बाद
2 सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध, सुबह 11 बजे के बाद
3 सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध, पूरा दिन
4 सितंबर – दूसरा श्राद्ध, पूरा दिन
5 सितंबर – तीसरा श्राद्ध, पूरा दिन
6 सितंबर – चैथा श्राद्ध, पूरा दिन
7 सितंबर – पांचवां श्राद्ध, पूरा दिन
8 सितंबर – छठा श्राद्ध, पूरा दिन
9 सितंबर – सातवां श्राद्ध, पूरा दिन
10 सितंबर – आठवां श्राद्ध, पूरा दिन
11 सितंबर – नौवां श्राद्ध, पूरा दिन
12 सितंबर – दसवां श्राद्ध, पूरा दिन
13 सितंबर – ग्यारहवां श्राद्ध, पूरा दिन
14 सितंबर – बारहवां श्राद्ध, पूरा दिन
15 सितंबर – तेरहवां श्राद्ध, पूरा दिन
16 सितंबर – चैदहवां श्राद्ध, पूरा दिन
17 सितंबर – अमावस्या, पूरा दिन